बाराबंकी: समाजवादी पार्टी (samajwadi party) के साथ गठबंधन की अटकलों को आम आदमी पार्टी (aam aadmi party) के कार्यकर्ता पचा नहीं पा रहे हैं. पार्टी के प्रदेश प्रभारी संजय सिंह की अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद गठबंधन को लेकर उपजी सुगबुगाहट से कार्यकर्ता खासा निराश हैं. हालांकि, अभी गठबंधन पर मुहर नहीं लगी है. बावजूद इसके कार्यकर्ताओं के मन उचाट होने लगे हैं. निराशा इतनी है कि कार्यकर्ताओं ने अभी से ही पार्टी से किनारा करना शुरू कर दिया है. यूथ विंग के प्रदेश सचिव समेत कई कार्यकर्ताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. वहीं, बाराबंकी में पार्टी पूरी तरह बिखरने के कगार (Party on the verge of disintegration in Barabanki) पर है.
बताते चलें कि बीते 24 नवंबर को आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी व राज्यसभा सांसद संजय सिंह और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की करीब आधे घंटे तक बंद कमरे में हुई बैठक के बाद सियासी हलकों में इस बात की चर्चा तेज है कि जल्द ही दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन को अंतिम रूप दिया जाएगा.
वहीं, इस मुलाकात के बाद सूबे सियासी सरगर्मियां बढ़ गई हैं. गठबंधन की सुगबुगाहट ने आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को बेचैन कर दिया है. पार्टी कार्यकर्ताओं और चुनाव लड़ने का मूड बना चुके कार्यकर्ताओं में निराशा छा गई. पार्टी के बाराबंकी जिलाध्यक्ष वीरेंद्र पटेल ने कहा कि अगर गठबंधन होता है तो संजय सिंह का ये मनमाना फैसला होगा.
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कोई भी फैसला अकेले नहीं लिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि पहले तो सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारने की घोषणा की गई और फिर 170 प्रत्याशी घोषित भी कर दिए गए. ऐसे में अब विधानसभा प्रभारियों से कहा गया है कि वे क्षेत्र में जाकर दिल्ली सरकार की तर्ज पर विकास करने के वादे के साथ प्रचार-प्रसार करें.
प्रत्याशी बन जाने के बाद लोगों ने लाखों रुपये खर्च कर बैनर पोस्टर और होर्डिंग बनवाई, लेकिन अब गठबंधन की सुगबुगाहट ने प्रत्याशियों को निराश कर दिया है. उन्होंने कहा कि गठबंधन को लेकर लगाए जा रहे कयासों से जिला संगठन के लोगों में खासा निराशा है. लोग पार्टी को छोड़कर जाने लगे हैं. चुनाव तक देखिए क्या होता है. संगठन बचता है भी या नही.
वहीं, कुर्सी विधानसभा के प्रभारी बनाए जाने पर नीरज कुमार रावत ने लाखों रुपये खर्च कर तैयारी शुरू की थी. लेकिन अचानक प्रदेश प्रभारी संजय सिंह का अखिलेश यादव से मिलना और फिर गठबंधन की चर्चाओं ने उन पर मानों बिजली गिरा दी हो. अब वे किस मुंह से अपना प्रचार करें. नीरज कुमार की मानें तो ये हालत अकेले उनकी नहीं है.
प्रदेश में उन जैसे तमाम प्रत्याशी हैं, जिन्होंने लाखों रुपये खर्च कर डाले हैं. चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी की, लेकिन अगर गठबंधन होता है और जिनको टिकट नहीं मिलता है, उसकी खर्च का हिसाब कौन देगा. नीरज का कहना है कि अगर पार्टी ने गठबंधन करने का फैसला लिया तो न केवल वो बल्कि प्रदेश के तमाम कार्यकर्ता पार्टी छोड़ देंगे.
इधर, पार्टी के यूथ विंग के प्रदेश सचिव अमित पटेल भी गठबंधन की चर्चाओं से खासा आहत हैं. उनका कहना है कि पिछले आठ वर्षों से पार्टी को बढ़ाने के लिए वे गांव-गांव घूमे लोगों को पार्टी से जोड़ा. अब जब कार्यकर्ताओं और मतदाताओं में पार्टी के प्रति निष्ठा बढ़ रही थी तो ऐसे में पार्टी में सपा से गठबंधन की चर्चा होने लगी. अमित ने बताया कि उनका क्षेत्र में निकलना मुहाल हो गया है. लोग तरह-तरह से ताने दे रहे हैं. लिहाजा उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देना ही बेहतर समझा.
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