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बाराबंकी: आर्थिक गणना के दौरान अब नही होंगी दिक्कतें, प्रगणकों को दिए गए टिप्स

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Published : Feb 2, 2020, 10:43 AM IST

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में सातवीं आर्थिक गणना को लेकर आ रही दिक्कतों को देखते हुए गणना में लगे कॉमन सर्विस सेंटर के विलेज लेवल एंटरप्रेन्योर को लखनऊ से आई विशेष टीम ने प्रशिक्षित किया.

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प्रगणकों को मिला टिप्स.

बाराबंकी: सातवीं आर्थिक गणना को लेकर आ रही कुछ दिक्कतों को देखते हुए गणना में लगे कॉमन सर्विस सेंटर के विलेज लेवल एंटरप्रेन्योर यानी वीएलई को लखनऊ से आई विशेष टीम ने प्रशिक्षित किया. विकास भवन हॉल में आयोजित वर्कशॉप में प्रशिक्षकों ने इन्हें मोबाइल ऐप पर डाटा फीड करने के तरीकों के साथ-साथ कौन-कौन से आंकड़े इकट्ठा करने हैं, इसकी जानकारी दी. यही नहीं जानकारी जुटाने के दौरान आने वाली किसी भी समस्या को दूर करने के उपाय भी बताए.

प्रगणकों को मिला टिप्स.
तय मानकों के आधार पर गणना
सातवीं आर्थिक गणना में आंकड़े जुटाने, उनके प्रमाणीकरण, रिपोर्ट तैयार करने और इनके प्रसार के लिए आईटी आधारित डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर पहली बार मोबाइल ऐप की मदद ली जा रही है. ये काम कॉमन सर्विस केंद्रों के माध्यम से एक विशेष मोबाइल ऐप से किया जा रहा है. इसी गणना के आधार पर सरकारें जन उपयोगी योजनाएं तैयार करती हैं. ये गणना हर पांच साल पर की जाती हैं, इसलिए जरूरी है कि तय मानकों के आधार पर ही गणना की जाय.


600 सुपरवाइजर और 3,500 गणनाकार

जिले में इस काम के लिए कॉमन सर्विस केंद्रों के 600 सुपरवाइजर और 3,500 गणनाकार लगाए गए हैं. विकास भवन हाल में शनिवार को लखनऊ से आई विशेष टीम ने जिले के 300 केंद्र संचालकों और उनके गणनाकारो को प्रशिक्षित किया. ये गणना करने वाले घर-घर जाएंगे और आर्थिक क्रियाकलापों को अपने मोबाइल ऐप पर दर्ज करेंगे.

इसे भी पढ़ें- आम बजट पर पीएम मोदी की प्रतिक्रिया

ग्रामीण अंचलों में फैली भ्रांतियों को लेकर गणना में आ रही समस्याओं को देखते हुए गणनाकारों को बताया जा रहा है कि ग्रामीणों को आर्थिक गणना के महत्व और आवश्यकता समझाने में ग्राम प्रधानों और स्थानीय स्कूली शिक्षकों की मदद ली जाए. इससे आंकड़े इकट्ठा करने में कोई समस्या नहीं आएगी.

बाराबंकी: सातवीं आर्थिक गणना को लेकर आ रही कुछ दिक्कतों को देखते हुए गणना में लगे कॉमन सर्विस सेंटर के विलेज लेवल एंटरप्रेन्योर यानी वीएलई को लखनऊ से आई विशेष टीम ने प्रशिक्षित किया. विकास भवन हॉल में आयोजित वर्कशॉप में प्रशिक्षकों ने इन्हें मोबाइल ऐप पर डाटा फीड करने के तरीकों के साथ-साथ कौन-कौन से आंकड़े इकट्ठा करने हैं, इसकी जानकारी दी. यही नहीं जानकारी जुटाने के दौरान आने वाली किसी भी समस्या को दूर करने के उपाय भी बताए.

प्रगणकों को मिला टिप्स.
तय मानकों के आधार पर गणना
सातवीं आर्थिक गणना में आंकड़े जुटाने, उनके प्रमाणीकरण, रिपोर्ट तैयार करने और इनके प्रसार के लिए आईटी आधारित डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर पहली बार मोबाइल ऐप की मदद ली जा रही है. ये काम कॉमन सर्विस केंद्रों के माध्यम से एक विशेष मोबाइल ऐप से किया जा रहा है. इसी गणना के आधार पर सरकारें जन उपयोगी योजनाएं तैयार करती हैं. ये गणना हर पांच साल पर की जाती हैं, इसलिए जरूरी है कि तय मानकों के आधार पर ही गणना की जाय.


600 सुपरवाइजर और 3,500 गणनाकार

जिले में इस काम के लिए कॉमन सर्विस केंद्रों के 600 सुपरवाइजर और 3,500 गणनाकार लगाए गए हैं. विकास भवन हाल में शनिवार को लखनऊ से आई विशेष टीम ने जिले के 300 केंद्र संचालकों और उनके गणनाकारो को प्रशिक्षित किया. ये गणना करने वाले घर-घर जाएंगे और आर्थिक क्रियाकलापों को अपने मोबाइल ऐप पर दर्ज करेंगे.

इसे भी पढ़ें- आम बजट पर पीएम मोदी की प्रतिक्रिया

ग्रामीण अंचलों में फैली भ्रांतियों को लेकर गणना में आ रही समस्याओं को देखते हुए गणनाकारों को बताया जा रहा है कि ग्रामीणों को आर्थिक गणना के महत्व और आवश्यकता समझाने में ग्राम प्रधानों और स्थानीय स्कूली शिक्षकों की मदद ली जाए. इससे आंकड़े इकट्ठा करने में कोई समस्या नहीं आएगी.

Intro:बाराबंकी ,02 फरवरी । सातवीं आर्थिक गणना को लेकर आ रही कुछ दिक्कतों को देखते हुए गणना में लगे कॉमन सर्विस सेंटर के विलेज लेवल एंटरप्रेन्योर यानी वीएलई को लखनऊ से आई विशेष टीम ने प्रशिक्षित किया । विकास भवन हॉल में आयोजित वर्कशॉप में प्रशिक्षकों ने इन्हें मोबाइल ऐप पर डाटा फीड करने के तरीकों के साथ-साथ कौन-कौन से आंकड़े इकट्ठा करने हैं इसकी जानकारी दी । यही नहीं जानकारी जुटाने के दौरान आने वाली किसी भी समस्या को दूर करने के उपाय भी बताए ।


Body:वीओ - सातवीं आर्थिक गणना में आंकड़े जुटाने उनके प्रमाणीकरण ,रिपोर्ट तैयार करने और इनके प्रसार के लिए आईटी आधारित डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर पहली बार मोबाइल ऐप की मदद ली जा रही है । ये काम कामन सर्विस केंद्रों के माध्यम से एक विशेष मोबाइल ऐप से किया जा रहा है । इसी गणना के आधार पर सरकारें जनोपयोगी योजनाएं तैयार करती हैं । ये गणना हर पांच साल पर की जाती है । इस लिए जरूरी है कि तय मानकों के आधार पर ही गणना की जाय । जिले में इस काम के लिए कामन सर्विस केंद्रों के 6 सौ सुपरवाइजर और 3500 गणनाकार लगाए गए हैं । विकास भवन हाल में शनिवार को लखनऊ से आई विशेष टीम ने जिले के 3 सौ केंद्र संचालकों और उनके गणना कारो को प्रशिक्षित किया गया । ये गणना करने वाले घर घर जाएंगे और आर्थिक क्रियाकलापों को अपने मोबाइल ऐप पर दर्ज करेंगे ।
बाईट - आशुतोष कुमार सिंह ,प्रोजेक्ट मैनेजर ,आर्थिक गणना, सीएससी उत्तरप्रदेश

वीओ- मौजूदा समय में ग्रामीण अंचलों में फैली भ्रांतियों को लेकर गणना में आ रही समस्याओं को देखते हुए गणनाकारों को बताया जा रहा है कि ग्रामीणों को आर्थिक गणना के महत्व और आवश्यकता समझाने में ग्राम प्रधानों और स्थानीय स्कूली शिक्षकों की मदद ली जाए ताकि आंकड़े इकट्ठा करने में कोई समस्या ना आए ।
बाईट - विकास सिंह , वरिष्ठ सांख्यिकी अधिकारी लखनऊ


Conclusion:रिपोर्ट - अलीम शेख बाराबंकी
9454661740
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