बरेली: कल देश अपना 73वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा. देश को आजाद कराने में बहुत से हमारे स्वंतत्रता संग्राम सेनानियों ने अपनी जान देश के लिए कुर्बान कर दी. जनपद का बरेली कालेज भी देश की आजादी में अपना योगदान दिया है. कॉलेज की ऐतिहासिक इमारत बहुत कुछ बयां करती है.
इस कॉलेज में आज भी आजादी की लड़ाई के तमाम सबूत मौजूद हैं. बरेली का यह कालेज 182 साल पुराना है. 14 अगस्त को बरेली कॉलेज अपना स्थापना दिवस मना रहा है. आजादी की पहली लड़ाई से लेकर तमाम आन्दोलनों में इस कॉलेज की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. यहां के छात्रों ने अंग्रेजों के खिलाफ आजादी का बिगुल फूंका था.
रोहिलखण्ड और बरेली का केंद्र था बरेली कॉलेज :
17 जुलाई 1837 में ब्रिटिश काल में सिर्फ 57 बच्चों के साथ इस कॉलेज की शुरुआत हुई थी. आज इस कॉलेज में हजारों की संख्या में छात्र पढ़ते हैं. इस कॉलेज की नींव 1837 में ब्रिटिश हुकूमत के समय रखी गयी थी. अंग्रेजों के खिलाफ जब बिगुल बजा तो इसकी बागडोर सरदार बहादुर खान ने थामी. यहां के एक टीचर मौलवी महमूद हसन और फारसी के टीचर कुतुब शाह समेत कई छात्र देश के कई छोटे बड़े आन्दोलन आंदोलन में शामिल हुए.
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यहां के छात्र को मिली थी काले पानी की सजा :
यहां के छात्र जैमिग्रीन को काले पानी की सजा मिली थी. जिन्होंने आजादी की लड़ाई में प्रमुख भूमिका निभाई थी. बरेली कालेज की चीफ प्रॉक्टर डॉक्टर वंदना शर्मा ने बताया कि वह बेगम हजरत महल के चीफ इंजीनियर थे.
शहीद भगत सिंह के भतीजे थे यहां के छात्र :
चीफ प्रॉक्टर डॉक्टर वंदना शर्मा ने बताया कि इस कॉलेज के लिए यह सम्मान की बात है कि शहीद भगत सिंह के भतीजे अजीत सिंह भी इसी कॉलेज के छात्र थे. उन्होंने यहां से लॉ की पढ़ाई की थी.