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बरेली: परिवहन विभाग की नई पहल, प्रदूषण कम करने के लिए चलाई जाएंगी BS-6 बसें

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Published : Nov 8, 2019, 9:27 AM IST

प्रदूषण कम करने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम ने नई योजना शुरू की है. योजना के तहत डीजल कम खपत करने वाले बीएस-6 रोडवेज बसों की शुरूआत की जाएगी. यह बसें पीएम को 80 फीसद तक घटा सकते हैं.

बीएस-6 रोडवेज बसों की होगी शुरुआत.

बरेली: प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम अपनी रोडवेज बसों की तकनीक में बदलाव लाने जा रहा है. जिले में बीएस-2 और बीएस-4 तकनीक की बसें शहर भर में प्रदूषण फैला रही हैं. प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए बीएस-6 तकनीक के इंजन वाली रोडवेज बसें चलाने की योजना बनी है.

बीएस-6 रोडवेज बसों की होगी शुरुआत.

प्रदूषण कम करने के लिए बसों में आई नई तकनीक
बरेली जिला आज प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंच रहा है. उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अधिकारियों के मुताबिक बीएस-6 मॉडल के इंजन डीजल खपत से निकलने वाले पर्टिकुलेट मैटर(पीएम) को 80 फीसद तक घटा सकते हैं, जिससे नाइट्रोजन और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा भी घट जाएगी.

इस समय बरेली और रूहेलखंड डिपो के बेड़े में करीब 223 बसें हैं, जिसमें से करीब 100 से अधिक रोडवेज बसें बीएस-4 तकनीक के इंजन की हैं और बाकी सारी बसें बीएस-2 या फिर उससे पहले की हैं. बीएस-2 की बसें डीजल की खपत ज्यादा करती हैं और ज्यादा प्रदुषण फैलती हैं. हालांकि इससे पहले भी बी एस-5 तकनीक के इंजन वाली बसें चलाने की योजना बनी थी जो धरातल पर नहीं उतर सकी.

इसे भी पढे़ं:- विधि प्रोफेसर की अनूठी मुहिम, पॉलीथिन प्रयोग होने वाले समारोह में जाने से करते हैं परहेज

नए साल अप्रैल 2020 से बीएस-6 मॉडल की नई रोडवेज बसें चलने लगेंगी, जिनसे प्रदूषण कम होगा. साथ ही पुरनी बसों की निलामी कर दी जाएगी.
-एस. के.बनर्जी, क्षेत्रीय प्रबंधक

बरेली: प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम अपनी रोडवेज बसों की तकनीक में बदलाव लाने जा रहा है. जिले में बीएस-2 और बीएस-4 तकनीक की बसें शहर भर में प्रदूषण फैला रही हैं. प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए बीएस-6 तकनीक के इंजन वाली रोडवेज बसें चलाने की योजना बनी है.

बीएस-6 रोडवेज बसों की होगी शुरुआत.

प्रदूषण कम करने के लिए बसों में आई नई तकनीक
बरेली जिला आज प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंच रहा है. उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अधिकारियों के मुताबिक बीएस-6 मॉडल के इंजन डीजल खपत से निकलने वाले पर्टिकुलेट मैटर(पीएम) को 80 फीसद तक घटा सकते हैं, जिससे नाइट्रोजन और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा भी घट जाएगी.

इस समय बरेली और रूहेलखंड डिपो के बेड़े में करीब 223 बसें हैं, जिसमें से करीब 100 से अधिक रोडवेज बसें बीएस-4 तकनीक के इंजन की हैं और बाकी सारी बसें बीएस-2 या फिर उससे पहले की हैं. बीएस-2 की बसें डीजल की खपत ज्यादा करती हैं और ज्यादा प्रदुषण फैलती हैं. हालांकि इससे पहले भी बी एस-5 तकनीक के इंजन वाली बसें चलाने की योजना बनी थी जो धरातल पर नहीं उतर सकी.

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नए साल अप्रैल 2020 से बीएस-6 मॉडल की नई रोडवेज बसें चलने लगेंगी, जिनसे प्रदूषण कम होगा. साथ ही पुरनी बसों की निलामी कर दी जाएगी.
-एस. के.बनर्जी, क्षेत्रीय प्रबंधक

Intro:बरेली। प्रदूषण की समस्या दिन पे दिन बढ़ती जा रही है। इससे निबटने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम भी अपनी रोडवेज बसों की तकनीक में बदलाव लाने जा रहा है। हवा में बढ़ता प्रदूषण का जहर इंसान की सांस फूलाने लगा है। बी एस 2 और बीएस-4 तकनीक की बसें शहर भर में प्रदूषण फैला रही है और उनकी रफ्तार से प्रदूषण ज्यादा हो रहा है ।प्रदूषण कम निकले इसके लिए बी एस 6 तकनीक के इंजन वाली बसें चलाने की योजना बनी है। इन बसों से प्रदूषण कम होगा।


Body:बरेली आज प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच रहा है उससे यह उम्मीद जताई जा सकती है कि निगम तेजी से बसों की तकनीक को बदलेगा। निगम के अधिकारियों के मुताबिक बीएस 6 मॉडल के इंजन डीजल खपत से निकलने वाले पार्टिकल मैटर(पी एम) को 80 फीसद तक घटा सकते हैं जिससे नाइट्रोजन और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा भी घट जाएगी । इस समय बरेली और रूहेलखंड डिपो के बेड़े में करीब 223 बसें हैं जिसमें से करीब 100 से अधिक बसें बीएस-4 तकनीक के इंजन की है। बाकी सारी बसें बीएस-2 या फिर उससे पहले की है जो डीजल की खपत ज्यादा करती है और ज्यादा प्रदुषण फैलती हैं।हालांकि इससे पहले भी बी एस-5 तकनीक के इंजन वाली बसें चलाने की योजना बनी थी जो धरातल पर नहीं उतर सकी ।
क्षेत्रीय प्रबंधक एसके बनर्जी ने बताया कि नई साल अप्रैल 2020 से बी एस सिक्स मॉडल की नई बसें चलने लगेंगी जिनसे प्रदूषण कम होगा।और पुरानी बसों की नीलामी कर दी जाएगी।

बाइट.. एस. के.बनर्जी( क्षेत्रीय प्रबंधक)

सुनील सक्सेना
बरेली ।


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