बस्ती: गेहूं खरीद को लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी रोटी सेंकना शुरू कर दिया है. कांग्रेस ने गेहूं खरीद न होने पर क्रय केंद्र को लेकर धरना प्रदर्शन किया. बस्ती मंडल में तकरीबन 66 हजार एमटी गेहूं का भंडारण अभी नहीं हो सका है. अगर समय से गोदामों का इंतजाम नहीं किया गया, तो अरबों रुपये का गेहूं बर्बाद हो जाएगा. इस वर्ष 2021 में बस्ती मंडल में कुल 2 लाख 11 हजार 59 एमटी गेहूं की खरीद की जा चुकी है. इसमें सबसे अधिक सिद्धार्थनगर में 84 हजार 249 एमटी, बस्ती में 82 हजार 96 एमटी, संतकबीरनगर में 44 हजार 813 एमटी गेहूं खरीदा गया है. जबकि सिद्धार्थनगर में तकरीबन 30 हजार, बस्ती में 23 हजार व संतकबीरनगर में लगभग 13 हजार एमटी गेहूं गोदाम से बाहर पड़ा हुआ है.
कांग्रेस ने किया प्रदर्शन
प्रदेश नेतृत्व के आवाहन पर कांग्रेस पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने जिलाध्यक्ष अंकुर वर्मा के संयोजन में गेहूं क्रय केन्द्रों का निरीक्षण किया और दक्षिण दरवाजा स्थित गेहूं क्रय केन्द्र पर धरना देकर सरकार को आईना दिखाया. क्रय केन्द्रों पर गेहूं की खरीद नहीं हो रही है. कांग्रेस जिलाध्यक्ष अंकुर वर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय महासचिव व प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने प्रदेश सरकार से जब गेहूं क्रय केन्द्रों पर खरीद न किए जाने की शिकायत की थी तो सरकार की ओर से जबाब दिया गया कि किसानों से गेहूं खरीदा जा रहा है. इसी सच्चाई का पता करने के लिए जब कांग्रेस पदाधिकारी जनपद के अनेक क्रय केन्द्रों पर पहुंचे तो पता चला कि अधिकांश गेहूं क्रय केन्द्र बंद पड़े हैं और 15 जून से ही गेहूं की खरीद ठप है, जबकि प्रदेश सरकार ने 22 जून तक गेहूं खरीद की घोषणा की थी. अंकुर वर्मा ने कहा कि किसान चौतरफा मार झेल रहा है, सरकार का दावा झूठा है.
खुले में पड़े गेहूं
तीनों जिले के डीएम समेत खरीद से जुड़े अधिकारी गोदामों की तलाश में निजी मिलों व प्राइवेट गोदामों की तलाश में भटक रहे हैं, लेकिन फिर भी अभी तक कोई खास सफलता नहीं मिल सकी है. मंडल में इतनी भारी मात्रा में बरसात में गेहूं का पड़ा रहना प्रशासन की व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहा है. बस्ती मंडल के संभागीय खाद्य विपणन अधिकारी राजीव मिश्र ने बताया कि सभी जिलों के गोदाम फुल हो चुके हैं. प्राइवेट व अन्य गोदामों का इंतजाम किया जा रहा है. खाद्यान्न का अनाज अब उठने लगा है, जल्द ही भंडारण का इंतजाम कर लिया जाएगा.
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विभागीय अधिकारियों के अनुसार अगर सभी ब्लॉकों अथवा तहसील स्तर पर गोदाम स्थापित कर दिए जाएं और गेहूं के भंडारण का इंतजाम वहीं स्थानीय स्तर पर कर दिया जाए तो करोड़ों रुपये के होने वाले अनावश्यक परिवहन व्यय को समाप्त किया जा सकता है. जबकि हो रहा है ठीक इसके उलट. पहले गेहूं खरीदा जाता है और जिला अथवा मंडल मुख्यालय के गोदामों पर लाकर डंप किया जाता है. फिर दोबारा उसी अनाज को वितरण के लिए ब्लॉकों पर पहुंचाया जाता है. इसमें परिवहन की दर 65 रुपये प्रति कुंतल प्रति किमी निर्धारित की गई है. इसलिए दोबारा उसी अनाज को फिर ब्लॉकों पर पहुंचाना सिर्फ एक बहुत बड़ी खर्चीली प्रक्रिया मानी जाती है, जबकि अगर ब्लॉकों में गोदाम स्थापित कर अनाज का भंडारण कर दिया जाए तो परिवहन पर इतनी भारी-भरकम रकम खर्च करने की जरूरत ही नहीं रह जाएगी.