बरेली: रविवार को बरेली का लाल कश्मीर के गुरेज सेक्टर में एलओसी पर दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हो गया. जानकारी के मुताबिक दुश्मनों से लड़ते हुए क्रॉस फायरिंग में जवान सौरभ राणा को गोली लगी है. बरेली के सन सिटी विस्तार में शहीद का परिवार रहता है. पिता राजकुमार राणा भी सेना में कैप्टन के पद से रिटायर्ड हैं. शहीद जवान के दो बेटे व पत्नी हैं. सौरभ के शहीद होने की खबर से घर में कोहराम मच गया है.
बता दें सन सिटी विस्तार में रिटायर्ड कैप्टन राजकुमार राणा व उनका परिवार रहता है. राजकुमार राणा बड़ा बेटा सौरभ राणा 2014 में फतेहगढ़ में राजपूत रेजीमेंट सेंटर में भर्ती हुए थे और इन दिनों गुरेज सेक्टर में एलओसी पर उनकी तैनाती थी. बताया जा रहा है कि रविवार की दोपहर क्रॉस फायरिंग के दौरान दुश्मनों की गोली लगने से जांबाज सौरभ राणा शहीद हो गए. जैसे ही यह जानकारी सौरभ के परिवार को हुई घर में मातम छा गया. वहीं मोहल्ले में यह खबर फैलते ही पूरे इलाके में शोक का माहौल हो गया. इसके बाद से शहीद के घर परिजनों को सांत्वना देने लोगों का आना-जाना शुरू हो गया.
शहीद जवान सौरभ राणा के पिता राजकुमार राणा ने बताया कि वह खुद आर्मी में थे. उनको देखकर उनके बेटे ने आर्मी जॉइन की थी. सौरभ के अंदर हौसला और जज्बा था. कल ही अंतिम बार उनकी तो सौरभ बात हुई थी तो सौरभ ने दांत में दर्द होने की बात कही थी, जिस पर उन्होंने बेटे सौरभ को हौसला दिलाया था. लेकिन रविवार को क्रॉस फायरिंग में सौरभ ने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए. राजकुमार राणा ने कहा कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है.
सौरभ के दोस्त और रिश्ते में भाई गौरव सिसोदिया कहते हैं कि सौरभ शुरू से ही आर्मी में जाना चाहते थे और 2014 में उन्होंने आर्मी जॉइन कर लिया. जब भी छुट्टी से लौट कर आते अपने जांबाजी के किस्से सुनाया करते थे. अब उनके शहीद होने से हमें बहुत दुख है लेकिन हमें गर्व भी है.
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शहीद सौरभ के परिवार में उनकी दादी गायत्री देवी, पिता राजकुमार राणा, माता कुसुम देवी और पत्नी संध्या राणा हैं. इनके साथ ही सौरभ के दो बेटे हैं, एक 7 वर्षीय रुद्र और दूसरा 4 वर्षीय हर्ष है. मासूम बच्चों को यह भी नहीं पता है कि उनके पिता के साथ क्या हुआ है और कहां उन्होंने अपनी जान न्योछावर कर दी है. फिलहाल घर में मातम छाया हुआ है.
परिजनों ने बताया कि वो सेक्टर के आर्मी अधिकारियों से लगातार संपर्क में है. अभी तक शहीद सौरभ का पार्थिव शरीर जम्मू-कश्मीर में ही होने की बात कही जा रही है. इधर बरेली जिला प्रशासन का कोई भी अधिकारी अभी तक उनके परिवार से मिलने नहीं पहुंचा है.
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