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हरदोई: गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल है 100 वर्ष पुरानी बरेली वाले सुरमे की दुकान

उत्तर प्रदेश के हरदोई में लगने वाले मेले में कुछ दुकानें 100 वर्ष से भी पुरानी हैं. ये दुकानें हमेशा से गंगा जमुनी तहजीब को बरकरार रखे हैं. इस मेले में अधिकांश दुकानें हिन्दू समुदाय से ज्यादा मुस्लिम समुदाय के लोगों की हैं.

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बरेली वाले सुरमे की दुकान.
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Published : Feb 25, 2020, 9:08 AM IST

हरदोई: जिले में लगने वाला मेला सैकड़ों वर्ष पुराना है. इस मेले में कुछ ऐसी दुकानें भी हैं, जिनका इतिहास सौ वर्ष से भी ज्यादा पुराना है. इस मेले में सबसे पुरानी दुकान बरेली की है, जो कि सौ वर्षों पुरानी है. ये दुकान बरेली के मशहूर सुरमे की है, जो इस ऐतिहासिक नुमाइश मेले में तब से लग रही है, जब से इस मेले की शुरुआत हुई है. ये नुमाइश मेला राष्ट्रीय एकता और हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक भी हमेशा से रहा है. इसमें मौजूद मोहम्मद हाशमी की सुरमे की दुकान इस मेले की गंगा जमुनी तहजीब को बरकरार रखने में एक अहम किरदार निभाती आई है. इस मेले में अधिकांश दुकानें हिन्दू समुदाय से ज्यादा मुस्लिम समुदाय के लोगों की हैं.

बरेली वाले सुरमे की दुकान.

कौमी एकता की मिसाल है सुरमे की दुकान

हरदोई जिले में आयोजित होने वाले 112 वर्ष पुराने नुमाइश में मेले में कुछ ऐसी दुकानें मौजूद हैं, जो इस मेले को ऐतिहासिक बनाती हैं और कौमी एकता को कायम रखे हुए हैं. ये दुकान है बरेली के मशहूर सुरमे की, जिसको मोहम्मद हाशम के पारिवारिक जन चलाने का काम कर रहे हैं. इस मेले में मौजूद मुस्लिम समुदाय के दुकानदारों में से ये सबसे पुराने दुकानदार हैं, जिनका सुरमा पूरे प्रदेश में मशहूर है. ये इस क्षेत्र के एक बड़े व्यापारी हैं, लेकिन उनके दादा और पिता ने इस मेले में करीब सौ वर्ष पूर्व आना शुरू किया था. इस प्रथा को आज भी उनके पुत्र और सुपौत्र आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं.

भारी संख्या में सुरमा खरीदते हैं लोग

मेले में हर वर्ष एक ही चिन्हित स्थान पर ये दुकान जनपदवासियों को देखने को मिलती है और भारी संख्या में लोग इस मेले की सैकड़ों वर्ष पुरानी दुकान पर सुरमा खरीदने आते हैं और इसके फायदों का लाभ उठाते हैं. सुरमा दुकानदार का कहना है कि जो इनके सुरमे को इस्तेमाल में लाएगा उसको कभी भी चश्मा लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

सबसे पुरानी सुरमे की दुकान से कराया रूबरू

बरेली से आई इस सुरमे की दुकान के मालिक मोहम्म्द साबिर हाशमी ने जानकारी दी कि वह सौ वर्षों से अधिक समय से यहां आ रहे हैं और एक परिवार की भांति इस मेले से जुड़े हुए हैं. उनके पास मौजूद सुरमा से होने वाले फायदों का भी बखान उन्होंने किया. रामलीला और मेला कमेटी के अध्यक्ष राम प्रकाश शुक्ला ने भी इस मेले की सबसे पुरानी सुरमे की दुकान से रूबरू कराया. उन्होंने कहा कि ये दुकान इस मेले में कायम राष्ट्रीय एकता और कौमी एकता को बरकरार रखने में एक अहम किरदार निभा रही है.

हरदोई: जिले में लगने वाला मेला सैकड़ों वर्ष पुराना है. इस मेले में कुछ ऐसी दुकानें भी हैं, जिनका इतिहास सौ वर्ष से भी ज्यादा पुराना है. इस मेले में सबसे पुरानी दुकान बरेली की है, जो कि सौ वर्षों पुरानी है. ये दुकान बरेली के मशहूर सुरमे की है, जो इस ऐतिहासिक नुमाइश मेले में तब से लग रही है, जब से इस मेले की शुरुआत हुई है. ये नुमाइश मेला राष्ट्रीय एकता और हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक भी हमेशा से रहा है. इसमें मौजूद मोहम्मद हाशमी की सुरमे की दुकान इस मेले की गंगा जमुनी तहजीब को बरकरार रखने में एक अहम किरदार निभाती आई है. इस मेले में अधिकांश दुकानें हिन्दू समुदाय से ज्यादा मुस्लिम समुदाय के लोगों की हैं.

बरेली वाले सुरमे की दुकान.

कौमी एकता की मिसाल है सुरमे की दुकान

हरदोई जिले में आयोजित होने वाले 112 वर्ष पुराने नुमाइश में मेले में कुछ ऐसी दुकानें मौजूद हैं, जो इस मेले को ऐतिहासिक बनाती हैं और कौमी एकता को कायम रखे हुए हैं. ये दुकान है बरेली के मशहूर सुरमे की, जिसको मोहम्मद हाशम के पारिवारिक जन चलाने का काम कर रहे हैं. इस मेले में मौजूद मुस्लिम समुदाय के दुकानदारों में से ये सबसे पुराने दुकानदार हैं, जिनका सुरमा पूरे प्रदेश में मशहूर है. ये इस क्षेत्र के एक बड़े व्यापारी हैं, लेकिन उनके दादा और पिता ने इस मेले में करीब सौ वर्ष पूर्व आना शुरू किया था. इस प्रथा को आज भी उनके पुत्र और सुपौत्र आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं.

भारी संख्या में सुरमा खरीदते हैं लोग

मेले में हर वर्ष एक ही चिन्हित स्थान पर ये दुकान जनपदवासियों को देखने को मिलती है और भारी संख्या में लोग इस मेले की सैकड़ों वर्ष पुरानी दुकान पर सुरमा खरीदने आते हैं और इसके फायदों का लाभ उठाते हैं. सुरमा दुकानदार का कहना है कि जो इनके सुरमे को इस्तेमाल में लाएगा उसको कभी भी चश्मा लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

सबसे पुरानी सुरमे की दुकान से कराया रूबरू

बरेली से आई इस सुरमे की दुकान के मालिक मोहम्म्द साबिर हाशमी ने जानकारी दी कि वह सौ वर्षों से अधिक समय से यहां आ रहे हैं और एक परिवार की भांति इस मेले से जुड़े हुए हैं. उनके पास मौजूद सुरमा से होने वाले फायदों का भी बखान उन्होंने किया. रामलीला और मेला कमेटी के अध्यक्ष राम प्रकाश शुक्ला ने भी इस मेले की सबसे पुरानी सुरमे की दुकान से रूबरू कराया. उन्होंने कहा कि ये दुकान इस मेले में कायम राष्ट्रीय एकता और कौमी एकता को बरकरार रखने में एक अहम किरदार निभा रही है.

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