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बरेली: आजादी की लड़ाई से जुड़ा है कॉलेज का नाम, शहीद भगत सिंह के भतीजे थे यहां के छात्र

उत्तर प्रदेश का बरेली कालेज का योगदान भी आजादी की तमाम लड़ाइयों में शामिल है. आजादी की तमाम लड़ाइयों के सबूत आज भी कालेज में मौजूद हैं.

बरेली कालेज
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Published : Aug 14, 2019, 9:06 PM IST

बरेली: कल देश अपना 73वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा. देश को आजाद कराने में बहुत से हमारे स्वंतत्रता संग्राम सेनानियों ने अपनी जान देश के लिए कुर्बान कर दी. जनपद का बरेली कालेज भी देश की आजादी में अपना योगदान दिया है. कॉलेज की ऐतिहासिक इमारत बहुत कुछ बयां करती है.

इस कॉलेज में आज भी आजादी की लड़ाई के तमाम सबूत मौजूद हैं. बरेली का यह कालेज 182 साल पुराना है. 14 अगस्त को बरेली कॉलेज अपना स्थापना दिवस मना रहा है. आजादी की पहली लड़ाई से लेकर तमाम आन्दोलनों में इस कॉलेज की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. यहां के छात्रों ने अंग्रेजों के खिलाफ आजादी का बिगुल फूंका था.

बरेली कालेज की कहानी

रोहिलखण्ड और बरेली का केंद्र था बरेली कॉलेज :
17 जुलाई 1837 में ब्रिटिश काल में सिर्फ 57 बच्चों के साथ इस कॉलेज की शुरुआत हुई थी. आज इस कॉलेज में हजारों की संख्या में छात्र पढ़ते हैं. इस कॉलेज की नींव 1837 में ब्रिटिश हुकूमत के समय रखी गयी थी. अंग्रेजों के खिलाफ जब बिगुल बजा तो इसकी बागडोर सरदार बहादुर खान ने थामी. यहां के एक टीचर मौलवी महमूद हसन और फारसी के टीचर कुतुब शाह समेत कई छात्र देश के कई छोटे बड़े आन्दोलन आंदोलन में शामिल हुए.

तिरंगामय हुई राजधानी, लोगों पर छाया देशभक्ति का खुमार

यहां के छात्र को मिली थी काले पानी की सजा :
यहां के छात्र जैमिग्रीन को काले पानी की सजा मिली थी. जिन्होंने आजादी की लड़ाई में प्रमुख भूमिका निभाई थी. बरेली कालेज की चीफ प्रॉक्टर डॉक्टर वंदना शर्मा ने बताया कि वह बेगम हजरत महल के चीफ इंजीनियर थे.

शहीद भगत सिंह के भतीजे थे यहां के छात्र :
चीफ प्रॉक्टर डॉक्टर वंदना शर्मा ने बताया कि इस कॉलेज के लिए यह सम्मान की बात है कि शहीद भगत सिंह के भतीजे अजीत सिंह भी इसी कॉलेज के छात्र थे. उन्होंने यहां से लॉ की पढ़ाई की थी.

बरेली: कल देश अपना 73वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा. देश को आजाद कराने में बहुत से हमारे स्वंतत्रता संग्राम सेनानियों ने अपनी जान देश के लिए कुर्बान कर दी. जनपद का बरेली कालेज भी देश की आजादी में अपना योगदान दिया है. कॉलेज की ऐतिहासिक इमारत बहुत कुछ बयां करती है.

इस कॉलेज में आज भी आजादी की लड़ाई के तमाम सबूत मौजूद हैं. बरेली का यह कालेज 182 साल पुराना है. 14 अगस्त को बरेली कॉलेज अपना स्थापना दिवस मना रहा है. आजादी की पहली लड़ाई से लेकर तमाम आन्दोलनों में इस कॉलेज की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. यहां के छात्रों ने अंग्रेजों के खिलाफ आजादी का बिगुल फूंका था.

बरेली कालेज की कहानी

रोहिलखण्ड और बरेली का केंद्र था बरेली कॉलेज :
17 जुलाई 1837 में ब्रिटिश काल में सिर्फ 57 बच्चों के साथ इस कॉलेज की शुरुआत हुई थी. आज इस कॉलेज में हजारों की संख्या में छात्र पढ़ते हैं. इस कॉलेज की नींव 1837 में ब्रिटिश हुकूमत के समय रखी गयी थी. अंग्रेजों के खिलाफ जब बिगुल बजा तो इसकी बागडोर सरदार बहादुर खान ने थामी. यहां के एक टीचर मौलवी महमूद हसन और फारसी के टीचर कुतुब शाह समेत कई छात्र देश के कई छोटे बड़े आन्दोलन आंदोलन में शामिल हुए.

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यहां के छात्र को मिली थी काले पानी की सजा :
यहां के छात्र जैमिग्रीन को काले पानी की सजा मिली थी. जिन्होंने आजादी की लड़ाई में प्रमुख भूमिका निभाई थी. बरेली कालेज की चीफ प्रॉक्टर डॉक्टर वंदना शर्मा ने बताया कि वह बेगम हजरत महल के चीफ इंजीनियर थे.

शहीद भगत सिंह के भतीजे थे यहां के छात्र :
चीफ प्रॉक्टर डॉक्टर वंदना शर्मा ने बताया कि इस कॉलेज के लिए यह सम्मान की बात है कि शहीद भगत सिंह के भतीजे अजीत सिंह भी इसी कॉलेज के छात्र थे. उन्होंने यहां से लॉ की पढ़ाई की थी.

Intro:15 अगस्त पर स्पेशल

बरेली। भारत को आज़ादी दिलाने में स्वंतत्रता संग्राम सेनानियों का अहम योगदान है। इसमें बरेली का बरेली कॉलेज भी शामिल है। यहां आज़ादी की तमाम लड़ाईयों के सबूत मौजूद हैं। इन्हीं में शहर का यह कॉलेज भी एक योगदान रखता है।

कॉलेज की यह ऐतिहासिक इमारत बहुत कुछ कहती है। इसके सीने में कई राज़ दफन हैं।


Body:स्कूल मना रहा 182वां स्थापना दिवस

बरेली शहर का यह कॉलेज करीब 182 साल पुराना है। आज़ादी की पहली लड़ाई से लेकर तमाम आंदोलनों में। इस कॉलेज की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यहां के छात्रों ने अंग्रेजों के खिलाफ आज़ादी का बिगुल फूंका था। आज इस कॉलेज को 182 साल हो गए हैं।

रोहिलखण्ड और बरेली का केंद्र था बरेली कॉलेज

इस कॉलेज की नींव 1837 में ब्रिटिश हुकूमत के समय रखी गयी थी। अंग्रेजों के खिलाफ जब बिगुल बजा तो इसकी बागडोर सरदार खान बहादुर खान ने थामी। यह कॉलेज रोहिलखंड और बरेली का केंद्र बिंदु था। यहां के एक टीचर मौलवी महमूद हसन और फ़ारसी के टीचर क़ुतुब शाह समेत कई छात्र आंदोलन में शामिल हुए।

यहां के छात्र को मिली थी काले पानी की सज़ा

बरेली कॉलेज की चीफ प्रॉक्टर डॉक्टर वंदना शर्मा ने बताया कि यहां के एक छात्र थे ज़ैमिग्रीन। जिन्होंने आज़ादी की लड़ाई में मुख्य भूमिका निभाई। उन्होने बताया कि वह बेगम हजरत महल के चीफ इंजीनियर थे। अंग्रेजों ने ज़ैमिग्रीन को काले पानी की सज़ा दी थी।

शहीद भगत सिंह के भतीजे भी थे यहीं के छात्र

चीफ प्रॉक्टर डॉक्टर वंदना शर्मा ने बताया कि इस कॉलेज के लिए यह सम्मान की बात है कि शहीद भगत सिंह के भतीजे अजीत सिंह भी इसी कॉलेज के छात्र थे। उन्होंने यहां से लॉ की पढ़ाई की थी।

57 बच्चों से हुई थी कॉलेज की शुरुआत

बरेली कॉलेज की चीफ प्रॉक्टर ने बताया कि 17 जुलाई 1837 में ब्रिटिश काल में सिर्फ 57 बच्चों के साथ इस कॉलेज की शुरुआत हुई थी। आज इस कॉलेज में हज़ारों की संख्या में छात्र पढ़ते हैं।



Conclusion:बरेली कॉलेज की ऐतिहासिक इमारत सिर्फ एक शिक्षण संस्थान ही नहीं है बल्कि इस इमारत के सीने में आज़ादी की लड़ाई की तमाम कहानियां दफन हैं।

अनुराग मिश्र

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