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बरेली के आकाश दीक्षित ने बनाया मिनी वेंटिलेटर

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में रहने वाले आकाश दीक्षित ने मिनी वेंटिलेटर बनाया है. इस नए वेंटिलेटर के जरिए वे तमाम लोगों की सहायता करना चाहते हैं, जो वेंटिलेटर का खर्च उठाने में सक्षम नहीं हैं.

आकाश दीक्षित से बातचीत.
आकाश दीक्षित से बातचीत.
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Published : Aug 30, 2020, 4:55 PM IST

बरेली: कोरोना से निपटने के लिए सरकार ने अस्पतालों में वेंटिलेटर युक्त बेड की व्यवस्था शुरू की थी, ताकि कोरोना से ग्रसित गंभीर मरीजों को भर्ती किया जा सके. देश में ऐसे तमाम लोग भी हैं, जो अस्पतालों में वेंटिलेटर का खर्च नहीं उठा सकते हैं. ऐसे में बरेली के युवा इंजीनियर आकाश दीक्षित ने कोरोना काल में एक ऐसा वेंटिलेटर बनाया है, जो लोगों के लिए सस्ता और सुलभ है.

बरेली जिले के केला बाग निवासी आकाश दीक्षित बीटेक के छात्र रहे हैं. हिंदुस्तान में कोरोना का कहर बरसने लगा तो जगह-जगह से हॉस्पिटलों में वेंटिलेटर की कमी की खबरें देखने को मिल रही थीं. तब आकाश ने वेंटिलेटर के बारे में पढ़ा और जाना कि वेंटिलेटर का खर्च कितना आता है. साथ ही मेंटेनेंस के साथ-साथ उसको चलाने के लिए अलग से ऑपरेटर की जरूरत पड़ती है, इसीलिए आकाश ने कम कीमत में एक सस्ता वेंटिलेटर बनाने के बारे में सोचा. कोरोना काल में अपने निरंतर अभ्यास से आकाश ने अपनी सोच से भी कम कीमत वाला और अनूठा वेंटिलेटर बना लिया.

आकाश दीक्षित से बातचीत.

यह वेंटिलेटर सी बोल्ट और मोबाइल चार्जर पर काम करता है, जो ग्रामीण परिवेश के लिए उपयोगी और किफायती साबित होगा. अलग-अलग मोड बटन पर काम करने वाला वेंटिलेटर छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग मरीजों के अनुसार काम करता है. जिन क्षेत्रों में लाइट कम आती है, वहां के लिये उपयोगी है. साथ ही एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में आसान है.

आकाश दीक्षित का कहना है कि अगर सरकार मेक इन इंडिया के तहत सहायता करती है तो इस प्रोडक्ट को मेड इन इंडिया के तहत लॉन्च कर सकते हैं. यह प्रोडक्ट उन गरीब लोगों के लिए काफी कारगर साबित होगा, जो वेंटिलेटर का खर्चा देने में सक्षम नहीं होते हैं. साथ ही साथ यह वेंटिलेटर ग्रामीण क्षेत्र में भी उपयोगी सिद्ध हो सकता है, क्योंकि ये वेंटिलेटर बैटरी से संचालित होता है. बिजली न होने पर भी इसकी उपयोगिता कम नहीं होगी.

बरेली: कोरोना से निपटने के लिए सरकार ने अस्पतालों में वेंटिलेटर युक्त बेड की व्यवस्था शुरू की थी, ताकि कोरोना से ग्रसित गंभीर मरीजों को भर्ती किया जा सके. देश में ऐसे तमाम लोग भी हैं, जो अस्पतालों में वेंटिलेटर का खर्च नहीं उठा सकते हैं. ऐसे में बरेली के युवा इंजीनियर आकाश दीक्षित ने कोरोना काल में एक ऐसा वेंटिलेटर बनाया है, जो लोगों के लिए सस्ता और सुलभ है.

बरेली जिले के केला बाग निवासी आकाश दीक्षित बीटेक के छात्र रहे हैं. हिंदुस्तान में कोरोना का कहर बरसने लगा तो जगह-जगह से हॉस्पिटलों में वेंटिलेटर की कमी की खबरें देखने को मिल रही थीं. तब आकाश ने वेंटिलेटर के बारे में पढ़ा और जाना कि वेंटिलेटर का खर्च कितना आता है. साथ ही मेंटेनेंस के साथ-साथ उसको चलाने के लिए अलग से ऑपरेटर की जरूरत पड़ती है, इसीलिए आकाश ने कम कीमत में एक सस्ता वेंटिलेटर बनाने के बारे में सोचा. कोरोना काल में अपने निरंतर अभ्यास से आकाश ने अपनी सोच से भी कम कीमत वाला और अनूठा वेंटिलेटर बना लिया.

आकाश दीक्षित से बातचीत.

यह वेंटिलेटर सी बोल्ट और मोबाइल चार्जर पर काम करता है, जो ग्रामीण परिवेश के लिए उपयोगी और किफायती साबित होगा. अलग-अलग मोड बटन पर काम करने वाला वेंटिलेटर छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग मरीजों के अनुसार काम करता है. जिन क्षेत्रों में लाइट कम आती है, वहां के लिये उपयोगी है. साथ ही एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में आसान है.

आकाश दीक्षित का कहना है कि अगर सरकार मेक इन इंडिया के तहत सहायता करती है तो इस प्रोडक्ट को मेड इन इंडिया के तहत लॉन्च कर सकते हैं. यह प्रोडक्ट उन गरीब लोगों के लिए काफी कारगर साबित होगा, जो वेंटिलेटर का खर्चा देने में सक्षम नहीं होते हैं. साथ ही साथ यह वेंटिलेटर ग्रामीण क्षेत्र में भी उपयोगी सिद्ध हो सकता है, क्योंकि ये वेंटिलेटर बैटरी से संचालित होता है. बिजली न होने पर भी इसकी उपयोगिता कम नहीं होगी.

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