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बाराबंकीः ग्रामीणों ने किया शराहनीय काम, बाढ़ से बचने के लिए बनाया लकड़ी का पुल

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में प्रशासन द्वारा कराये गए पक्के पुल के दोनों तरफ बाढ़ आने से गड्ढे हो गए थे लेकिन प्रशासन ने गड्ढे नहीं ठीक कराएं. जिसके बाद ग्रामीणों ने अपनी सुविधा के लिए लकड़ी के पुल का निर्माण कर लिया. ईटीवी में गांव की समस्या दिखाए जाने के बाद भी प्रशासन शांत है.

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Published : Aug 22, 2019, 11:08 PM IST

ग्रामीणों ने बनाया लकड़ी का पुल

बाराबंकीः जिले में प्रशासन ने दो साल पहले पक्के पुल का निर्माण कराया था. बाढ़ आने के बाद पुल के दोनों तरफ बड़े-बड़े गड्ढे हो गए थे. बाढ़ पीड़ितों ने सोचा कि प्रशासन बाढ निकलने के बाद पुल के दोनों तरफ पटाई कराएगा और फिर से आने जाने के लिए रास्ता मिलेगा, लेकिन प्रशासन ने गड्ढे की पटाई नहीं करवाई. जिसके बाद ग्रामीणों ने अपने संसाधनों से ही लकड़ी का पुल बनाकर तैयार कर लिया.

ग्रामीणों ने अपनी सुविधा के लिए किया लकड़ी पुल का निर्माण.

इसे भी पढ़ें- अलीगढ़: हथिनीकुंड बैराज से दोबारा छूटा पानी, खतरे के निशान के करीब यमुना

नहीं बना पुल-

  • जिले में विकासखंड पूरे डलाई की ग्राम सभा बसंतपुर में प्रशासन ने दो साल पहले पुल का निर्माण कराया था.
  • बाढ़ आने के बाद पुल के दोनों तरफ गड्ढे हो गए थे.
  • गांव के लोगों को लगा की प्रशासन गड्ढे की पटाई कराएगा लेकिन प्रशासन ने बाढ़ पीड़ितों की कोई मदद नहीं की.
  • बाद में ग्रामीणों ने अपने संसाधनों से ही लकड़ी के पुल का निर्माण कर लिया.
  • लकड़ी के पुल से एक समय पर एक व्यक्ति ही निकल सकता है.
  • ईटीवी ने 2 जून को इस खबर को दिखाया था लेकिन फिर भी प्रशासन शांत है.

हम लोगों ने चंदा इकट्ठा करके इस पुल को बनाया है. क्योंकि बच्चों को स्कूल जाना होता है. हम लोगों को भी मजबूरी में आना जाना पड़ता है. शासन की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है. मजबूरी में यह पुल हम लोगों को बनाना पड़ा. पुल कमजोर है कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.
-अनमोल सिंह, स्थानीय निवासी

बाराबंकीः जिले में प्रशासन ने दो साल पहले पक्के पुल का निर्माण कराया था. बाढ़ आने के बाद पुल के दोनों तरफ बड़े-बड़े गड्ढे हो गए थे. बाढ़ पीड़ितों ने सोचा कि प्रशासन बाढ निकलने के बाद पुल के दोनों तरफ पटाई कराएगा और फिर से आने जाने के लिए रास्ता मिलेगा, लेकिन प्रशासन ने गड्ढे की पटाई नहीं करवाई. जिसके बाद ग्रामीणों ने अपने संसाधनों से ही लकड़ी का पुल बनाकर तैयार कर लिया.

ग्रामीणों ने अपनी सुविधा के लिए किया लकड़ी पुल का निर्माण.

इसे भी पढ़ें- अलीगढ़: हथिनीकुंड बैराज से दोबारा छूटा पानी, खतरे के निशान के करीब यमुना

नहीं बना पुल-

  • जिले में विकासखंड पूरे डलाई की ग्राम सभा बसंतपुर में प्रशासन ने दो साल पहले पुल का निर्माण कराया था.
  • बाढ़ आने के बाद पुल के दोनों तरफ गड्ढे हो गए थे.
  • गांव के लोगों को लगा की प्रशासन गड्ढे की पटाई कराएगा लेकिन प्रशासन ने बाढ़ पीड़ितों की कोई मदद नहीं की.
  • बाद में ग्रामीणों ने अपने संसाधनों से ही लकड़ी के पुल का निर्माण कर लिया.
  • लकड़ी के पुल से एक समय पर एक व्यक्ति ही निकल सकता है.
  • ईटीवी ने 2 जून को इस खबर को दिखाया था लेकिन फिर भी प्रशासन शांत है.

हम लोगों ने चंदा इकट्ठा करके इस पुल को बनाया है. क्योंकि बच्चों को स्कूल जाना होता है. हम लोगों को भी मजबूरी में आना जाना पड़ता है. शासन की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है. मजबूरी में यह पुल हम लोगों को बनाना पड़ा. पुल कमजोर है कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.
-अनमोल सिंह, स्थानीय निवासी

Intro:बाराबंकी .जिले का एक ऐसा भी विकासखंड है. जहां लोग अपने संसाधनों से काम चलाते हैं. प्रशासन नहीं कर रहा है. उन बाढ़ पीड़ितों की कोई मदद.
आज जब ईटीवी की टीम. विकासखंड पूरे डलाई .की ग्राम सभा .बसंतपुर .पहुंची तो देख कर दंग रह गई।
क्योंकि ग्रामीणों ने जो लकड़ी का पुल बनाया था।
ईटीवी ने प्रशासन को पहले ही आगाह किया था कि अगर इस पुल की पटाई नही हुई समय रहते तो कई गांव को रास्ता अवरुद्ध हो जाएगा 2 जून को ईटीवी ने खबर दिखाई थी लेकिन प्रशासन नहीं जागा।
और बाढ़ पीड़ितों ने अपने हाथों से लकड़ी का पुल बनाया।


Body:बताते चलें कि प्रशासन 2 साल पहले यहां पक्का पुल बनाया था पक्का पुल एक बार में ही बाढ़ आने पर पुल के दोनों तरफ बड़े-बड़े गड्ढे हो गए और बाढ़ पीड़ितों का रास्ता अवरुद्ध हो गया बाढ़ पीड़ितों ने सोचा कि प्रशासन बाढ निकलने के बाद पुल के दोनों तरफ पटाई कराएगा । और फिर से हम लोगों को आने जाने के लिए रास्ता मिल जाएगा ।लेकिन प्रशासन है. कि कुंभकरणी नींद में सो गया और पूरा समय निकल गया और पुल की पटाई नहीं हुई आज ग्रामीणों ने अपने संसाधनों से लकड़ी का पुल बनाकर तैयार किया है. क्योंकि इस पुल से 4 गांव की जनता जुड़ी हुई है.
इसमें भी कोई राजनेता कोई अधिकारी देखने तक नहीं आया कि जो जनता ने पुल बनाया है. वह मजबूत भी है या नहीं।

अभी कुछ ही दिन पहले इसमें एक नाव पलट गई थी खैर कोई हादसा नहीं हुआ सब सुरक्षित निकल आए.


Conclusion:इस पुल को ऐसे तरीके से बनाया गया है .कि इसमें केवल एक ही व्यक्ति निकल सकता है. दूसरे व्यक्ति की निकलने की व्यवस्था नहीं है. क्योंकि पुल कमजोर है.
जब घर से बच्चे स्कूल के लिए निकलते हैं. तो घर वाले आते हैं. इस पुल को पार कराने के लिए क्योंकि सकरा पुल है. उनको डर रहता है. कि कहीं बच्चे गिर ना जाए.
ईटीवी संवाददाता लक्ष्मण तिवारी ने जब यहीं के निवासी ऋषभ सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि हम लोगों ने चंदा इकट्ठा करके इस पुल को बनाया है. क्योंकि बच्चों को स्कूल जाना होता है. हम लोगों को बाजार जाना होता है .दवा लेने के लिए भी आना जाना पड़ता है. तो मजबूरी है .शासन की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है. मजबूरी में यह पुल हम लोगों को बनाना पड़ा।
लेकिन पुल कमजोर है .कभी भी इस पर कोई बड़ा हादसा हो सकता है .ऐसा .ऋषभ सिंह .ने ईटीवी संवाददाता लक्ष्मण तिवारी को बताया

बाइट. अनमोल सिंह निवासी बसंतपुर.

बाइट. ऋषभ सिंह निवासी उमराहरा.

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2 जून को ईटीवी ने खबर को दिखाया था।

ईटीवी भारत के लिए दरियाबाद विधानसभा से लक्ष्मण तिवारी 9794 2175 43 बाराबंकी उत्तर प्रदेश
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