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दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के दो अलग-अलग मामलों में दो अभियुक्तों को कठोर कारावास

बाराबंकी की अदालतों ने दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के दो अलग-अलग मामलों में दो आरोपियों को दोषी पाते हुए उन्हें 11 वर्ष और 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है.

दुष्कर्म और पॉक्सो
दुष्कर्म और पॉक्सो
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Published : Sep 22, 2022, 10:41 PM IST

बाराबंकी: दुष्कर्म और पॉक्सो ऐक्ट के दो अलग-अलग मामलों में बाराबंकी की अदालतों ने दो आरोपियों को दोषी पाते हुए उन्हें 11 वर्ष और 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. दोनों मामले एक ही थाना क्षेत्र सुबेहा से संबंधित हैं.

पहला मामला सुबेहा थाना क्षेत्र (Subeha police station area) का है, जिसका फैसला अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नम्बर 46 ने सुनाया है. अभियोजन कथानक के अनुसार 25 दिसम्बर 2013 को वादी की पुत्री के साथ दुष्कर्म कर जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा वादी ने पप्पू शुक्ला उर्फ दिलीप शुक्ला पुत्र रामसागर के खिलाफ सुबेहा थाने पर मुकदमा दर्ज कराया था. वादी की तहरीर पर धारा 377/376(2)/506 आईपीसी और 5/6पॉक्सो ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने तफ्तीश शुरू की थी. तत्कालीन विवेचक द्वारा वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्य संकलन करते हुए विवेचना के उपरांत अभियुक्त पप्पू शुक्ला उर्फ दिलीप शुक्ला के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया था. मामले में अभियोजन ने ठोस पैरवी की और गवाह प्रस्तुत किये. अभियोजन और बचाव पक्ष के गवाहों की गवाही और दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश (पॉक्सो ऐक्ट) कोर्ट नम्बर 46 ने अभियुक्त पप्पू शुक्ला उर्फ दिलीप शुक्ला को दोषी पाते हुए उसे 11 वर्ष के कठोर कारावास और 45 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.

यह भी पढ़ें- लेवाना अग्निकांड मामले में स्वतः संज्ञान याचिका पर सुनवाई

दूसरा मामला भी सुबेहा थाना क्षेत्र से सम्बंधित है. ये फैसला अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नम्बर 44 ने सुनाया है. वादी ने 19 सितम्बर 2015 को सुबह थाने में अपनी पुत्री को रमेश पुत्र पुरुषोत्तम और रामू पुत्र स्वर्गीय रघुराज द्वारा बहला फुसलाकर भगा ले जाने का आरोप लगाते हुए तहरीर दी थी. पुलिस ने अभियुक्तों के खिलाफ धारा 363/366/376 आईपीसी और पॉक्सो ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर तफ्तीश शुरू की. विवेचना के दौरान अभियुक्त रामू के खिलाफ साक्ष्य न पाए जाने पर तत्कालीन विवेचक ने रामू का नाम निकाल दिया और अभियुक्त रमेश के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य पाते हुए उसके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. अभियोजन पक्ष ने समुचित कार्यवाही करते हुए ठोस गवाह प्रस्तुत किये. अभियोजन और बचाव पक्षों द्वारा पेश की गई गवाहियों और बहस सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश पॉक्सो ऐक्ट कोर्ट नम्बर 44 ने अभियुक्त रमेश को दोषी पाते हुए उसे 10 वर्ष के कठोर कारावास और 20 हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई.


बाराबंकी: दुष्कर्म और पॉक्सो ऐक्ट के दो अलग-अलग मामलों में बाराबंकी की अदालतों ने दो आरोपियों को दोषी पाते हुए उन्हें 11 वर्ष और 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. दोनों मामले एक ही थाना क्षेत्र सुबेहा से संबंधित हैं.

पहला मामला सुबेहा थाना क्षेत्र (Subeha police station area) का है, जिसका फैसला अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नम्बर 46 ने सुनाया है. अभियोजन कथानक के अनुसार 25 दिसम्बर 2013 को वादी की पुत्री के साथ दुष्कर्म कर जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा वादी ने पप्पू शुक्ला उर्फ दिलीप शुक्ला पुत्र रामसागर के खिलाफ सुबेहा थाने पर मुकदमा दर्ज कराया था. वादी की तहरीर पर धारा 377/376(2)/506 आईपीसी और 5/6पॉक्सो ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने तफ्तीश शुरू की थी. तत्कालीन विवेचक द्वारा वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्य संकलन करते हुए विवेचना के उपरांत अभियुक्त पप्पू शुक्ला उर्फ दिलीप शुक्ला के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया था. मामले में अभियोजन ने ठोस पैरवी की और गवाह प्रस्तुत किये. अभियोजन और बचाव पक्ष के गवाहों की गवाही और दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश (पॉक्सो ऐक्ट) कोर्ट नम्बर 46 ने अभियुक्त पप्पू शुक्ला उर्फ दिलीप शुक्ला को दोषी पाते हुए उसे 11 वर्ष के कठोर कारावास और 45 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.

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दूसरा मामला भी सुबेहा थाना क्षेत्र से सम्बंधित है. ये फैसला अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नम्बर 44 ने सुनाया है. वादी ने 19 सितम्बर 2015 को सुबह थाने में अपनी पुत्री को रमेश पुत्र पुरुषोत्तम और रामू पुत्र स्वर्गीय रघुराज द्वारा बहला फुसलाकर भगा ले जाने का आरोप लगाते हुए तहरीर दी थी. पुलिस ने अभियुक्तों के खिलाफ धारा 363/366/376 आईपीसी और पॉक्सो ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर तफ्तीश शुरू की. विवेचना के दौरान अभियुक्त रामू के खिलाफ साक्ष्य न पाए जाने पर तत्कालीन विवेचक ने रामू का नाम निकाल दिया और अभियुक्त रमेश के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य पाते हुए उसके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. अभियोजन पक्ष ने समुचित कार्यवाही करते हुए ठोस गवाह प्रस्तुत किये. अभियोजन और बचाव पक्षों द्वारा पेश की गई गवाहियों और बहस सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश पॉक्सो ऐक्ट कोर्ट नम्बर 44 ने अभियुक्त रमेश को दोषी पाते हुए उसे 10 वर्ष के कठोर कारावास और 20 हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई.


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