बरेलीः कोरोना संक्रमण के कारण बीमारी और मौतें तो हुई ही हैं, तमाम व्यापार भी 'मरने' की कगार पर हैं. कोरोना संक्रमण और इसके कारण लगे जनता कर्फ्यू ने कई कारोबार को रसातल में पहुंचा दिया है. खासतौर से रेस्टोरेंट और कैटरिंग का व्यापार तो बिल्कुल चौपट होने की कगार पर है. बरेली के तमाम रेस्टोरेंट और बैंकट हॉल संचालक मंदी से परेशान हैं. कैटरिंग का काम करने वाले तमाम विकल्प ढूंढ़ रहे हैं पर कोई उपाय नजर नहीं आ रहा. ढाबे-होटल पर संचालक दिनभर ग्राहकों की राह देखते हैं मगर इक्का-दुक्का लोग आते हैं.
शादी समारोह में गाइड लाइन बड़ी समस्या
जनता कर्फ्यू और कोरोना संक्रमण के डर से पहले ही ग्राहक कम थे. फिर शादी समारोह के लिए बैंकट हॉल व मंडपों में मेहमानों के लिए संख्या सीमित कर दी गई. इससे शादी समारोह के तमाम आर्डर कैंसिल हो गए. ऐसे में मंदी की मार बढ़ती चली गई.
रियलिटी चेक
ईटीवी भारत ने बरेली में रियलिटी चेक किया. ये जानने की कोशिश की कि आखिर पिछले एक वर्ष से केटरर्स किस हाल में हैं, वहीं दूसरी तरफ इसके साथ ही शादी समारोहों को उत्सव के तरह आयोजित कराने वाले बैंकट हाल व होटल रेस्टोरेंट उद्योग के कैसे हालात हैं...
ये बोले संचालक
शहर के कई प्रसिद्ध कैटरर्स से बात की तो उनका कहना है कि कोरोना की जो दूसरी लहर आई तो इस लहर के चलते जो लॉकडाउन लगा, उसने उनकी कमर ही तोड़ दी. शादी समारोहों को उत्सव के तौर पर मनाए जाने का अपने देश में चलन है लेकिन कोरोना की वजह से शासन ने जब कोरोना के दृष्टिगत जो गाइडलाइंस बनाईं तो उसमें शादी समारोहों समेत तमाम उत्सवों के लिए सीमित संख्या तय करने से जैसे होटल व मंडपो व बैंकेट हॉल संचालकों के सामने दिक्कतें खड़ी हो गईं.
संकट के समय कर्ज में डूबते व्यापारी...
बैंकट हॉल एसोसिएशन बरेली के अध्यक्ष गोपेश ने ईटीवी भारत को बताया कि उनकी अर्थव्यवस्था डगमगा चुकी है, वो पिछले एक वर्ष से बुरे दौर से गुजर रहे हैं. उन्होंने बताया कि एक समारोह अगर बैंकट हॉल या होटल में अगर होता था तो सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलता था, लेकिन सीमित संख्या में शादी उत्सव की आयोजन की परमिशन के नियम व शर्तों की वजह से शादी की जो बुकिंग थीं वो भी कैंसिल हो गईं. कुछ ने बताया कि हालात बाद से बदतर हैं, जबकि सरकार से कोई सहारा भी किसी तरह का नहीं दिख रहा है. उन्होंने बताया कि तमाम तरह के खर्चे हैं, वहीं, ऐसे में उनपर जो बैंकों के लोन हैं वो देनदारी भी लगातार बढ़ती जा रही है.
खानपान से जुड़े धंधे हुए चौपट...
बरेली में हजारों कैटरर्स हैं,जबकि करीब साढ़े तीन सौ मंडप हैं. 500 से अधिक छोटे-बड़े होटल रेस्टोरेंट्स व ढाबे हैं. इन में काफी लोग काम करते थे और अपने परिवार को पालते थे लेकिन कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन ने सब कुछ खराब कर दिया.
होम डिलीवरी सर्विस दे रहे रेस्टोरेंट
रेस्टोरेंट संचालकों का कहना है कि इस बार लॉकडाउन की वजह से रेस्तरां में कोई ग्राहक तो आ नहीं सकता लेकिन कुछ ई कॉमर्स कंपनियों की वजह से वो ऑनलाइन जुड़कर ग्राहकों तक भोजन उपलब्ध करा पा रहे हैं.
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खर्चे कम करने को स्टाफ की कर दी छंटनी
शहर के प्रसिद्ध रेस्टोरेंट संचालकों से भी बात की तो उनका कहना है कि उन्हें कामकाज ठीक से न चल पाने की वजह से अपने आधे स्टाफ को हटाना पड़ा है.