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बस्ती: गंदगी और अंधेरे में गुमनाम है 'अस्पताल', डॉक्टर ने दिया बजट का हवाला

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के ग्रामीण इलाकों के सीएचसी की हालक बदहाल पड़ी हुई है. अस्पताल में न ही बिजली की व्यवस्था है और न ही साफ सफाई है. वहीं चिकित्सक ने बजट का नाम लेकर पल्ला झाड़ लिया है.

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गंदगी के अंबार में गुम है अस्पताल
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Published : Dec 16, 2019, 12:11 PM IST

बस्ती: जिले के रामनगर ब्लॉक के करीब छह से अधिक गांव के लोग इलाज के लिए सीएचसी करमहिया पर निर्भर हैं. पीएचसी में सिर्फ एक डॉक्टर, फार्मासिस्ट और लैब असिस्टेंट के सहारे ही पूरी स्वास्थ्य सेवा टिकी हुई है. बीमार मरीजों को सही तरीके से इलाज नहीं मिल पाता है.

गंदगी के अंबार में गुम है अस्पताल.

अस्पताल कूड़ेदान बनकर रह गया
जिले के रामनगर स्थित सीएचसी और पीएचसी में डॉक्टरों की कमी के कारण और जगह जगह पड़ी गर्मी के कारण यहां रहने वाली ग्रामीण पास के सीएचसी पर निर्भर हैं. कमरे को मेडिकल वेस्ट कूड़ादान बना दिया गया है तो वहीं बेड पर सिर्फ फटा हुआ गंदा चादर ही है. साथ ही भवन की स्थिति भी जर्जर हो रही है.

गर्मियों में होती है दिक्कत
यहां तैनात लैब असिस्टेंट सलीमा का कहना है कि जैसा दिख रहा है, अस्पताल वैसा ही है, लेकिन इसी में काम करना पड़ता है. रोज कम से कम नए 50 मरीज आते हैं और पुराने को मिलाकर 80 मरीज आते हैं. यहां बिजली का कनेक्शन भी नहीं है. खासकर गर्मियों में काफी दिक्कत होती है.

भवन की स्थिति है खराब
वार्ड ब्वाय अस्पताल की थोड़ी साफ-सफाई कर देता है, लेकिन स्वीपर की तैनाती न होने से दिक्कत होती है. वहीं अस्पताल के मरीजों का कहना है कि डॉक्टर समय पर अस्पताल आते हैं, लेकिन यहां भवन की स्थिति ठीक नहीं है. कुछ दवाएं तो मिल जाती है, लेकिन कुछ बाहर से लेना पड़ता है.

इसे भी पढ़ें:- बस्ती: सम्पत्ति के लालच में की मां को जिंदा जलाने की कोशिश

बजट कम होने की वजह से अस्पताल की यह स्थिति है. उच्चाधिकारी भी समय -समय पर आते रहते हैं. अधिकारियों को सब पता है तो जल्द ही अस्पताल की स्थिति ठीक हो जाएगी.
-वईम अहमद, चिकित्सक

बस्ती: जिले के रामनगर ब्लॉक के करीब छह से अधिक गांव के लोग इलाज के लिए सीएचसी करमहिया पर निर्भर हैं. पीएचसी में सिर्फ एक डॉक्टर, फार्मासिस्ट और लैब असिस्टेंट के सहारे ही पूरी स्वास्थ्य सेवा टिकी हुई है. बीमार मरीजों को सही तरीके से इलाज नहीं मिल पाता है.

गंदगी के अंबार में गुम है अस्पताल.

अस्पताल कूड़ेदान बनकर रह गया
जिले के रामनगर स्थित सीएचसी और पीएचसी में डॉक्टरों की कमी के कारण और जगह जगह पड़ी गर्मी के कारण यहां रहने वाली ग्रामीण पास के सीएचसी पर निर्भर हैं. कमरे को मेडिकल वेस्ट कूड़ादान बना दिया गया है तो वहीं बेड पर सिर्फ फटा हुआ गंदा चादर ही है. साथ ही भवन की स्थिति भी जर्जर हो रही है.

गर्मियों में होती है दिक्कत
यहां तैनात लैब असिस्टेंट सलीमा का कहना है कि जैसा दिख रहा है, अस्पताल वैसा ही है, लेकिन इसी में काम करना पड़ता है. रोज कम से कम नए 50 मरीज आते हैं और पुराने को मिलाकर 80 मरीज आते हैं. यहां बिजली का कनेक्शन भी नहीं है. खासकर गर्मियों में काफी दिक्कत होती है.

भवन की स्थिति है खराब
वार्ड ब्वाय अस्पताल की थोड़ी साफ-सफाई कर देता है, लेकिन स्वीपर की तैनाती न होने से दिक्कत होती है. वहीं अस्पताल के मरीजों का कहना है कि डॉक्टर समय पर अस्पताल आते हैं, लेकिन यहां भवन की स्थिति ठीक नहीं है. कुछ दवाएं तो मिल जाती है, लेकिन कुछ बाहर से लेना पड़ता है.

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बजट कम होने की वजह से अस्पताल की यह स्थिति है. उच्चाधिकारी भी समय -समय पर आते रहते हैं. अधिकारियों को सब पता है तो जल्द ही अस्पताल की स्थिति ठीक हो जाएगी.
-वईम अहमद, चिकित्सक

Intro:बस्ती न्यूज रिपोर्ट
प्रशांत सिंह
9161087094
8317019190

बस्ती: सर्दियों का मौसम शुरू हो गया और साथ ही शुरू हो गई गांव कस्बों में रहने वालों की मुसीबतें, क्योंकि यहां न तो स्वास्थ्य सेवाएं ही बेहतर है और न ही साफ सफाई है. गंदगी के चलते मच्छरों की भरमार है, जिससे बीमारियां फैलना तय है, उस पर स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति यह है कि कहीं सीएचसी-पीएचसी में डॉक्टरों की कमी है तो कहीं पर दवाओं का टोटा, कही कहीं पर जांच की कोई सुविधा नहीं है और कहीं तो बिजली का कनेक्शन ही नही है. ऐसे में गांव कस्बे के लोगों को या तो प्राइवेट इलाज कराना पड़ता है या फिर शहर के अस्पतालों की ओर दौड़ लगानी पड़ती है.

जनपद के रामनगर ब्लॉक के करीब आधा दर्जन गांव के लोग इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र करमहिया पर निर्भर है. अब पीएचसी का हाल यह है कि सिर्फ एक डॉक्टर, फार्मासिस्ट और लैब असिस्टेंट के सहारे ही पूरी स्वास्थ्य सेवा टिकी हुई हैं. सर्दी के मौसम में सर्दी, जुकाम और बुखार के मरीजों को ही इलाज मिल जाए तो बहुत है, फिर गंभीर बीमारों के लिए कौन कहे. कमरे को मेडिकल वेस्ट का कूड़ेदान बना दिया गया है. बेड पर सिर्फ फटा हुआ गन्दा गद्दा मिला. भवन की स्थिति भी जर्जर हो रही है.

Body:यहां तैनात लैब असिस्टेंट सलीमा का कहना है कि जो आप देख रहे है सब ऐसा ही है. दिक्कत होती है लेकिन इसी में काम करना पड़ता है. रोज कम से कम नए 50 मरीज आते है, और पुराने को मिलाकर 80 मरीज आते हैं. उन्होंने बताया कि यहां बिजली का कनेक्शन भी नही है, खासकर गर्मियों में काफी दिक्कत होती है. सफाई को लेकर उन्होंने कहा कि वार्ड ब्वाय थोड़ा साफ कर देता है लेकिन स्वीपर की तैनाती न होने से दिक्कत हो थी है. अस्पताल के मरीजों का कहना है कि डॉक्टर समय पर अस्पताल आते हैं. लेकिन यहां भवन की स्थिति भी ठीक नही है. बिजली का कनेक्शन भी नही है. कुछ दवाएं तो मिल जाती है लेकिन कुछ बाहर से लेना पड़ता है.

वहीं जब हमने डॉक्टर वईम अहमद से अव्यवस्था पर सवाल किया तो वो बजट का रोना रोने लगे. उन्होंने कहा उच्चाधिकारी भी आते रहते हैं. उनको पता है, ठीक हो जाएगा.

बाइट....वईम अहमद, डॉक्टर
बाइट...सलीमा, लैब असिस्टेंट
बाइट...अवधेश, मरीज
बाइट....तसरीन, मरीजConclusion:
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