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बरेलीः मंदिर-मस्जिद से एक साथ गूंजी श्रद्धा-अकीदत की सदा

बरेली वह शहर है जिसकी पहचान आला हजरत से है. जो सात नाथों की नगरी है. उसमें अमन (सौहार्द) का ऐसा चमन है, जिसकी साखें मुहब्बत के फूलों से झुकी हैं. बागबानों की नस्लें अपने पुरखों की विरासत को ज्यों का त्यों संजोए हैं.

हिंदू-मुस्लिम एक साथ अपनी भक्ति-अकीदत में  रहे लीन
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Published : Aug 12, 2019, 2:10 PM IST

बरेलीः सोमवार को फिर शहर की फिजा को मुहब्बत की खुशबू से तर करने का मौका मिला. बकरीद पर सौहार्द के सावन की घटा यही संदेश लेकर आई, यह नजारा बेहद दिलचस्प रहा. एक तरफ मंदिरों से घंटियों की आवाजें गूंजीं. गंगा से लाए जल से भक्तों ने भोले का जलाभिषेक किया. दूसरी ओर मस्जिदों से अजान की सदा आई.

हिंदू-मुस्लिम एक साथ अपनी भक्ति-अकीदत में रहे लीन.

गोरखपुर: बकरीद की नमाज अदा कर अकीदतमंदों ने दिया भाईचारे का संदेश

अकीदतमंदों ने ईदगाह-मस्जिदों में ईद-उल-अजहा (बकरीद) की नमाज अदा की. भारतीय संस्कृति में रची-बसी गंगा-जमुनी तहजीब के ये वो अनमोल लम्हें हैं, जब हिंदू-मुस्लिम एक साथ अपनी भक्ति-अकीदत में लीन रहे.

सौहार्द का जल

तुम भी पियो-हम भी पिएं रब की मेहरबानी-प्यार के कटोरे में गंगा का पानी... भारतीय संस्कृति की गंगा-जमुनी तहजीब को दर्शातीं शायर मंजर भोपाली की यह लाइनें जीवंत हो उठीं. भोले के भक्तों का काफिला गंगाजल लेकर शहर में दाखिल हुआ. उनकी सेवा के लिए मुस्लिम समाज के बजुर्ग-नौजवान जुटे थे. मुस्लिम बुजुर्ग शिवभक्तों को बड़ी आत्मीयता के साथ पानी पिलाते नजर आए. सौहार्द के सावन का खूबसूरत नजारा कैमरे में कैद हो गया.

सोनभद्र: सावन के अंतिम सोमवार पर जलाभिषेक के लिए बाल कावड़ियों का जत्था रवाना

श्रावण मास का अंतिम सोमवार और बकरीद दोनों एक दिन है. दोनों ही समुदाय एक दूसरे की भावनाओं का पूरा ख्याल रखते हुए अपना त्योहार मनाए.

-देवकी नंदन जोशी, आचार्य, श्री धोपेश्वरनाथ मंदिर

बकरीद पर मुसलमानों ने गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की. यह आला हजरत का शहर है. सभी इसके अमन की जिम्मेदारी निभाएं.

- मुफ्ती असजद मियां, सज्जादानशीन दरगाह-ए-ताजुश्शरिया

बरेलीः सोमवार को फिर शहर की फिजा को मुहब्बत की खुशबू से तर करने का मौका मिला. बकरीद पर सौहार्द के सावन की घटा यही संदेश लेकर आई, यह नजारा बेहद दिलचस्प रहा. एक तरफ मंदिरों से घंटियों की आवाजें गूंजीं. गंगा से लाए जल से भक्तों ने भोले का जलाभिषेक किया. दूसरी ओर मस्जिदों से अजान की सदा आई.

हिंदू-मुस्लिम एक साथ अपनी भक्ति-अकीदत में रहे लीन.

गोरखपुर: बकरीद की नमाज अदा कर अकीदतमंदों ने दिया भाईचारे का संदेश

अकीदतमंदों ने ईदगाह-मस्जिदों में ईद-उल-अजहा (बकरीद) की नमाज अदा की. भारतीय संस्कृति में रची-बसी गंगा-जमुनी तहजीब के ये वो अनमोल लम्हें हैं, जब हिंदू-मुस्लिम एक साथ अपनी भक्ति-अकीदत में लीन रहे.

सौहार्द का जल

तुम भी पियो-हम भी पिएं रब की मेहरबानी-प्यार के कटोरे में गंगा का पानी... भारतीय संस्कृति की गंगा-जमुनी तहजीब को दर्शातीं शायर मंजर भोपाली की यह लाइनें जीवंत हो उठीं. भोले के भक्तों का काफिला गंगाजल लेकर शहर में दाखिल हुआ. उनकी सेवा के लिए मुस्लिम समाज के बजुर्ग-नौजवान जुटे थे. मुस्लिम बुजुर्ग शिवभक्तों को बड़ी आत्मीयता के साथ पानी पिलाते नजर आए. सौहार्द के सावन का खूबसूरत नजारा कैमरे में कैद हो गया.

सोनभद्र: सावन के अंतिम सोमवार पर जलाभिषेक के लिए बाल कावड़ियों का जत्था रवाना

श्रावण मास का अंतिम सोमवार और बकरीद दोनों एक दिन है. दोनों ही समुदाय एक दूसरे की भावनाओं का पूरा ख्याल रखते हुए अपना त्योहार मनाए.

-देवकी नंदन जोशी, आचार्य, श्री धोपेश्वरनाथ मंदिर

बकरीद पर मुसलमानों ने गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की. यह आला हजरत का शहर है. सभी इसके अमन की जिम्मेदारी निभाएं.

- मुफ्ती असजद मियां, सज्जादानशीन दरगाह-ए-ताजुश्शरिया

Intro:बरेली : वह शहर जिसकी पहचान आला हजरत से है। जो सात नाथों की नगरी है...उसमें अमन (सौहार्द) का ऐसा चमन है, जिसकी साखें मुहब्बत के फूलों से झुकी हैं। बागबानों की नस्लें अपने पुरखों की विरासत को ज्यों का त्यों संजोए हैं। वर्तमान और इतिहास, दोनों ऐसी कई अनूठी मिसालों के साक्षी हैं। सोमवार को फिर शहर की फिजा को मुहब्बत की खुशबू से तर करने का मौका मिला।

बकरीद पर सौहार्द के सावन की घटा यही संदेश लेकर आई है। सोमवार की किरण भक्ति (रूहानियत) की बहार लाई। नजारा, बेहद दिलचस्प रहा। एक तरफ मंदिरों से घंटियों की आवाजें गूंजीं। गंगा से जल लाए भोले के भक्तों का रैला जलाभिषेक करता रहा। दूसरी ओर मस्जिदों से अजान की सदा आई। अकीदतमंद ईदगाह-मस्जिदों में ईद-उल-अजहा (बकरीद) की नमाज अदा करने जुटे। भारतीय संस्कृति में रची-बसी गंगा-जमुनी तहजीब के ये वो अनमोल लम्हें रहे, जब हिंदू-मुस्लिम एक साथ अपनी भक्ति-अकीदत मेंं लीन रहे। आइए, इस दिन को सामाजिक सौहार्द की मिसाल बना दें।

सौहार्द का जल : तुम भी पियो-हम भी पिएं रब की मेहरबानी-प्यार के कटोरे में गंगा का पानी..। भारतीय संस्कृति की गंगा-जमुनी तहजीब को दर्शातीं शायर मंजर भोपाली की यह लाइनें रविवार को जीवंत हो उठीं। भोले के भक्तों का काफिला गंगाजल लेकर शहर में दाखिल हुआ। उनकी सेवा के लिए मुस्लिम समाज के बजुर्ग-नौजवान जुटे थे। इसी में यह मुस्लिम बुजुर्ग एक शिव भक्त को बड़ी आत्मीयता के साथ पानी पिलाते नजर आए। सौहार्द के सावन का खूबसूरत नजारा कैमरे में कैद हो गया।


श्रावण मास का अंतिम सोमवार और बकरीद दोनों एक दिन है। दोनों ही समुदाय एक दूसरे की भावनाओं का पूरा ख्याल रखते अपना अपना त्योहार मनाए। - देवकी नंदन जोशी, आचार्य, ठाकुरद्वारा श्री धोपेश्वरनाथ मंदिर


दूसरों की भावनाओं का ध्यान रखें

ईद-उल-अजहा (बकरीद) पर मुसलमानों को गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करनी है। नमाज के बाद बंद घर में कुर्बानी करें। दूसरों की धार्मिक भावना का ख्याल रखें। कोई भी शख्स न तो नई परंपरा न डाले न ही प्रतिबंधित पशु कुर्बान करें। यह आला हजरत का शहर है। सभी इसके अमन की जिम्मेदारी निभाएं। - मुफ्ती असजद मियां, सज्जादानशीन दरगाह-ए-ताजुश्शरिया Body:श्रवण मास का अंतिम सोमवार और बकरीद दोनों एक दिन है। दोनों ही समुदाय एक दूसरे की भावनाओं का पूरा ख्याल रखते अपना अपना त्योहार मनाए। - देवकी नंदन जोशी, आचार्य, ठाकुरद्वारा श्री धोपेश्वरनाथ मंदिर


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