बरेली : पीएम मोदी ने शहरों की दिशा व दशा बदलने के लिए स्मार्ट सिटी बनाए जाने की घोषणा की थी. जिसके तहत यूपी के अलीगढ़, मुरादाबाद, सहारनपुर समेत अन्य कई शहरों के साथ-साथ बरेली की भी सूरत बदलनी थी. जिसको लेकर बरेली शहर के चौक-चौराहों पर तमाम निर्माण कार्य चल रहे हैं. लेकिन हाल फिलहाल में जो कुछ महानगर में निर्माण हो रहा है, उससे शहर का हुलिया ही बिगड़ गया है. शहर वासियों का जीना दूभर हो गया है.
नौकरी पेशा वाले लोगों का गड़बड़ा रहा टाइम मैनेजमेंट
ढाई साल से भी ज्यादा का समय हो चुका है, मगर अभी भी बरेली में धुंध के गुबार, सड़कों में गड्ढे, अनियंत्रित ट्रैफिक, जाम का झाम, सीवर प्रॉब्लम, पेयजल की समस्या से निजात नहीं मिल सकी है. यही वजह है कि राह चलते हर किसी को तकलीफें झेलनी पड़ रही हैं. लोगों को अपनी ड्यूटी पर समय से पहुंचने के लिए अधिक समय खर्च करना पड़ रहा है.
नगर निगम और कार्यदाई संस्थाओं की कार्यशैली से लोग नाराज
निर्माण में लगी कार्यदाई संस्थाओं की रफ्तार से लोग नाखुश हैं. आलम ये है कि जिस रास्ते या चौराहे से आप कुछ देर पहले गुजरे हों कुछ देर बाद वो मार्ग पूर्ववत हो ये जरूरी नहीं है, जिससे स्थानीय लोगों में नाराजगी है.
प्रोजेक्ट्स की रफ्तार सुस्त होने से रोजगार हो रहे प्रभावित
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत चलने वाले कार्य शहर भर में हालांकि संचालित हैं. लेकिन महानगर वासियों को हाल फिलहाल परेशानियों को झेलना तो आम बात हो गई है. चौक-चौराहों पर खुदाई कार्य संचालित हैं. महानगर को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए कई फ्लाईओवर का काम चल रहा है. लेकिन निर्माण कार्य की रफ्तार बहुत सुस्त है. लोगों का कहना है कि सड़कों और चौराहों के पास के प्रतिष्ठानों में तो जैसे ग्राहकों का टोटा हो गया है. दुकानदारों का कहना है कि लोग धूल व धुंध में शॉपिंग करने नहीं जा रहे हैं. दूसरी तरफ स्थानीय व्यवसाई व उन प्रतिष्ठानों पर कार्य करने वालों को दिक्कतें हो रही हैं, जिससे उनका कारोबार प्रभावित हो रहा है.
स्वास्थ्य पर पड़ रहा प्रदूषण का दुष्प्रभाव, बढ़ रहे नेत्र विकार
पिछले कुछ समय से तो एक के बाद एक कई प्रोजेक्टर यहां महानगर में शुरू कर दिए गए हैं, उससे दिक्कत ये आ रही है कि खुली हवा में जहर जैसे घुल रहा है. सबसे अधिक प्रभाव पड़ रहा है नाजुक आंखों पर. लोगों को गम्भीर बीमारियां होने का खतरा मंडरा रहा है. सीतापुर नेत्र चिकित्सालय के अधीक्षक वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ व सर्जन डॉक्टर वीवी सिंह सिद्दू कहते हैं कि निर्माण कार्यों का सर्वाधिक असर आंखों को प्रभावित कर रहा है. उन्होंने बताया कि "बरेली में रात्रि में तारे भी दिखाई नहीं देते"
आंखों के साथ न होने दें खिलवाड़, करें ये उपाय
वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ व सर्जन डॉक्टर वीवी सिद्धू कहते हैं कि आंखों को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक है, बार बार पानी से धुलें. वहीं उन्होंने कहा कि साथ ही इंफेक्शन से बचने के के लिए जो भी माध्यम इश्तेमाल कर सकते हैं करें. उन्होंने बताया कि आंखों को सुरक्षित रखने को कोई अच्छा लुब्रिकेंट अवश्य डालें ताकि आंखें सुरक्षित रह सकें.
एम्बुलेंस का फंसना हुआ आम बात
नागरिकों का मानना है कि जो कार्य बरेली में चल रहे हैं, उनकी रफ्तार बेहद सुस्त है. एम्बुलेंस अक्सर जाम में फंसती हैं. हालांकि ट्रैफिक कर्मी अपनी तरफ से पूरी कोशिश करते हैं, आवागमन को सुगम बनाने को, लेकिन रूट डायवर्जन, चौक चौराहों पर अचानक से मार्ग अवरुद्ध करने से सारा सिस्टम गड़बड़ा जाता है. लोगों को जाम तो झेलना ही पड़ रहा है. मरीजों की तो जान पर ही बन आती है. एम्बुलेंस चलाने वाले एक चालक अफरोज ने बताया कि मरीज को समय से पहुंचाना बड़ी चुनौतियों से भरा होता है. वो कहते हैं कि कई बार तो ऐसे हालात आ चुके जब उन्हें जाम में फंसने पर मरीज को ऑक्सीजन तक लगानी पड़ गयी.
हालांकि देखा जाए तो शहर में अधिकतर प्रोजेक्ट्स पर कार्य जारी हैं. लेकिन कब तक बरेली स्मार्ट सिटि बनेगा, इसका इंतजार हर किसी को है. वहीं सभी लोग अभी सारी दिक्कतों को झेलकर शहर को स्मार्ट सिटी के रूप में देखने की उम्मीद लगाए बैठे हैं.