बरेलीः अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की बयानबाजी पर बरेलवी मसलक के उलेमा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उलेमा का कहना है कि ओवैसी बयानबाजी कर मुसलमानों को गुमराह करने की कोशिश में लगे हैं. तन्जीम उलमा-ए-इस्लाम के महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने कहा कि अयोध्या मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आना था, वो आ चुका है
मौलाना रज़वी ने बताया कि दिल्ली में मुस्लिम संगठनों की बैठक हुई थी. उसमें सभी ने इस पर सहमति जताई थी कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को हम सभी मानेंगे. लेकिन फैसले के दो दिन बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अपने बयान से मुकरने लगा है. उन्हें असहमति ही जाहिर करनी थी, तो दिल्ली की बैठक में बोर्ड के नुमाइंदे ने सहमति का ऐलान क्यों किया था? असदुद्दीन ओवैसी खुद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य हैं. हम उनको सलाह देना चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश का मुसलमान खुद समझदार और जागरूक है. उसको भड़काने की कोशिश न करें.
ओवैसी, हिन्दू और मुसलमानों के दरमियान खत्म हो रही नफरत, भाईचारे और कौमी एकता को नुकसान न पहुंचा रहे हैं. ओवैसी हैदराबाद के सांसद हैं. वे सिर्फ वहीं के लोगों के मसाइल की बात करें. ओवैसी आन्ध्रप्रदेश और तेलांगाना हुकूमत के मुसलमानों पर हो रहे जुल्म की कभी चर्चा नहीं करते. मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने कहा कि मस्जिद कहां बनेगी और उसका स्वरूप क्या होगा? इसको तय करने का अधिकार ओवैसी को नहीं है. इसलिए इस पर फिजूल की भाषणबाजी कर नफरत का माहौल न पैदा करें. सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कहां बनेगी. इसका अधिकार बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी व हाजी महबूब अली को दिया है. ये दोनों लोग कौम और देश के हमदर्द हैं. यह फैसला इन दोनों लोगों के ऊपर छोड़ दिया जाना चाहिए.
आखिर उलेमा क्यों हुए ओवैसी के खिलाफ
हैदराबाद के सांसद व एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी विवादास्पद बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम समाज को अयोध्या में वैकल्पिक स्थान पर पांच एकड़ जमीन देने को कहा है. इस पर ओवैसी ने मुस्लिम समाज को खैरात में जमीन नहीं देने जैसे भड़काऊ बयान दिए. इसके अलावा भी ओवैसी ने कई विवादास्पद टिप्पणियां कीं. इससे उलेमाओं में गुस्सा है.