बरेली: कोरोना काल के बावजूद महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखण्ड विश्वविद्यालय (Mahatma Jyotiba Phule Rohilkhand University) राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू करने वाला पहला विश्वविद्यालय बन गया है. इसको लेकर विश्वविद्यालय की सराहना भी हो रही है. रोहिलखण्ड विश्वविद्यालय के अंतर्गत 9 जिलों में कुल 563 महाविद्यालय सम्बद्ध हैं.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. केपी सिंह ने शिक्षा व्यवस्था में आए उतार चढ़ाव से लेकर विश्वविद्यालय के द्वारा किए जा रहे क्रियाकलापों पर बिंदुवार चर्चा की. उन्होंने बताया कि निजी विश्वविद्यालयों की संख्या तेजी से बढ़ने के कारण अब सरकारी विश्वविद्यालयों के सामने काफी चुनौतियां हैं.
बता दें कि महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखण्ड विश्वविद्यालय प्रदेश में पहला ऐसा विश्वविद्यालय बन गया है, जिसने सबसे पहले नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को अपने विश्वविद्यालय में लागू किया है. इस बारे में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. केपी सिंह ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से आपदाकाल के बावजूद नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करना चुनौतीपूर्ण था. कुलपति प्रोफेसर डॉ. केपी सिंह ने बताया कि उन्होंने आपदा को अवसर की तरह लिया. आपदा के समय को बेहतर ढंग से उपयोग में लाते हुए केंद्र व प्रदेश सरकार की मंशा के मुताबिक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू किया.
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विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. केपी सिंह ने बताया कि प्रदेश में महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखण्ड विश्वविद्यालय पहला ऐसा विश्वविद्यालय बन गया है, जहां नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू कर दी गई है. विश्वविद्यालय समेत सभी सम्बद्ध महाविद्यालयों में 5 लाख 48 हजार छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं. कुलपति प्रोफेसर डॉ. केपी सिंह ने बताया कि नए सत्र के लिए दाखिले प्रारंभ कर दिए गए हैं. विश्वविद्यालय से सम्बद्ध 9 जिलों के सभी 563 महाविद्यालयों को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं कि वो अपने स्तर से महाविद्यालय स्तर पर प्रवेश दें.
कुलपति प्रोफेसर डॉ. केपी सिंह ने कहा कि सभी महाविद्यालयों को रिजर्वेशन के संबंध में सरकार के द्वारा तय मानकों का पालन करना होगा. विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार ये स्वायत्तता दी गई है कि वह छात्रों के दाखिले मेरिट या प्रवेश परीक्षा के आधार पर दे सकें. हालांकि कुलपति प्रोफेसर डॉ. केपी सिंह ने ये भी बताया कि उन्होंने महाविद्यालयों को आगाह किया है कि अगर महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय (Mahatma Jyotiba Phule Rohilkhand University) के अंतर्गत आने वाले किसी भी शिक्षण संस्थान में नियम-कायदों को दरकिनार कर नियम विरुद्ध कोई पंजीकरण या दाखिले की प्रक्रिया हुई तो ऐसे संस्थानों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा.
कुलपति प्रोफेसर डॉ. केपी सिंह ने कहा कि कोरोना काल में विश्वविद्यालय ने लगातार अपने निदेशालयों व सेलों का निर्माण व विस्तार किया है. उन्होंने बताया कि आपदाकाल में कुल 10 निदेशालयों व सेलों का निर्माण किया गया, जो कि विश्वविद्यालय के लिए ही नहीं अपितु समाज के लिए भी मददगार होगा. उन्होंने जानकारी दी कि विश्वविद्यालय ने इस तरह का पाठ्यक्रम तैयार किया गया है, जिसमें छात्र-छात्राओं को न सिर्फ संपूर्ण जानकारी मिले बल्कि प्रश्न पत्र भी ऐसे ही तैयार किए गए हैं, जिनमें कुछ भी शेष न रहे. उसमें समग्र पाठ्यक्रम समाहित हो.
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कुलपति प्रोफेसर डॉ. केपी सिंह बताया कि आपदाकाल में हमने हर चीज को ऑनलाइन कर दिया. अब महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय में हर कार्य ऑनलाइन संपादित किया जा सकता है. कुलपति प्रोफेसर डॉ. केपी सिंह कहते हैं कि उन्हें उम्मीद है कि महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय के अंतर्गत जो भी महाविद्यालय हैं, वहां इस बार स्टूडेंट्स भी अधिक रुचि ले रहे हैं व उन्हें भरोसा है कि छात्रों की संख्या बढ़ेगी.