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बरेली पशुपालन विभाग का नया प्लान, अब छोटे पशुओं की होगी टैगिंग

बरेली पशुपालन विभाग के पास बरेली-मुरादाबाद मंडल के लिए करीब 9 लाख 42 हजार टैग आ चुके हैं. अब ये टैग छोटे जानवरों को लगाए जाएंगे. अब छोटे जानवरों का भी अपना एक अलग आधार नंबर की तरह ही पहचान नंबर होगा, जिससे उनकी शिनाख्त की जा सकेगी.

डिजाइन इमेज.
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Published : Feb 20, 2021, 7:57 PM IST

बरेली: पशुपालन विभाग अब छोटे पशुओं को भी पहचान देगा, जिसके लिए जल्द ही अभियान की शुरुआत होने वाली है. इसको लेकर शासन स्तर से भी फुलप्रूफ प्लानिंग की जा चुकी है. बता दें कि पशुओं की टैगिंग के काफी फायदे हैं. इसके बाद पशु की अपनी एक निश्चित पहचान हो जाती है. बरेली-मुरादाबाद मंडल हेतु 9 लाख 42 हजार टैग शासन द्वारा भेजे गए हैं.

जानकारी देते पशु चिकित्सा अधिकारी.

पशुपालन विभाग की तरफ से अब तक गोवंश और भैंस की प्रजाति को चिन्हांकित कर एक विशेष नंबर दिया गया था, जिसके अंतर्गत प्रत्येक पशु को एक निश्चित नंबर से पहचान दी गई थी. पशुओं की टैगिंग की गई थी. हालांकि अभी भी ये कार्यक्रम चल रहा है. वहीं अब छोटे जानवरों की भी टैगिंग की जाएगी.

स्मॉल एनिमल्स को मिलेगी पहचान
जिले में पशुपालन विभाग के पास बरेली-मुरादाबाद मंडल के लिए करीब 9 लाख 42 हजार टैग आ चुके हैं. अब ये टैग छोटे जानवरों को लगाए जाएंगे. अब छोटे जानवरों का भी अपना एक अलग आधार नंबर की तरह ही पहचान नंबर होगा, जिससे उनकी शिनाख्त की जा सकेगी. बता दें कि टैगिंग के अपने ही अलग फायदे हैं. इससे न सिर्फ आसानी से अपने पशु की शिनाख्त की जा सकती है बल्कि अगर कहीं पशु गुम हो जाएं तो भी उन्हें आसानी से चिन्हित किया जा सकता है. बशर्ते कि उसके कान में लगाया गया सरकारी टैग हो.

टैगिंग किये जानवरों को मिलते हैं तमाम सरकारी लाभ
अब तो शासन की गाइडलाइन भी है कि जिन पशुओं को टैगिंग होगी, उन्हें ही सरकार की तरफ से लगने वाले खुरपका, मुंहपका और अन्य टीकाकरण से लेकर सरकारी सुविधाओं का लाभ मिलेगा, जिसमें कृत्रिम गर्भाधान भी शामिल है. बता दें कि इस पर अमल भी किया जा रहा है.

टैगिंग को लेकर जागरूक कर रही विभाग की टीम
हालांकि जिम्मेदार मानते हैं कि कुछ लोग पशु की पहचान के लिए लगाए जाने वाले टैग का विरोध भी करते हैं. जिम्मेदार अधिकारी बताते हैं कि लोगों का कहना है पालतू जानवरों पर लोन लेने पर एक टैग पशु के कान में डाला जाता है, जिससे लोग समझते हैं कि यह लोन वाला टैग ही है, जिससे वह लोग टैग लगवाने से मना करते हैं.

डोर टू डोर चल रहा अभियान
जिला पशु चिकित्सा अधिकारी ललित कुमार वर्मा बताते हैं कि जब सामूहिक तौर पर लोगों को समझाया जाता है तो उन्हें समझ में आ जाता है. हालांकि कुछ लोग यह भी कहते हैं कि इससे एक कान में दिक्कत आ जाती है. इन तमाम तरह के भ्रम को दूर करके पशुपालन विभाग की टीम के सदस्य घर-घर जाकर इस अभियान को गति देने में काफी समय से लगे हुए हैं.

सुरक्षित है टैग
जिला पशु चिकित्सा अधिकारी ललित कुमार वर्मा ने बताया कि बरेली जिले में 9 लाख 42 हजार पशु हैं. इनमें से करीब 78% का टैगिंग का कार्य पूरा कर लिया गया है. वहीं अब अगर स्मॉल एनिमल की बात की जाए तो जिले में करीब 1 लाख 30 हजार 533 बकरियां, जबकि 3,087 भेड़ हैं. शूकर की संख्या पर कार्य किया जा रहा है. बता दें कि जिस पशुपालक के घर में जितने पशु होते हैं, उसी के आधार कार्ड पर उन पशुओं का ब्यौरा अपलोड किया जाता है. साथ ही एक खास सुरक्षित नंबर वाला टैग पशुपालक के जानवर को लगाया जाता है.

बरेली: पशुपालन विभाग अब छोटे पशुओं को भी पहचान देगा, जिसके लिए जल्द ही अभियान की शुरुआत होने वाली है. इसको लेकर शासन स्तर से भी फुलप्रूफ प्लानिंग की जा चुकी है. बता दें कि पशुओं की टैगिंग के काफी फायदे हैं. इसके बाद पशु की अपनी एक निश्चित पहचान हो जाती है. बरेली-मुरादाबाद मंडल हेतु 9 लाख 42 हजार टैग शासन द्वारा भेजे गए हैं.

जानकारी देते पशु चिकित्सा अधिकारी.

पशुपालन विभाग की तरफ से अब तक गोवंश और भैंस की प्रजाति को चिन्हांकित कर एक विशेष नंबर दिया गया था, जिसके अंतर्गत प्रत्येक पशु को एक निश्चित नंबर से पहचान दी गई थी. पशुओं की टैगिंग की गई थी. हालांकि अभी भी ये कार्यक्रम चल रहा है. वहीं अब छोटे जानवरों की भी टैगिंग की जाएगी.

स्मॉल एनिमल्स को मिलेगी पहचान
जिले में पशुपालन विभाग के पास बरेली-मुरादाबाद मंडल के लिए करीब 9 लाख 42 हजार टैग आ चुके हैं. अब ये टैग छोटे जानवरों को लगाए जाएंगे. अब छोटे जानवरों का भी अपना एक अलग आधार नंबर की तरह ही पहचान नंबर होगा, जिससे उनकी शिनाख्त की जा सकेगी. बता दें कि टैगिंग के अपने ही अलग फायदे हैं. इससे न सिर्फ आसानी से अपने पशु की शिनाख्त की जा सकती है बल्कि अगर कहीं पशु गुम हो जाएं तो भी उन्हें आसानी से चिन्हित किया जा सकता है. बशर्ते कि उसके कान में लगाया गया सरकारी टैग हो.

टैगिंग किये जानवरों को मिलते हैं तमाम सरकारी लाभ
अब तो शासन की गाइडलाइन भी है कि जिन पशुओं को टैगिंग होगी, उन्हें ही सरकार की तरफ से लगने वाले खुरपका, मुंहपका और अन्य टीकाकरण से लेकर सरकारी सुविधाओं का लाभ मिलेगा, जिसमें कृत्रिम गर्भाधान भी शामिल है. बता दें कि इस पर अमल भी किया जा रहा है.

टैगिंग को लेकर जागरूक कर रही विभाग की टीम
हालांकि जिम्मेदार मानते हैं कि कुछ लोग पशु की पहचान के लिए लगाए जाने वाले टैग का विरोध भी करते हैं. जिम्मेदार अधिकारी बताते हैं कि लोगों का कहना है पालतू जानवरों पर लोन लेने पर एक टैग पशु के कान में डाला जाता है, जिससे लोग समझते हैं कि यह लोन वाला टैग ही है, जिससे वह लोग टैग लगवाने से मना करते हैं.

डोर टू डोर चल रहा अभियान
जिला पशु चिकित्सा अधिकारी ललित कुमार वर्मा बताते हैं कि जब सामूहिक तौर पर लोगों को समझाया जाता है तो उन्हें समझ में आ जाता है. हालांकि कुछ लोग यह भी कहते हैं कि इससे एक कान में दिक्कत आ जाती है. इन तमाम तरह के भ्रम को दूर करके पशुपालन विभाग की टीम के सदस्य घर-घर जाकर इस अभियान को गति देने में काफी समय से लगे हुए हैं.

सुरक्षित है टैग
जिला पशु चिकित्सा अधिकारी ललित कुमार वर्मा ने बताया कि बरेली जिले में 9 लाख 42 हजार पशु हैं. इनमें से करीब 78% का टैगिंग का कार्य पूरा कर लिया गया है. वहीं अब अगर स्मॉल एनिमल की बात की जाए तो जिले में करीब 1 लाख 30 हजार 533 बकरियां, जबकि 3,087 भेड़ हैं. शूकर की संख्या पर कार्य किया जा रहा है. बता दें कि जिस पशुपालक के घर में जितने पशु होते हैं, उसी के आधार कार्ड पर उन पशुओं का ब्यौरा अपलोड किया जाता है. साथ ही एक खास सुरक्षित नंबर वाला टैग पशुपालक के जानवर को लगाया जाता है.

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