बाराबंकी: सातवीं आर्थिक गणना को लेकर आ रही कुछ दिक्कतों को देखते हुए गणना में लगे कॉमन सर्विस सेंटर के विलेज लेवल एंटरप्रेन्योर यानी वीएलई को लखनऊ से आई विशेष टीम ने प्रशिक्षित किया. विकास भवन हॉल में आयोजित वर्कशॉप में प्रशिक्षकों ने इन्हें मोबाइल ऐप पर डाटा फीड करने के तरीकों के साथ-साथ कौन-कौन से आंकड़े इकट्ठा करने हैं, इसकी जानकारी दी. यही नहीं जानकारी जुटाने के दौरान आने वाली किसी भी समस्या को दूर करने के उपाय भी बताए.
सातवीं आर्थिक गणना में आंकड़े जुटाने, उनके प्रमाणीकरण, रिपोर्ट तैयार करने और इनके प्रसार के लिए आईटी आधारित डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर पहली बार मोबाइल ऐप की मदद ली जा रही है. ये काम कॉमन सर्विस केंद्रों के माध्यम से एक विशेष मोबाइल ऐप से किया जा रहा है. इसी गणना के आधार पर सरकारें जन उपयोगी योजनाएं तैयार करती हैं. ये गणना हर पांच साल पर की जाती हैं, इसलिए जरूरी है कि तय मानकों के आधार पर ही गणना की जाय.
600 सुपरवाइजर और 3,500 गणनाकार
जिले में इस काम के लिए कॉमन सर्विस केंद्रों के 600 सुपरवाइजर और 3,500 गणनाकार लगाए गए हैं. विकास भवन हाल में शनिवार को लखनऊ से आई विशेष टीम ने जिले के 300 केंद्र संचालकों और उनके गणनाकारो को प्रशिक्षित किया. ये गणना करने वाले घर-घर जाएंगे और आर्थिक क्रियाकलापों को अपने मोबाइल ऐप पर दर्ज करेंगे.
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ग्रामीण अंचलों में फैली भ्रांतियों को लेकर गणना में आ रही समस्याओं को देखते हुए गणनाकारों को बताया जा रहा है कि ग्रामीणों को आर्थिक गणना के महत्व और आवश्यकता समझाने में ग्राम प्रधानों और स्थानीय स्कूली शिक्षकों की मदद ली जाए. इससे आंकड़े इकट्ठा करने में कोई समस्या नहीं आएगी.