बरेली: इस कोरोना महामारी काल में वैज्ञानिकों ने आयुर्वेदिक काढ़े के सेवन से इंसानों के सेहतमंद होने के दावे बहुत किए हैं. वहीं केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान में अब मुर्गियां भी आयुर्वेद से सेहतमंद होंगी. नवीन शोध के अनुसार सहजन का सेवन करने से मुर्गियों का तेजी से विकास हो सकेगी. इसके साथ ही बेल की पत्तियां और हल्दी उनमें रोग-प्रतिरोधक क्षमता विकसित करेगी. पक्षी पोषण एवं आहार प्रौद्योगिकी विभाग की प्रधान वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ने एंटीबायोटिक के विकल्प के लिए 7 साल पहले शोध शुरू किया था.
मुर्गियों की बढ़ाई जा रही रोग-प्रतिरोधक क्षमता
मुर्गियों के अलग-अलग समूह पर केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान की ओर से कई शोध किए जा रहे थे. संस्था के वैज्ञानिकों का कहना है कि सहजन, बेल, हल्दी और मीठी नीम जैसे कई ऐसे हर्बल पौधे हैं, जिनके इस्तेमाल से मुर्गियों की सेहत सुधारी जा सकती है. इनके अलग-अलग इस्तेमाल पर शोध करने का प्रयोग सफल हुआ है. जल्द ही इसका मिश्रण बनाकर शोध किया जाएगा.
इस शोध से मुर्गी पालकों को बहुत फायदा होगा. केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान में मुर्गियों गिनी फाउल और बटेर की संख्या करीब 40 हजार है. उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता और ग्रोथ बढ़ाने के लिए दाने में एंटीबायोटिक दवाएं देनी होती हैं, जिसमें काफी खर्च होता है.
पक्षी पोषण एवं आहार उद्योग की विभाग की प्रधान वैज्ञानिक और प्रमुख अनुदेशन डॉ. दिव्या ने एंटीबायोटिक के विकल्प के लिए 7 साल पहले शोध शुरू किया था. उन्होंने बताया कि 1 किलो दाने में 2% सहजन की पत्तियों का मिश्रण मिलाने पर मुर्गियों की ग्रोथ तेजी से हुई है. 1 किलो दाने में डेढ़ से 2% बेल के पत्ते का मिश्रण खिलाने से मुर्गियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ गई है. वहीं 1 किलो दाने में हल्दी का 1% पाउडर मिलाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा हुआ है.