बरेली: जिस तरह बूंद-बूंद करके घड़ा भरता है, उसी तरह एक-एक रुपये से किसी की लाखों की मदद हो सकती है. इस कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा विभाग के हजारों अध्यापक. ये शिक्षक किसी साथी अध्यापक की मौत के बाद उसके परिवार के नॉमिनी सदस्य के बैंक खाते में लाखों रुपये की मदद पहुंचाते हैं. 4 अध्यापकों द्वारा शुरू किया गया यह कारवां 45,000 अध्यापकों के समूह में बदल गया है. 26 जुलाई 2020 से शुरू हुई मुहीम ने अब तक 9 दिवंगत अध्यापकों के घरवालों को आर्थिक मदद पहुंचाई है. बता दें कि इसी टीम ने बरेली के एक अध्यापक की मौत के बाद उनके घरवालों के खाते में 18 लाख रूपए की आर्थिक मदद की.
परिवार के खाते में पहुंचते हैं लाखों रुपये
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात टीचर विवेकानन्द आर्य, संजीव रजक, सुधेश पाण्डेय और महेंद्र वर्मा ने मिलकर टीचर्स सेल्फ केयर टीम की स्थापना की. टीम की शुरुआत 26 जुलाई 2020 से हुई. शुरुआत में सिर्फ 4 ही टीचर्स ने यह कारवां शुरू किया और अब तक 45,000 अध्यापक इस टीम के सदस्य बन चुके हैं और लगातार अध्यापक जुड़ते जा रहे हैं. बेसिक शिक्षा परिषद् में कार्यरत अध्यापकों की मृत्यु के बाद परिवारों की आर्थिक मदद के लिए टीम का गठन किया गया. टीचर्स सेल्फ केयर से बेसिक एवं माध्यमिक के शिक्षक भी जुड़े हैं. टीचर्स सेल्फ केयर टीम से जुड़ने के लिए शिक्षकों ने वेबसाइट बनाई है, जिसमें रजिस्ट्रेशन करके शिक्षक को अपने नॉमिनी का नाम भर देना होता है. अगर कोई टीम के सदस्य की मौत हो जाती है तो उसके दिवंगत होने पर उसी नॉमिनी के खाते में टीम के सभी शिक्षक मात्र 100 रुपये की सहायता राशि भेजकर मदद करते हैं. 100-100 रूपए से की गयी मदद से दिवंगत अध्यापक के परिवार के खाते में लाखों रूपए पहुंच जाते हैं.
18 लाख रूपए भेजकर की मदद
बरेली में रहने वाले आईटी सेल प्रभारी उवैश खान ने बताया कि हमारी टीम लगातार दिवंगत साथियों की मदद करती रहेगी. अभी लखीमपुर खीरी में तैनात टीम के साथी अध्यापक रवि प्रकाश की मदद का सिलसिला चल रहा है. उनके नॉमनी के खाते में पैसा भेजा जा रहा है. यह टीम पूरे उत्तर प्रदेश के साथियों के साथ काम कर रही है. पिछले दिनों बरेली के भोजीपुरा ब्लॉक क्षेत्र में तैनात टीचर हरेंद्र गंगवार की हार्ट अटैक से मौत हो गयी थी. दिवंगत हरेंद्र गंगवार टीम के सदस्य थे और उनके द्वारा भी टीम के दूसरे दिवंगत टीचरों के घर वालों की मदद की गई थी. जब हरेंद्र गंगवार की मौत हुई तो टीम ने उनके नॉमनी के बैंक खाते में 18 लाख रूपए भेजकर मदद की.
9 दिवंगत अध्यापकों के परिवार को मिली मदद
- प्रयागराज के स्व. शकील अहमद के नामिनी के खाते में लगभग 7 लाख रुपये.
- जालौन के स्व. विनोद चंसोलिया के नामिनी के खाते में लगभग 14 लाख रुपये.
- अमेठी के स्व. अशोक प्रभाकर के नामिनी के खाते में लगभग 15 लाख रुपये.
- जौनपुर के स्व. भारत लाल के नामिनी के खाते में लगभग 16 लाख रुपये.
- बहराइच के स्व अब्बास राईनी के नामिनी के खाते में लगभग 17 लाख रुपये.
- बरेली के स्व हरेंद्र गंगवार के नामिनी के खाते में लगभग 18 लाख रुपये.
- अम्बेडकरनगर की स्व. कुसुमलता तिवारी के नामिनी के खाते में लगभग 19 लाख रुपये.
- भदोही के स्व. त्रिभुवन नाथ पटेल के नामिनी के खाते में लगभग 18 लाख रुपये.
- सहारनपुर के स्व कुंवर पाल के नॉमिनी के खाते में लगभग 19 लाख रुपये.
टीम के सदस्यों ने कहा
टीम के संस्थापक विवेकानंद आर्य ने बताया कि प्रदेश भर में 5 लाख से अधिक शिक्षक कार्यरत हैं. यदि 1 लाख शिक्षक भी एक साथ आ जाएं तो मात्र 10-10 रुपए का सहयोग करके दिवंगत शिक्षक के परिवार को 1 करोड़ रूपये तक की मदद की जा सकती है.
सह संस्थापक सुधेश पाण्डेय का कहना है कि टीम का उद्देश्य दिवंगत शिक्षकों के परिवार का सहारा बनाना है. हम अपने दिवंगत शिक्षकों के परिवार को मात्र 100-100 रुपये की मदद करके लाखों की मदद करने में सक्षम हैं.
सह संस्थापक महेंद्र वर्मा और संजीव रजक का कहना है कि हमारा लक्ष्य हर दिवंगत परिवार की सहायता करना है, इसलिए अधिक से अधिक शिक्षकों को मानवता रूपी पुण्य कार्य करने की ओर कदम उठाया गया है.