बस्ती: जिले के रामनगर ब्लॉक के करीब छह से अधिक गांव के लोग इलाज के लिए सीएचसी करमहिया पर निर्भर हैं. पीएचसी में सिर्फ एक डॉक्टर, फार्मासिस्ट और लैब असिस्टेंट के सहारे ही पूरी स्वास्थ्य सेवा टिकी हुई है. बीमार मरीजों को सही तरीके से इलाज नहीं मिल पाता है.
अस्पताल कूड़ेदान बनकर रह गया
जिले के रामनगर स्थित सीएचसी और पीएचसी में डॉक्टरों की कमी के कारण और जगह जगह पड़ी गर्मी के कारण यहां रहने वाली ग्रामीण पास के सीएचसी पर निर्भर हैं. कमरे को मेडिकल वेस्ट कूड़ादान बना दिया गया है तो वहीं बेड पर सिर्फ फटा हुआ गंदा चादर ही है. साथ ही भवन की स्थिति भी जर्जर हो रही है.
गर्मियों में होती है दिक्कत
यहां तैनात लैब असिस्टेंट सलीमा का कहना है कि जैसा दिख रहा है, अस्पताल वैसा ही है, लेकिन इसी में काम करना पड़ता है. रोज कम से कम नए 50 मरीज आते हैं और पुराने को मिलाकर 80 मरीज आते हैं. यहां बिजली का कनेक्शन भी नहीं है. खासकर गर्मियों में काफी दिक्कत होती है.
भवन की स्थिति है खराब
वार्ड ब्वाय अस्पताल की थोड़ी साफ-सफाई कर देता है, लेकिन स्वीपर की तैनाती न होने से दिक्कत होती है. वहीं अस्पताल के मरीजों का कहना है कि डॉक्टर समय पर अस्पताल आते हैं, लेकिन यहां भवन की स्थिति ठीक नहीं है. कुछ दवाएं तो मिल जाती है, लेकिन कुछ बाहर से लेना पड़ता है.
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बजट कम होने की वजह से अस्पताल की यह स्थिति है. उच्चाधिकारी भी समय -समय पर आते रहते हैं. अधिकारियों को सब पता है तो जल्द ही अस्पताल की स्थिति ठीक हो जाएगी.
-वईम अहमद, चिकित्सक