बरेली: छोटे और गरीब मुर्गी पालने वाले किसानों के लिए भारतीय पक्षी अनुसंधान संस्थान(सीएआरआई) के वैज्ञानिकों ने एक नई सौगात दी है. इस सौगात को वैज्ञानिकों ने हैचरी नाम दिया है. हैरानगी की बात तो ये है कि यह हैचरी कबाड़ के जरिए और बहुत ही कम दामों पर बनकर तैयार हुई है.
बरेली: साइंटिस्ट ने कबाड़ फ्रिज से बनाई मुर्गीपालकों के लिए हैचरी, कीमत सुनकर उड़ जाएंगे होश
उत्तर प्रदेश के बरेली में सीएआरआई के वैज्ञानिकों ने मुर्गी पालने वाले किसानों के लिए एक किफायती हैचरी का निर्माण किया है. इस हैचरी का निर्माण मात्र 5 हजार रुपये में किया गया है.
सीएआरआई के वैज्ञानिकों ने हैचरी का निर्माण किया
बरेली: छोटे और गरीब मुर्गी पालने वाले किसानों के लिए भारतीय पक्षी अनुसंधान संस्थान(सीएआरआई) के वैज्ञानिकों ने एक नई सौगात दी है. इस सौगात को वैज्ञानिकों ने हैचरी नाम दिया है. हैरानगी की बात तो ये है कि यह हैचरी कबाड़ के जरिए और बहुत ही कम दामों पर बनकर तैयार हुई है.
केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान में फिजियोलॉजी एंड रिप्रोडक्शन विभाग के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर जगवीर सिंह त्यागी ने इस हैचरी का निर्माण किया है. उन्होंने बताया कि यह कम कीमत में इनक्यूबेटर फ्रॉम रिसायकल वेस्ट प्रोजेक्ट के तहत बनाई गई है.
यह होती है हैचरी
हैचरी एक ऐसी सुविधा है जहां कृत्रिम परिस्थितियों में एक निश्चित तापमान पर अंडे की सिंकाई कर मुर्गी के चूजे लिए जाते हैं. हैचरी अंडे से चूजे पैदा करने में प्रयोग किया जाता है.
कबाड़ का किया इस्तेमाल
डॉक्टर जगवीर सिंह ने बताया कि इस हैचरी को बनाने के लिए 700 रुपये के कबाड़ फ्रिज का इस्तेमाल किया गया है.
इनका भी हुआ प्रयोग
इस हैचरी के टेम्परेचर को मेंटेन करने के लिए एक हीटर, पुराना पंखा, पावर सप्लाई के लिये बैटरी, नमी के लिए 5 लीटर की कैन और एक थर्मामीटर का प्रयोग किया गया है.
घर में हो सकेगा इस्तेमाल
सीएआरआई के प्रधान साइंटिस्ट ने खुश होकर बताया कि यह पूरी तरह से रिसाईकल वेस्ट की मदद से तैयार की गई है. इस हैचरी को छोटे मुर्गीपालक अपने घर में आसानी से लगा सकते हैं. पूरी हैचरी को बनाने में कुल 5 हजार का खर्चा आया है.
रखना होगा विशेष ध्यान
हैचरी में मुर्गीपालकों को तीन-तीन घंटे में अंडे पलटने होंगे और तापमान और नमी का ध्यान रखना होगा. वहीं डॉक्टर जगवीर ने बताया कि हैचरी लगाने में सीएआरआई मदद भी करेगी.
बहुत ही किफायती
बाजार में हैचरी मशीनें 75 हजार से लेकर करीब साढ़े 3 लाख तक कीमत की हैं. वहीं यह हैचरी मात्र 5 हजार में तैयार हो जाएगी. महंगाई के दौर में गरीब मुर्गीपालकों के लिए यह हैचरी बहुत ही कारगर सिद्ध होगी.
केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान में फिजियोलॉजी एंड रिप्रोडक्शन विभाग के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर जगवीर सिंह त्यागी ने इस हैचरी का निर्माण किया है. उन्होंने बताया कि यह कम कीमत में इनक्यूबेटर फ्रॉम रिसायकल वेस्ट प्रोजेक्ट के तहत बनाई गई है.
यह होती है हैचरी
हैचरी एक ऐसी सुविधा है जहां कृत्रिम परिस्थितियों में एक निश्चित तापमान पर अंडे की सिंकाई कर मुर्गी के चूजे लिए जाते हैं. हैचरी अंडे से चूजे पैदा करने में प्रयोग किया जाता है.
कबाड़ का किया इस्तेमाल
डॉक्टर जगवीर सिंह ने बताया कि इस हैचरी को बनाने के लिए 700 रुपये के कबाड़ फ्रिज का इस्तेमाल किया गया है.
इनका भी हुआ प्रयोग
इस हैचरी के टेम्परेचर को मेंटेन करने के लिए एक हीटर, पुराना पंखा, पावर सप्लाई के लिये बैटरी, नमी के लिए 5 लीटर की कैन और एक थर्मामीटर का प्रयोग किया गया है.
घर में हो सकेगा इस्तेमाल
सीएआरआई के प्रधान साइंटिस्ट ने खुश होकर बताया कि यह पूरी तरह से रिसाईकल वेस्ट की मदद से तैयार की गई है. इस हैचरी को छोटे मुर्गीपालक अपने घर में आसानी से लगा सकते हैं. पूरी हैचरी को बनाने में कुल 5 हजार का खर्चा आया है.
रखना होगा विशेष ध्यान
हैचरी में मुर्गीपालकों को तीन-तीन घंटे में अंडे पलटने होंगे और तापमान और नमी का ध्यान रखना होगा. वहीं डॉक्टर जगवीर ने बताया कि हैचरी लगाने में सीएआरआई मदद भी करेगी.
बहुत ही किफायती
बाजार में हैचरी मशीनें 75 हजार से लेकर करीब साढ़े 3 लाख तक कीमत की हैं. वहीं यह हैचरी मात्र 5 हजार में तैयार हो जाएगी. महंगाई के दौर में गरीब मुर्गीपालकों के लिए यह हैचरी बहुत ही कारगर सिद्ध होगी.
Intro:बरेली। छोटे और गरीब मुर्गी पालने वाले किसानों के लिए भारतीय पक्षी अनुसंधान संस्थान(सीएआरआई) के साइंटिस्ट ने एक सौगात दी है।
इस सौगात को वैज्ञानिकों ने हैचरी नाम दिया है। जो हैचरी बनी है वो कबाड़ और बहुत ही कम दामों में तैयार हुई है।
Body:सीएआरआई के प्रधान वैज्ञानिक ने की तैयार
केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान में फिजियोलॉजी एंड रिप्रोडक्शन विभाग के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर जगवीर सिंह त्यागी ने इस हैचरी का निर्माण किया है। उन्होंने बताया कि यह लो कॉस्ट इनक्यूबेटर फ्रॉम रिसायकल वेस्ट प्रोजेक्ट के तहत बनाई गई है।
यह होती है हैचरी
उन्होंने बताया कि हैचरी एक ऐसी सुविधा है जहां कृत्रिम परिस्थितियों में एक निश्चित तापमान पर अंडे की सिंकाई कर मुर्गी के चूजे लिए जाते हैं। हैचरी अंडे से चूजे पैदा करने में प्रयोग किया जाता है।
कबाड़ का किया इस्तेमाल
डॉक्टर जगवीर सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए बताया कि इस हैचरी को बनाने के लिए 700 रुपये के कबाड़ फ्रिज का इस्तेमाल किया गया है।
इनका भी हुआ प्रयोग
उन्होंने बताया कि इस हैचरी के टेम्परेचर को मेंटेन करने के लिए एक हीटर, पुराना पंखा, पावर सप्लाई के लिये बैटरी, नमी के लिए 5 लीटर की कैन और एक थर्मामीटर का प्रयोग किया गया है।
घर में हो सकेगा इस्तेमाल
सीएआरआई के प्रधान साइंटिस्ट ने खुश होकर बताया कि यह पूरी तरह से रिसाईकल वेस्ट की मदद से तैयार की गई है। इस हैचरी को छोटे मुर्गीपालक अपने घर में आसानी से लगा सकते हैं। उन्होंने बताया कि पूरी हैचरी को बनाने में कुल 5 हज़ार का खर्चा आया है।
रखना होगा विशेष ध्यान
उन्होंने बताया कि इस हैचरी में मुर्गीपालकों को तीन-तीन घंटे में अंडे पलटने होंगे और तापमान और नमी का ध्यान रखना होगा। वहीं डॉक्टर जगवीर ने बताया कि हैचरी लगाने में सीएआरआई मदद भी करेगी।
बहुत ही किफायती
डॉक्टर जगवीर ने बताया कि बाजार में हैचरी मशीनें 75 हज़ार से लेकर करीब साढ़े 3 लाख तक कीमत की हैं। वहीं यह हैचरी मात्र 5 हज़ार में तैयार हो जाएगी।
Conclusion:महंगाई के दौर में गरीब मुर्गीपालकों के लिए यह हैचरी बहुत ही कारगर सिद्ध होगी।
अनुराग मिश्र
8318122246
इस सौगात को वैज्ञानिकों ने हैचरी नाम दिया है। जो हैचरी बनी है वो कबाड़ और बहुत ही कम दामों में तैयार हुई है।
Body:सीएआरआई के प्रधान वैज्ञानिक ने की तैयार
केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान में फिजियोलॉजी एंड रिप्रोडक्शन विभाग के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर जगवीर सिंह त्यागी ने इस हैचरी का निर्माण किया है। उन्होंने बताया कि यह लो कॉस्ट इनक्यूबेटर फ्रॉम रिसायकल वेस्ट प्रोजेक्ट के तहत बनाई गई है।
यह होती है हैचरी
उन्होंने बताया कि हैचरी एक ऐसी सुविधा है जहां कृत्रिम परिस्थितियों में एक निश्चित तापमान पर अंडे की सिंकाई कर मुर्गी के चूजे लिए जाते हैं। हैचरी अंडे से चूजे पैदा करने में प्रयोग किया जाता है।
कबाड़ का किया इस्तेमाल
डॉक्टर जगवीर सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए बताया कि इस हैचरी को बनाने के लिए 700 रुपये के कबाड़ फ्रिज का इस्तेमाल किया गया है।
इनका भी हुआ प्रयोग
उन्होंने बताया कि इस हैचरी के टेम्परेचर को मेंटेन करने के लिए एक हीटर, पुराना पंखा, पावर सप्लाई के लिये बैटरी, नमी के लिए 5 लीटर की कैन और एक थर्मामीटर का प्रयोग किया गया है।
घर में हो सकेगा इस्तेमाल
सीएआरआई के प्रधान साइंटिस्ट ने खुश होकर बताया कि यह पूरी तरह से रिसाईकल वेस्ट की मदद से तैयार की गई है। इस हैचरी को छोटे मुर्गीपालक अपने घर में आसानी से लगा सकते हैं। उन्होंने बताया कि पूरी हैचरी को बनाने में कुल 5 हज़ार का खर्चा आया है।
रखना होगा विशेष ध्यान
उन्होंने बताया कि इस हैचरी में मुर्गीपालकों को तीन-तीन घंटे में अंडे पलटने होंगे और तापमान और नमी का ध्यान रखना होगा। वहीं डॉक्टर जगवीर ने बताया कि हैचरी लगाने में सीएआरआई मदद भी करेगी।
बहुत ही किफायती
डॉक्टर जगवीर ने बताया कि बाजार में हैचरी मशीनें 75 हज़ार से लेकर करीब साढ़े 3 लाख तक कीमत की हैं। वहीं यह हैचरी मात्र 5 हज़ार में तैयार हो जाएगी।
Conclusion:महंगाई के दौर में गरीब मुर्गीपालकों के लिए यह हैचरी बहुत ही कारगर सिद्ध होगी।
अनुराग मिश्र
8318122246