लखनऊ: बाराबंकी में तैनात महिला जज अर्पिता साहू के साथ कथित रूप से दुर्व्यवहार करने के मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने संज्ञान में लिया है. हाईकोर्ट की बेंच ने बाराबंकी कोर्ट परिसर के सीसीटीवी फुटेज के फॉरेंसिक जांच के आदेश दिए हैं. न्यायालय ने अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम बाराबंकी द्वारा सीसीटीवी फुटेज के सम्बंध में भेजी गई रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए फुटेज के साथ छेड़छाड़ की आशंका भी व्यक्त की. साथ ही न्यायालय ने लखनऊ बेंच के सीनियर रजिस्ट्रार को फुटेज को सुरक्षित रखने का भी आदेश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा व न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जौहरी की खंडपीठ ने महिला जज की ओर से हाईकोर्ट केा प्रेषित संदर्भ को संज्ञान में लेकर दर्ज अवमानना के आपराधिक मुकदमे पर पारित किया है. न्यायालय ने फुटेज के सम्बंध में आई रिपोर्ट पर कहा कि हम यह समझ पाने में असमर्थ है कि पूर्व में सीसीटीवी में किसी तकनीकी खराबी का कोई जिक्र नहीं किया गया था. इसके बावजूद घटना के दिन समेत अन्य दिनों की कुछ घंटों की ही फुटेज उपलब्ध है. न्यायालय ने आगे कहा कि कैमरों के रिपेयर के सम्बंध में भी कोई रिपोर्ट नहीं है. लिहाजा इस बात की प्रबल आशंका है कि फुटेज के साथ छेड़छाड़ की गई है अथवा उन्हें मिटाया गया है. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 4 अगस्त की तिथि नियत करते हुए फॉरेंसिक रिपोर्ट तलब किया हैय
उल्लेखनीय है कि 7 अक्टूबर 2022 को बाराबंकी जिला बार एसोसिएशन ने न्यायिक कार्य के बहिष्कार का प्रस्ताव पारित कर रखा था. इस दौरान सिविल जज अर्पिता साहू ने हाईकोर्ट को प्रेषित अपने संदर्भ में कहा है कि वह सुबह साढ़े दस बजे जब अपने अदालत में काम कर रही थी. इसी दौरान महामंत्री और वरिष्ठ उपाध्यक्ष कई अधिवक्ताओं के साथ उनके अदालत कक्ष में घुस आए और उनसे अभ्रदता शुरू कर दी. इस दौरान गाली गलौज करते हुए उनके कक्ष की बिजली भी बंद कर दी गई. साथ ही कक्ष में मौजूद अन्य अधिवक्ताओं को जबरन बाहर निकाल दिया गया. इसके बाद उन्हें कई तरह की धमकियां दी.
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