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बरेली में सपा और भाजपा की जीत का दारोमदार निर्दलीयों के कंधों पर

यूपी के बरेली में जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव दिलचस्प होता जा रहा है. जिले में 26 जिला पंचायत सदस्य सपा के जीते थे और भाजपा के 13 सदस्य जीते थे. जीत दर्ज कराने के लिए 31 सदस्य होने चाहिए. ऐसे में गेंद निर्दलीय और अन्य दलों के मतदाता सदस्यों के पाले में है.

जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव
जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव
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Published : Jul 1, 2021, 5:30 PM IST

Updated : Jul 1, 2021, 6:49 PM IST

बरेली: जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में अब ज्यादा समय नहीं रह गया है. वहीं बरेली में यह चुनाव बेहद दिलचस्प होता जा रहा है. 60 जिला पंचायत सदस्यों वाले इस जिले में समाजवादी पार्टी के 26 जिला पंचायत सदस्य जीते थे जबकि, भाजपा समर्थित सदस्त महज 13 हैं. जीत दर्ज कराने के लिए मैजिक नम्बर 31 को छूना जरुरी है. ऐसे में कौन किसका खेवनहार बनेगा और जीत का सेहरा किसके सिर सजेगा, इसे लेकर सारा दारोमदार निर्दलीय और अन्य दलों के मतदाता सदस्यों पर है.

3 जुलाई को जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव होना है. दोपहर होते-होते परिणाम भी सामने होंगे. बरेली में समाजवादी पार्टी और भाजपा ने यहां अपने-अपने प्रत्याशी को मैदान में उतारा है. बरेली में अध्यक्ष पद की कुर्सी महिला के लिए आरक्षित है. बरेली फिलहाल भाजपा का गढ़ है, क्योंकि केंद्रीय मंत्री सन्तोष गंगवार बरेली के सांसद हैं. वहीं जिले में सभी विधायक भी भाजपा के ही हैं, लेकिन जो बात पार्टी को परेशान कर रही है वह 60 जिला पंचायत सदस्यों वाले बरेली जिले में भाजपा के 13 समर्थित सदस्यों का होना है.

सपा और भाजपा की जीत का दारोमदार निर्दलीयों के कंधों पर

बरेली में जिला पंचायत चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन, मैजिक नम्बर से चूक गई, क्योंकि अध्यक्ष पद हासिल करने के लिए 31 जिला पंचायत सदस्य होने चाहिए. ऐसे में सपा भी निर्दलीय जीत कर आए सदस्यों और अन्य दलों के सदस्यों के समर्थन मिलने की बात करके अपना दावा रख रही है. दावा किया जा रहा है कि पार्टी की उम्मीदवार विनीता गंगवार बरेली में सपा को जीत दिलाएंगी.

भाजपा के नेताओं ने तो इस दौरान कई कार्यक्रमों में एकजुटता दिखाने की भी कोशिश की है. स्वयं केंद्रीय मंत्री सन्तोष गंगवार का कहना है कि ये कोई सिम्बल पर चुनाव नहीं हो रहा है. हालांकि दावा बराबर किया जा रहा है कि जीत भाजपा की तरफ से घोषित की गई प्रत्याशी रश्मि पटेल की ही होगी.

ऐसे में जब सपा का दावा ज्यादा मजबूत है, वहीं बीजेपी नेताओं के लिए यहां अपनी साख बचाना एक बड़ी चुनौती है. अब देखने वाली बात यह है कि ये करिश्मा कैसे होगा. फिलहाल सपा की तरफ से यहां बीजेपी पर तमाम आरोप लगाए जा रहे हैं लेकिन, ऐसे में गेंद जिनके पाले में है वह निर्दलीय सदस्य और बीएसपी के समर्थित सदस्य कहीं किसी मंच पर दिखाई नहीं दे रहे हैं.

बरेली: जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में अब ज्यादा समय नहीं रह गया है. वहीं बरेली में यह चुनाव बेहद दिलचस्प होता जा रहा है. 60 जिला पंचायत सदस्यों वाले इस जिले में समाजवादी पार्टी के 26 जिला पंचायत सदस्य जीते थे जबकि, भाजपा समर्थित सदस्त महज 13 हैं. जीत दर्ज कराने के लिए मैजिक नम्बर 31 को छूना जरुरी है. ऐसे में कौन किसका खेवनहार बनेगा और जीत का सेहरा किसके सिर सजेगा, इसे लेकर सारा दारोमदार निर्दलीय और अन्य दलों के मतदाता सदस्यों पर है.

3 जुलाई को जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव होना है. दोपहर होते-होते परिणाम भी सामने होंगे. बरेली में समाजवादी पार्टी और भाजपा ने यहां अपने-अपने प्रत्याशी को मैदान में उतारा है. बरेली में अध्यक्ष पद की कुर्सी महिला के लिए आरक्षित है. बरेली फिलहाल भाजपा का गढ़ है, क्योंकि केंद्रीय मंत्री सन्तोष गंगवार बरेली के सांसद हैं. वहीं जिले में सभी विधायक भी भाजपा के ही हैं, लेकिन जो बात पार्टी को परेशान कर रही है वह 60 जिला पंचायत सदस्यों वाले बरेली जिले में भाजपा के 13 समर्थित सदस्यों का होना है.

सपा और भाजपा की जीत का दारोमदार निर्दलीयों के कंधों पर

बरेली में जिला पंचायत चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन, मैजिक नम्बर से चूक गई, क्योंकि अध्यक्ष पद हासिल करने के लिए 31 जिला पंचायत सदस्य होने चाहिए. ऐसे में सपा भी निर्दलीय जीत कर आए सदस्यों और अन्य दलों के सदस्यों के समर्थन मिलने की बात करके अपना दावा रख रही है. दावा किया जा रहा है कि पार्टी की उम्मीदवार विनीता गंगवार बरेली में सपा को जीत दिलाएंगी.

भाजपा के नेताओं ने तो इस दौरान कई कार्यक्रमों में एकजुटता दिखाने की भी कोशिश की है. स्वयं केंद्रीय मंत्री सन्तोष गंगवार का कहना है कि ये कोई सिम्बल पर चुनाव नहीं हो रहा है. हालांकि दावा बराबर किया जा रहा है कि जीत भाजपा की तरफ से घोषित की गई प्रत्याशी रश्मि पटेल की ही होगी.

ऐसे में जब सपा का दावा ज्यादा मजबूत है, वहीं बीजेपी नेताओं के लिए यहां अपनी साख बचाना एक बड़ी चुनौती है. अब देखने वाली बात यह है कि ये करिश्मा कैसे होगा. फिलहाल सपा की तरफ से यहां बीजेपी पर तमाम आरोप लगाए जा रहे हैं लेकिन, ऐसे में गेंद जिनके पाले में है वह निर्दलीय सदस्य और बीएसपी के समर्थित सदस्य कहीं किसी मंच पर दिखाई नहीं दे रहे हैं.

Last Updated : Jul 1, 2021, 6:49 PM IST
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