बरेली: प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम अपनी रोडवेज बसों की तकनीक में बदलाव लाने जा रहा है. जिले में बीएस-2 और बीएस-4 तकनीक की बसें शहर भर में प्रदूषण फैला रही हैं. प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए बीएस-6 तकनीक के इंजन वाली रोडवेज बसें चलाने की योजना बनी है.
प्रदूषण कम करने के लिए बसों में आई नई तकनीक
बरेली जिला आज प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंच रहा है. उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अधिकारियों के मुताबिक बीएस-6 मॉडल के इंजन डीजल खपत से निकलने वाले पर्टिकुलेट मैटर(पीएम) को 80 फीसद तक घटा सकते हैं, जिससे नाइट्रोजन और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा भी घट जाएगी.
इस समय बरेली और रूहेलखंड डिपो के बेड़े में करीब 223 बसें हैं, जिसमें से करीब 100 से अधिक रोडवेज बसें बीएस-4 तकनीक के इंजन की हैं और बाकी सारी बसें बीएस-2 या फिर उससे पहले की हैं. बीएस-2 की बसें डीजल की खपत ज्यादा करती हैं और ज्यादा प्रदुषण फैलती हैं. हालांकि इससे पहले भी बी एस-5 तकनीक के इंजन वाली बसें चलाने की योजना बनी थी जो धरातल पर नहीं उतर सकी.
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नए साल अप्रैल 2020 से बीएस-6 मॉडल की नई रोडवेज बसें चलने लगेंगी, जिनसे प्रदूषण कम होगा. साथ ही पुरनी बसों की निलामी कर दी जाएगी.
-एस. के.बनर्जी, क्षेत्रीय प्रबंधक