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कृषि कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन पर जानें बरेली के किसानों की राय

देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं के इर्द-गिर्द कृषि कानूनों के मुद्दे पर आंदोलन चल रहा है. इस मुद्दे पर बरेली के किसानों से ईटीवी भारत ने बातचीत की. देखें वीडियो.

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Published : Dec 27, 2020, 7:00 PM IST

किसान
किसान

बरेलीः नए कृषि कानूनों के विरोध में कई किसान संगठन बीते काफी दिनों से प्रदर्शन किए जा रहे हैं. लाखों किसान दिल्ली बॉर्डर पर नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं. उधर, सरकार किसानों से संवाद स्थापित करके नए कृषि कानूनों के फायदे बताने में जुटी हुई है. इस बीच बरेली में ईटीवी भारत ने जिले के अन्नदाताओं से भी इस बारे में चर्चा की और किसानों के मन की टोह ली, देखिए नए कृषि कानूनों को लेकर क्या हैं बरेली के किसानों की राय.

बरेली के किसानों की राय.

देशभर में इस मुद्दे पर सियासत भी तेज हो गई है. ऐसे में किसानों के मन में क्या कुछ चल रहा है यह जानने की ईटीवी भारत ने कोशिश की. ईटीवी भारत ने जिले के अलग-अलग स्थानों पर ग्रामीण अंचलों में पहुंचकर कृषि कानूनों पर उनकी राय जानी. इस दौरान किसानों ने खुलकर अपने मन की बात रखी.

किसानों से लगातार संवाद कर रही सरकार
केंद्र सरकार लगातार किसान संगठनों से वार्ता की कोशिश कर रही है. दूसरी तरफ यूपी में किसान सम्मेलनों के जरिए सीएम योगी समेत अलग-अलग जिलों में मंत्री, सांसद किसानों को जागरुक कर रहे हैं. केन्द्र के द्वारा पारित किए गए कानूनों को किसानों के हित में बता रहे हैं.

किसानों ने रखी अपने मन की बात
कृषि मंत्री पत्र के माध्यम से किसानों को जागरूक करने में लगे हैं. बरेली के किसानों ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि सरकार के द्वारा लाए गए कानूनों पर अगर विरोध है और किसान और किसान संगठन इस मुद्दे पर कमियां गिना रहे हैं तो सरकार को समझना चाहिए. इतना ही नहीं कई किसान तो यहां तक भी बोल गए कि अगर सरकार ऐसे ही जिद पर रही तो किसान भी पीछे हटने वाले नहीं हैं.

किसानों ने बताई समस्यायें
बरेली के किसानों का मुख्य रूप से यही कहना है कि उनके उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिलता, बल्कि खाद और डीजल का रेट बढ़ता जा रहा है. किसानों का कहना है कि सरकार को इन सब विषयों पर ठोस काम करना चाहिए. इस दौरान जिले के लगभग सभी किसानों ने किसान आंदोलनों का समर्थन किया. फिलहाल दिल्ली सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसान पूर्ण रूप से कृषि कानून को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं. आंदोलनरत किसानों ने कहा कि, किसी भी हालत में उन्हें नए कृषि कानून स्वीकार नहीं हैं.

बरेलीः नए कृषि कानूनों के विरोध में कई किसान संगठन बीते काफी दिनों से प्रदर्शन किए जा रहे हैं. लाखों किसान दिल्ली बॉर्डर पर नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं. उधर, सरकार किसानों से संवाद स्थापित करके नए कृषि कानूनों के फायदे बताने में जुटी हुई है. इस बीच बरेली में ईटीवी भारत ने जिले के अन्नदाताओं से भी इस बारे में चर्चा की और किसानों के मन की टोह ली, देखिए नए कृषि कानूनों को लेकर क्या हैं बरेली के किसानों की राय.

बरेली के किसानों की राय.

देशभर में इस मुद्दे पर सियासत भी तेज हो गई है. ऐसे में किसानों के मन में क्या कुछ चल रहा है यह जानने की ईटीवी भारत ने कोशिश की. ईटीवी भारत ने जिले के अलग-अलग स्थानों पर ग्रामीण अंचलों में पहुंचकर कृषि कानूनों पर उनकी राय जानी. इस दौरान किसानों ने खुलकर अपने मन की बात रखी.

किसानों से लगातार संवाद कर रही सरकार
केंद्र सरकार लगातार किसान संगठनों से वार्ता की कोशिश कर रही है. दूसरी तरफ यूपी में किसान सम्मेलनों के जरिए सीएम योगी समेत अलग-अलग जिलों में मंत्री, सांसद किसानों को जागरुक कर रहे हैं. केन्द्र के द्वारा पारित किए गए कानूनों को किसानों के हित में बता रहे हैं.

किसानों ने रखी अपने मन की बात
कृषि मंत्री पत्र के माध्यम से किसानों को जागरूक करने में लगे हैं. बरेली के किसानों ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि सरकार के द्वारा लाए गए कानूनों पर अगर विरोध है और किसान और किसान संगठन इस मुद्दे पर कमियां गिना रहे हैं तो सरकार को समझना चाहिए. इतना ही नहीं कई किसान तो यहां तक भी बोल गए कि अगर सरकार ऐसे ही जिद पर रही तो किसान भी पीछे हटने वाले नहीं हैं.

किसानों ने बताई समस्यायें
बरेली के किसानों का मुख्य रूप से यही कहना है कि उनके उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिलता, बल्कि खाद और डीजल का रेट बढ़ता जा रहा है. किसानों का कहना है कि सरकार को इन सब विषयों पर ठोस काम करना चाहिए. इस दौरान जिले के लगभग सभी किसानों ने किसान आंदोलनों का समर्थन किया. फिलहाल दिल्ली सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसान पूर्ण रूप से कृषि कानून को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं. आंदोलनरत किसानों ने कहा कि, किसी भी हालत में उन्हें नए कृषि कानून स्वीकार नहीं हैं.

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