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करगिल दिवस: शहीद की पत्नी का सपना, बेटी सेना में जाकर करे देश की सेवा

देश करगिल दिवस की 20वीं सालगिरह मना रहा है. इस जंग में हमारे कई सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी. इनमें से ही एक बरेली जिले के शहीद हवलदार हरिओम सिंह भी हैं. ईटीवी भारत ने करगिल दिवस पर उन्हें भी याद किया.

करगिल युद्ध में शहीद हुए थे हरिओम सिंह.
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Published : Jul 26, 2019, 4:57 PM IST

बरेली: करगिल दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने जनपद के जवान हरिओम सिंह को याद किया. शहीद जवान हरिओम सिंह की पत्नी गुड्डो देवी ने उनकी शहादत को याद करते हुए बताया कि देश की रक्षा करते हुए उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी.

करगिल युद्ध में शहीद हुए थे हरिओम सिंह.

करगिल दिवस पर स्पेशल-

  • बरेली के जवान हरिओम सिंह ने भी करगिल युद्ध के दौरान अपने प्राणों को देश के लिए निछावर किया था.
  • वह उधमपुर में सेना के हवलदार पद पर तैनात थे.
  • एक जुलाई 1999 को दुश्मनों की गोली लगने से वह वीरगति को प्राप्त हुए थे.
  • मूलरूप से वह बदायूं के निवासी थे.
  • उनकी पत्नी ने बताया कि जब उनकी शहादत की खबर मिली तो वह बेहोश हो गई थीं.
  • उनकी पत्नी ने ये भी बताया कि सरकार ने उनकी पूरी तरह से मदद की है.

उनके लिए परिवार और घर से बढ़कर देश था. उन्होंने परिवार को हमेशा देश के बाद रखा. उन्होंने बताया कि जिस समय यह हादसा हुआ उस समय उनका एक बेटा था व एक बेटी पेट में थी, उन्होंने अपने बच्चों को पिता की वीरता की बातें सुनाकर बड़ा किया है. उनका सपना है कि उनकी बेटी भी सेना में जाकर देश की सेवा करे .
- गुड्डो देवी, शहीद की पत्नी

बरेली: करगिल दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने जनपद के जवान हरिओम सिंह को याद किया. शहीद जवान हरिओम सिंह की पत्नी गुड्डो देवी ने उनकी शहादत को याद करते हुए बताया कि देश की रक्षा करते हुए उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी.

करगिल युद्ध में शहीद हुए थे हरिओम सिंह.

करगिल दिवस पर स्पेशल-

  • बरेली के जवान हरिओम सिंह ने भी करगिल युद्ध के दौरान अपने प्राणों को देश के लिए निछावर किया था.
  • वह उधमपुर में सेना के हवलदार पद पर तैनात थे.
  • एक जुलाई 1999 को दुश्मनों की गोली लगने से वह वीरगति को प्राप्त हुए थे.
  • मूलरूप से वह बदायूं के निवासी थे.
  • उनकी पत्नी ने बताया कि जब उनकी शहादत की खबर मिली तो वह बेहोश हो गई थीं.
  • उनकी पत्नी ने ये भी बताया कि सरकार ने उनकी पूरी तरह से मदद की है.

उनके लिए परिवार और घर से बढ़कर देश था. उन्होंने परिवार को हमेशा देश के बाद रखा. उन्होंने बताया कि जिस समय यह हादसा हुआ उस समय उनका एक बेटा था व एक बेटी पेट में थी, उन्होंने अपने बच्चों को पिता की वीरता की बातें सुनाकर बड़ा किया है. उनका सपना है कि उनकी बेटी भी सेना में जाकर देश की सेवा करे .
- गुड्डो देवी, शहीद की पत्नी

Intro:कारगिल दिवस पर स्पेशल

बरेली। पूरा देश आज कारगिल दिवस की 20वीं सालगिरह मना रहा है। आज ही के दिन 1999 में भारत के वीर जवानों ने कारगिल की चोटियों को पाकिस्तानी सेना से आज़ाद कराया था।

इस जंग में हमारी सेना ने कई बहादुरों को खोया था। इसी में बरेली जिले का एक जवान हरिओम सिंह भी शामिल थे। आज उन्हीं को याद करने का दिन है।


Body:20 साल पहले हुए थे शहीद

शहीद जवान हरिओम सिंह की पत्नी गुड्डो देवी ने उनकी शहादत को याद करते हुए बताया कि देश की रक्षा करते हुए उन्होंने अपने प्राणों का बलिदान दिया। उनकी शहादत पर गर्व करते हुए उन्होंने कहा कि जब यह खबर मिली तो वह बेहोश हो गयी थीं।

उधमपुर में थे तैनात

शहीद जवान की पत्नी ने दुखी मन से बताया कि वह 20 साल पहले उधमपुर में सेना के हवलदार पद पर तैनात थे। 1जुलाई 1999 को दुश्मनों की गोली लगने से वह वीरगति को प्राप्त हुए थे।

परिवार से बढ़कर देश

मूलरूप से बदायूं के रहने वाले शहीद की पत्नी ने भावुक मन से बताया कि उनके लिए परिवार और घर से बढ़कर देश था। उन्होंने परिवार को हमेशा देश के बाद रखा। उन्होंने बताया कि जिस समय यह हादसा हुआ उस समय उनकी बेटी पेट में थी। एक बेटा भी था। उन्होंने अपने बच्चों को पिता की वीरता की बातें सुनाकर बड़ा किया है। उनका सपना है कि उनकी बेटी भी सेना में जाकर देश की सेवा करे।


Conclusion:बदायूं निवासी हरिओम सिंह ने करगिल की लड़ाई में जाबांज़ी का परिचय देते हुए दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे। दुश्मनों से लोहा लेते हुए उन्होंने अपने प्राणों का बलिदान दिया था।

अनुराग मिश्र

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