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बाराबंकी: निजीकरण के खिलाफ URMU ने शुरू किया जागरूकता अभियान

बाराबंकी जिले में गुरुवार को यूआरएमयू के पदाधिकारियों ने बैठक कर रेलवे के निजीकरण को रोकने के मामले पर रणनीति तैयार की. बता दें कि यूनियन के पदाधिकारी प्रत्येक जिले में जाकर लोगों को निजीकरण के प्रति जागरूक कर रहे हैं.

URMU ने शुरू किया जागरूकता अभियान
URMU ने शुरू किया जागरूकता अभियान
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Published : Sep 25, 2020, 3:00 PM IST

बाराबंकी: रेलवे के निजीकरण किये जाने की मंशा से परेशान रेलवे कर्मचारियों ने आंदोलन शुरू कर दिया है. उत्तरीय रेलवे मजदूर यूनियन (यूआरएमयू) के पदाधिकारी हर जिले में जाकर रेल कर्मचारियों को अपने आंदोलन से जोड़ रहे हैं. इसी कड़ी में गुरुवार को बाराबंकी में यूनियन के पदाधिकारियों ने बैठक कर आंदोलन की रणनीति तैयार की.

यूनियन के पदाधिकारी अपने कर्मचारियों व आम जनता को निजीकरण से होने वाले नुकसानों से अवगत करा रहे हैं. इनका कहना है कि लोगों को जागरूक करके रेलवे के निजीकरण को रोका जाएगा. रेल कर्मियों ने कहा कि भारतीय रेल देश की लाइफ लाइन है. इसे निजीकरण में देकर पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाया जा रहा है. मौजूदा सरकार घाटे की बात कहकर कर्मचारियों को महज बदनाम कर रही है. अगर रेल विभाग घाटे में है तो पूंजीपति इसे खरीद क्यों रहे हैं. उन्होंने कहा कि रेल कर्मचारियों के खिलाफ यह एक बड़ी साजिश है.

कर्मचारियों ने सीधे तौर पर वर्तमान सरकार पर आरोप लगाया है. उनका कहना है कि अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कही जाने वाली रेल को निजीकरण के बाद तहस-नहस कर दिया जाएगा. रेलवे कर्मचारी किसी भी कीमत पर रेल का निजीकरण नहीं होने देंगे, फिर चाहे इसके लिए उन्हें रेल का चक्का ही क्यों न जाम करना पड़े.

बाराबंकी: रेलवे के निजीकरण किये जाने की मंशा से परेशान रेलवे कर्मचारियों ने आंदोलन शुरू कर दिया है. उत्तरीय रेलवे मजदूर यूनियन (यूआरएमयू) के पदाधिकारी हर जिले में जाकर रेल कर्मचारियों को अपने आंदोलन से जोड़ रहे हैं. इसी कड़ी में गुरुवार को बाराबंकी में यूनियन के पदाधिकारियों ने बैठक कर आंदोलन की रणनीति तैयार की.

यूनियन के पदाधिकारी अपने कर्मचारियों व आम जनता को निजीकरण से होने वाले नुकसानों से अवगत करा रहे हैं. इनका कहना है कि लोगों को जागरूक करके रेलवे के निजीकरण को रोका जाएगा. रेल कर्मियों ने कहा कि भारतीय रेल देश की लाइफ लाइन है. इसे निजीकरण में देकर पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाया जा रहा है. मौजूदा सरकार घाटे की बात कहकर कर्मचारियों को महज बदनाम कर रही है. अगर रेल विभाग घाटे में है तो पूंजीपति इसे खरीद क्यों रहे हैं. उन्होंने कहा कि रेल कर्मचारियों के खिलाफ यह एक बड़ी साजिश है.

कर्मचारियों ने सीधे तौर पर वर्तमान सरकार पर आरोप लगाया है. उनका कहना है कि अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कही जाने वाली रेल को निजीकरण के बाद तहस-नहस कर दिया जाएगा. रेलवे कर्मचारी किसी भी कीमत पर रेल का निजीकरण नहीं होने देंगे, फिर चाहे इसके लिए उन्हें रेल का चक्का ही क्यों न जाम करना पड़े.

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