बाराबंकी: जो रब है, वही राम का संदेश देने वाले मशहूर सूफी संत हाजी वारिस अली शाह के पिता सैयद कुर्बान अली शाह की याद में लगने वाला दस दिवसीय देवा मेला काफी प्राचीन है. कोरोना के चलते बीते दो वर्ष मेला नहीं हुआ था. इस साल यह मेला तिथि से दो दिन बाद हुआ है. कौमी एकता का प्रतीक बाराबंकी के देवा मेला में आपको दूसरी अन्य चीजों के अलावा खाने-पीने की तमाम चीजें भी मिल जाएंगी. फिलहाल, इस मेले में एक खास व्यंज खूब धूम मचा रहा है. मेले में आने वाले लोग इस खास व्यंजन को खाने से अपने आपको रोक नहीं पा रहे.
दरअसल, हलवा पराठा एक खास किस्म की तकनीक से बनाया जाता है. पहले बड़े पराठा के बारे में जान लेते हैं कि ये कैसे तैयार होता है. सबसे पहले मैदा में वनस्पति घी, नमक और पानी मिलाकर उसे देर तक गूंथते हैं. उसके बाद उसे मुलायम होने के लिए दो घण्टे के लिए रख दिया जाता हैं. फिर गूंथे हुए मैदे की लोई काटते हैं. उसे भी थोड़ी देर के लिए रख दिया जाता है. इस लोई को कई बार रोल किया जाता है ताकि, इसमें परतें पड़ जाए. उसके बाद लकड़ी के एक बड़े फ्रेम पर इसे बेला जाता है और इसे बड़े साइज का कर दिया जाता है. अब इसको एक बड़ी कड़ाही में वनस्पति घी में तल दिया जाता है. इसके बड़े साइज को लेकर लोग इसे साबू पराठा भी बोलते हैं.
हलवा बनाने में सूजी, घी, शकर और मेवा का इस्तेमाल होता है. सूजी को पहले हल्का गोल्डन होने तक घी में भूना जाता है. फिर एक बड़े कड़ाहे में शकर की चाशनी बनाकर उसमें ये भूनी हुई सूजी डालकर गाढ़ा होने तक पकाया जाता हैं. बीच बीच मे इसमें घी डालकर मिक्स करते रहते हैं. आखिर में मेवा डालकर इसे सजा देते हैं.
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