बाराबंकी: रोजी रोटी की तलाश में दूसरे प्रदेशों को गए मजदूरों की कमर कोरोना संकट ने तोड़ दी है. लॉकडाउन के चलते काम बंद होने से जमा पूंजी खत्म हो गई. खाने की परेशानी होने लगी तो अपने गांव की याद आने लगी. सरकार ने स्पेशल ट्रेनें चलाकर प्रवासी मजदूरों की घर वापसी करवाई. मुश्किल दौर से गुजर रहे ये मजदूर अब किसी भी कीमत पर परदेस कमाने जाने को राजी नहीं हैं.
त्रिचूर से श्रमिक स्पेशल ट्रेन पहुंची बाराबंकी
केरल के त्रिचूर से चलकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन जैसे ही बाराबंकी स्टेशन पहुंची सभी मजदूर खुश हो गए. पिछले कई वर्षों से ये केरल में रहकर मेहनत मजदूरी कर परिवार का पेट पालते थे. फर्रुखाबाद के रहने वाले संतोष अपने परिवार के साथ ज्यादा कमाने के चक्कर मे केरल के त्रिचूर गए थे. कुछ दिन मेहनत मजदूरी के बाद गन्ने का रस निकालने की मशीन लगा ली और फिर इसी से गुजर बसर करने लगे, लेकिन जब मार्च में लॉकडाउन की घोषणा हुई तो काम बंद हो गया, जो कुछ कमाया था धीरे-धीरे खत्म हो गया. एक वक्त ऐसा भी आया जब खाने-पीने के लिए कुछ नहीं बचा, तो इन्हें अपने गांव की याद आने लगी और घर वापसी को लेकर परेशान होने लगे.
मजदूरों को नहीं जाना बाहर कमाने
वहीं प्रवासी मजदूर छविराम ने बताया कि यहां गांव में न तो कोई काम धंधा था और न ही खेती बाड़ी. काम की तलाश में केरल चले गए, लेकिन अब परदेस कमाने के लिए कभी नहीं जाएंगे. इनका कहना है कि अपना घर अपना ही होता है. नमक रोटी खाकर गुजारा करना ठीक है, लेकिन परदेस कमाने नहीं जाना है.
बाराबंकी: प्रवासी मजदूरों ने बयां किया दर्द, कहा- परदेस से अच्छा गांव में खाएं सूखी रोटी
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में लॉकडाउन के दौरान केरल के त्रिचूर में फंसे मजदूरों के लिए सरकार ने श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई, जोकि सोमवार को बाराबंकी स्टेशन पहुंची. स्टेशन पहुंचे मजदूरों का कहना है कि अपने गांव में रह कर सूखी रोटी खा के गुजारा कर लेंगे लेकिन परदेस कमाने कभी नहीं जाएंगे.
बाराबंकी: रोजी रोटी की तलाश में दूसरे प्रदेशों को गए मजदूरों की कमर कोरोना संकट ने तोड़ दी है. लॉकडाउन के चलते काम बंद होने से जमा पूंजी खत्म हो गई. खाने की परेशानी होने लगी तो अपने गांव की याद आने लगी. सरकार ने स्पेशल ट्रेनें चलाकर प्रवासी मजदूरों की घर वापसी करवाई. मुश्किल दौर से गुजर रहे ये मजदूर अब किसी भी कीमत पर परदेस कमाने जाने को राजी नहीं हैं.
त्रिचूर से श्रमिक स्पेशल ट्रेन पहुंची बाराबंकी
केरल के त्रिचूर से चलकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन जैसे ही बाराबंकी स्टेशन पहुंची सभी मजदूर खुश हो गए. पिछले कई वर्षों से ये केरल में रहकर मेहनत मजदूरी कर परिवार का पेट पालते थे. फर्रुखाबाद के रहने वाले संतोष अपने परिवार के साथ ज्यादा कमाने के चक्कर मे केरल के त्रिचूर गए थे. कुछ दिन मेहनत मजदूरी के बाद गन्ने का रस निकालने की मशीन लगा ली और फिर इसी से गुजर बसर करने लगे, लेकिन जब मार्च में लॉकडाउन की घोषणा हुई तो काम बंद हो गया, जो कुछ कमाया था धीरे-धीरे खत्म हो गया. एक वक्त ऐसा भी आया जब खाने-पीने के लिए कुछ नहीं बचा, तो इन्हें अपने गांव की याद आने लगी और घर वापसी को लेकर परेशान होने लगे.
मजदूरों को नहीं जाना बाहर कमाने
वहीं प्रवासी मजदूर छविराम ने बताया कि यहां गांव में न तो कोई काम धंधा था और न ही खेती बाड़ी. काम की तलाश में केरल चले गए, लेकिन अब परदेस कमाने के लिए कभी नहीं जाएंगे. इनका कहना है कि अपना घर अपना ही होता है. नमक रोटी खाकर गुजारा करना ठीक है, लेकिन परदेस कमाने नहीं जाना है.