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कर्नाटक के बाद बाराबंकी के बने तिरंगे की मची धूम, 50 हजार खादी के झंडों के मिले ऑर्डर

आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) ने बाराबंकी के क्षेत्रीय श्रीगांधी आश्रम (Shree Gandhi Ashram Barabanki) को एक नया पंख दिया है. यहां खादी के कपड़े से बनने वाले तिरंगे (khadi tiranga) की डिमांड की बढ़ गई है. आश्रम को तकरीबन 50 हजार झंडे का ऑर्डर मिला है.

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श्रीगांधी आश्रम
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Published : Jul 29, 2022, 1:36 PM IST

बाराबंकी: काफी अर्से बाद बाराबंकी के क्षेत्रीय श्रीगांधी आश्रम (Shree Gandhi Ashram Barabanki) को व्यवसाय के मामले में संजीवनी मिली है. आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) ने यहां का काम काज बढ़ा दिया है. इन दिनों यहां राष्ट्रीय ध्वज तैयार किए जा रहे हैं. यहां के बने खादी के तिरंगे (khadi tiranga) की पूरे देश मे धूम है. कर्नाटक के हुबली में तैयार होने वाले झंडों के बाद अगर डिमांड है तो बाराबंकी के बने तिरंगे की. यही वजह है कि यहां दर्जन भर से ज्यादा जिलों से तकरीबन 50 हजार झंडे लेने की डिमांड आई है.

जानकारी देते हुए आश्रम के मंत्री राजेश कुमार सिंह.

श्रीगांधी आश्रम सूबे का अकेला आश्रम है, जहां मोटी खादी का उत्पादन होता है. रंगाई और छपाई के लिए सूबे में इसकी खास पहचान है. यहां की बनी रजाइयों का कोई जवाब नहीं है. यहीं नहीं यहां के बने तिरंगों की पूरे देश मे धूम है. पिछले कई वर्षों से ये काम कुछ कम हो गया था. लेकिन, आजादी के 'अमृत महोत्सव' ने इस केंद्र को नई संजीवनी दे दी है.

दरअसल, रंगाई और छपाई के मामले में उत्तर भारत मे अव्वल होने के चलते यहां तैयार होने वाले झंडे उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं. यही वजह है कि आजादी के अमृत महोत्सव के चलते बांदा, रायबरेली, गोरखपुर, झांसी, लखनऊ, अलीगढ़ और उत्तराखंड के हल्द्वानी जैसे कई जिलों से झंडे की डिमांड आई है. इस गांधी आश्रम के पास 50 हजार झंडों का ऑर्डर है.

यह भी पढ़ें: एक बच्चा...दावेदार दो, अब DNA से होगा असली पिता का फैसला

ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (Bureau of Indian Standard) के अनुरूप तैयार होने के चलते यहां के झंडों की बड़ी डिमांड है. यहां 180 रुपये से लगाकर 1,700 रुपये तक के अलग-अलग साइज के झंडे तैयार किए जा रहे हैं. अच्छी क्वालिटी के चलते यहां के झंडों की कीमत भले ही कुछ ज्यादा है. लेकिन, यहां के कर्मचारियों को उम्मीद है कि देश प्रेम का जज्बा रखने वाले लोग पैसों की फिक्र न करते हुए यहां के बने झंडे जरूर फहराएंगे.

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बाराबंकी: काफी अर्से बाद बाराबंकी के क्षेत्रीय श्रीगांधी आश्रम (Shree Gandhi Ashram Barabanki) को व्यवसाय के मामले में संजीवनी मिली है. आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav) ने यहां का काम काज बढ़ा दिया है. इन दिनों यहां राष्ट्रीय ध्वज तैयार किए जा रहे हैं. यहां के बने खादी के तिरंगे (khadi tiranga) की पूरे देश मे धूम है. कर्नाटक के हुबली में तैयार होने वाले झंडों के बाद अगर डिमांड है तो बाराबंकी के बने तिरंगे की. यही वजह है कि यहां दर्जन भर से ज्यादा जिलों से तकरीबन 50 हजार झंडे लेने की डिमांड आई है.

जानकारी देते हुए आश्रम के मंत्री राजेश कुमार सिंह.

श्रीगांधी आश्रम सूबे का अकेला आश्रम है, जहां मोटी खादी का उत्पादन होता है. रंगाई और छपाई के लिए सूबे में इसकी खास पहचान है. यहां की बनी रजाइयों का कोई जवाब नहीं है. यहीं नहीं यहां के बने तिरंगों की पूरे देश मे धूम है. पिछले कई वर्षों से ये काम कुछ कम हो गया था. लेकिन, आजादी के 'अमृत महोत्सव' ने इस केंद्र को नई संजीवनी दे दी है.

दरअसल, रंगाई और छपाई के मामले में उत्तर भारत मे अव्वल होने के चलते यहां तैयार होने वाले झंडे उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं. यही वजह है कि आजादी के अमृत महोत्सव के चलते बांदा, रायबरेली, गोरखपुर, झांसी, लखनऊ, अलीगढ़ और उत्तराखंड के हल्द्वानी जैसे कई जिलों से झंडे की डिमांड आई है. इस गांधी आश्रम के पास 50 हजार झंडों का ऑर्डर है.

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ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (Bureau of Indian Standard) के अनुरूप तैयार होने के चलते यहां के झंडों की बड़ी डिमांड है. यहां 180 रुपये से लगाकर 1,700 रुपये तक के अलग-अलग साइज के झंडे तैयार किए जा रहे हैं. अच्छी क्वालिटी के चलते यहां के झंडों की कीमत भले ही कुछ ज्यादा है. लेकिन, यहां के कर्मचारियों को उम्मीद है कि देश प्रेम का जज्बा रखने वाले लोग पैसों की फिक्र न करते हुए यहां के बने झंडे जरूर फहराएंगे.

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