बरेलीः मां शब्द सुनते ही दिल और दिमाग पर दया और त्याग की तस्वीर उभर आती है. बरेली की शालिनी अग्रवाल अरोड़ा भी लावारिस जानवरों के प्रति दया और त्याग की वजह से आज अपनी अलग पहचान बना चुकी हैं. शालिनी आवारा जानवरों के लिए किसी मां से कम नहीं हैं. जब भी उन्हें लावारिस जानवर के घायल होने की सूचना मिलती है तो वो तत्काल जानवर की देखभाल के लिए किसी भी परस्थिति में निकल पड़ती हैं. शालिनी अब तक हजारों लावारिस जानवरों का इलाज करा चुकी हैं.
पिता से मिली प्रेरणा
बरेली के मुंशी नगर की रहने वाली शालिनी अग्रवाल अरोड़ा बताती हैं कि लावारिस पशुओं की देखभाल की प्रेरणा उन्हें उनके पिता से मिली है. बचपन में वह जब अपने पिता के साथ कहीं बाहर जाती थीं और उन्हें कोई घायल पशु दिख जाता था तो उनके पिता उसका इलाज करने के लिए घर ले आते थे. जानवर के ठीक हो जाने पर उसे सुरक्षित स्थान पर छोड़ आते. इसी से सीख लेकर अब तक वो हजारों लावारिस जानवरों का इलाज करा चुकी हैं. उन्हें इस काम को करने में अत्यन्त प्रसन्नता मिलती है.
जानवरों से वफादार कोई नहीं
शालिनी बताती हैं कि इस मतलब की दुनिया में कोई किसी का सगा नहीं है. सिर्फ जानवर ही एक ऐसा प्राणी है, जिसे आप प्यार करें तो वो सारी जिन्दगी आपके प्रति एकसा ही व्यवहार रखता है. उनका कहना है कि जानवर से ज्यादा वफादार आज की इस दुनिया में कोई नहीं है.
प्रेम आश्रम नाम का है शेल्टर होम
शालिनी घर में ही आवारा जानवरों के लिए प्रेम आश्रम नाम से शेल्टर होम चला रही हैं. इसमें मौजूदा समय में करीब 60 जानवर हैं. इन जानवरों का इलाज अब भी चल रहा है. शालिनी अग्रवाल अरोड़ा के इस आश्रम में लावारिस कुत्ते, गाय, सांड , बंदर, बिल्ली , चिड़िया पल रहे हैं.
इस नेक कार्य के लिए पति भी नहीं देते थे साथ
शालिनी का परिवार भी इस नेक काम में उनका साथ देता है. वह बताती हैं कि पहले उनके पति इस काम में उनका साथ नहीं देते थे और कई बार झगड़े भी हुए हैं लेकिन शालिनी ने हार नहीं मानी और आखिरकार जीत उन्हीं की हुई. उनके पति ने भी उनका साथ देना शुरू कर दिया. उनके सारे दोस्त और रिश्तेदार उन्हें सुपर वुमन के नाम से भी बुलाते हैं. अब सभी लोग शालिनी के इस नेक काम में उनका साथ देते हैं.
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जुड़ चुकी हैं कई संस्थाओं से
वर्तमान समय में शालिनी अग्रवाल अरोड़ा पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के लिए काम कर रही हैं. इसके पहले वह मेनका गांधी की संस्था पीएफए के लिए भी काम कर चुकी हैं. इसके बाद उन्होंने अपनी संस्था मर्सी फॉर ऑल बनाई है.
जागरूकता अभियान चलाने का करती हैं कार्य
इसके साथ ही शालिनी स्कूल और कॉलेजों और अन्य संस्थानों में जागरूकता अभियान भी चलाती हैं. पशु प्रेम के चक्कर में शालिनी पर शिकारी जानलेवा हमला भी कर चुके हैं. एक बार बंदरों के मरने की सूचना पर वो अपनी टीम के साथ रामगंगा के किनारे जांच करने पहुंची थीं. वहां उनके ऊपर शिकारियों ने जानलेवा हमला कर दिया था. उस घटना के बाद भी शालिनी आजतक अपने पशु प्रेम को कभी कम नहीं होने दी. वह जहां भी किसी बीमार या घायल पशु-पक्षी को देखती हैं, तुरंत उसे उपचार के लिए ले आती हैं.