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बाराबंकी: स्कूली वाहनों के तय मानकों की हो रही अनदेखी

देशभर में बच्चों को ले जाने वाहनों के लिए माननीय उच्चतम न्यायालय ने कुछ मानक दिशा-निर्देश जारी किए हैं, लेकिन बाराबंकी जिले में इन नियमों की अनदेखी करके उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवमानना की जा रही है. कई विद्यालयों के बच्चे दबाव के चलते प्राइवेट वाहनों में जाते हैं.

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Published : May 12, 2019, 7:23 AM IST

स्कूल वाहनों में तय मानकों की हो रही अनदेखी.

बाराबंकी: माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा स्कूली बच्चों को ले जाने वाले वाहनों के लिए जारी किए गए नियमों की जिले में अनदेखी हो रही है. एक छोटी वैन में 20 बच्चों को बैठाकर ले जाया जा रहा है. कई प्राइवेट स्कूल तो वाहन भी उपलब्ध नहीं करा रहे हैं. जिस प्रकार से बच्चों को वाहनों में ले जाया जा रहा है, यह दुर्घटना को सीधा न्यौता देना कहा जा सकता है.

स्कूल वाहनों में तय मानकों की हो रही अनदेखी.


इस गाड़ी में लगभग 20 बच्चे हैं और जब ज्यादा बच्चे हो जाते हैं तो और ज्यादा लेकर जाते हैं, जब कम होते हैं तो कम लेकर जाते हैं. लगभग यही हाल शहर के अधिकतम बच्चों का है, जो इसी प्रकार के वाहनों में स्कूल जाने को मजबूर हैं.

- पिन्टू ,चालक, निजी वाहन ,बाराबंकी

हम नियमों का कड़ाई से पालन कराने के लिए प्रतिबद्ध है, और इसके लिए कार्रवाई भी करते हैं. जो वाहन विद्यालयों के लिए अधिकृत हैं, उनमें फुट रेस्ट से लेकर सीटबेल्ट और तमाम सारी सुविधाएं जो नियमों के तहत आती है वह निश्चित तौर पर होनी ही चाहिए . सभी विद्यालय अपने बच्चों को पहुंचाने और ले आने के लिए वाहन भी उपलब्ध कराएं . यदि वह उपलब्ध नहीं कराते हैं तो ऐसे वाहन जो प्राइवेट लगना चाहते हैं, वह भी अनुबंधन के अनुसार स्कूली वैन के रंग में ही होने चाहिए.

- पंकज सिंह , एआरटीओ , बाराबंकी

बाराबंकी: माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा स्कूली बच्चों को ले जाने वाले वाहनों के लिए जारी किए गए नियमों की जिले में अनदेखी हो रही है. एक छोटी वैन में 20 बच्चों को बैठाकर ले जाया जा रहा है. कई प्राइवेट स्कूल तो वाहन भी उपलब्ध नहीं करा रहे हैं. जिस प्रकार से बच्चों को वाहनों में ले जाया जा रहा है, यह दुर्घटना को सीधा न्यौता देना कहा जा सकता है.

स्कूल वाहनों में तय मानकों की हो रही अनदेखी.


इस गाड़ी में लगभग 20 बच्चे हैं और जब ज्यादा बच्चे हो जाते हैं तो और ज्यादा लेकर जाते हैं, जब कम होते हैं तो कम लेकर जाते हैं. लगभग यही हाल शहर के अधिकतम बच्चों का है, जो इसी प्रकार के वाहनों में स्कूल जाने को मजबूर हैं.

- पिन्टू ,चालक, निजी वाहन ,बाराबंकी

हम नियमों का कड़ाई से पालन कराने के लिए प्रतिबद्ध है, और इसके लिए कार्रवाई भी करते हैं. जो वाहन विद्यालयों के लिए अधिकृत हैं, उनमें फुट रेस्ट से लेकर सीटबेल्ट और तमाम सारी सुविधाएं जो नियमों के तहत आती है वह निश्चित तौर पर होनी ही चाहिए . सभी विद्यालय अपने बच्चों को पहुंचाने और ले आने के लिए वाहन भी उपलब्ध कराएं . यदि वह उपलब्ध नहीं कराते हैं तो ऐसे वाहन जो प्राइवेट लगना चाहते हैं, वह भी अनुबंधन के अनुसार स्कूली वैन के रंग में ही होने चाहिए.

- पंकज सिंह , एआरटीओ , बाराबंकी

Intro: बाराबंकी ,11 अप्रैल । माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा ,स्कूली बच्चों को ले जाने वाले वाहनों के लिए जारी किए गए, नियमों की हो रही है अनदेखी. एक छोटे वैन में 20 बच्चों को बैठा कर ले जाया जा रहा है.कई प्राइवेट स्कूल तो वाहन भी उपलब्ध नहीं करा रहे हैं. बच्चों एवं उनके अभिभावकों से निजी वाहनों के द्वारा बच्चों को स्कूल भेजने के लिए दबाव बना रहे हैं. प्राइवेट वाहन ना तो पीले कलर में है और ना तय मानक के द्वारा लैस हैं. जिस प्रकार से बच्चों को वाहनों में ले जाया जा रहा है ,यह दुर्घटना को सीधे-सीधे आमंत्रण है.


Body:देशभर में बच्चों को ले जाने वाहनों के लिए माननीय उच्चतम न्यायालय ने कुछ मानक दिशा निर्देश जारी किए हैं, लेकिन बाराबंकी जिले में इन नियमों की अनदेखी करके उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवमानना की जा रही है. कई विद्यालयों के बच्चे दबाव से प्राइवेट वाहनों में जाते हैं .
निजी वाहन के चालक जो बच्चों को स्कूलों तक पहुंचाते हैं, पिंटू का कहना है कि इस गाड़ी में लगभग 20 बच्चे हैं. और उनका यहां तक कहना है, कि जब ज्यादा बच्चे हो जाते हैं तो ज्यादा लेकर जाते हैं, और जब कम होते हैं तो कम लेकर जाते हैं. लगभग यही हाल शहर के अधिकतम बच्चों का है, जो इसी प्रकार के वाहनों में जाने को मजबूर हैं.
जिले के एआरटीओ पंकज सिंह का कहना है कि वह नियमों का कड़ाई से पालन कराने के लिए प्रतिबद्ध है, और इसके लिए वह कार्रवाई भी करते हैं. बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि जो वाहन विद्यालयों के लिए अधिकृत हैं, उनमें फुट रेस्ट से लेकर सीटबेल्ट और तमाम सारी सुविधाएं जो नियमों के तहत आती है वह निश्चित तौर पर होनी ही चाहिए . सभी विद्यालय अपने बच्चों को पहुंचाने और ले आने के लिए वाहन भी उपलब्ध कराएं . यदि वह उपलब्ध नहीं कराते हैं तो ऐसे वाहन जो प्राइवेट लगना चाहते हैं ,वह भी अनुबंधन के अनुसार स्कूली वैन के रंग में ही होने चाहिए.



Conclusion:अब समस्या इस बात की है कि नियम और कानून बनाए जाते हैं, लेकिन जागरूकता के अभाव में अभिभावक भी अपने बच्चों को, ऐसे ही वाहनों में भेजने के लिए मजबूर हो जाते हैं, और किसी भी प्रकार की आपत्ति दर्ज नहीं कराते हैं .ऐसे ही दशा में कभी-कभी गंभीर दुर्घटनाएं हो जाती हैं ,जिसके बाद लोगों को केवल पछतावा रह जाता है.
अभिभावक , प्रशासन और विद्यालय को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार ही, स्कूली वाहनों को उपलब्ध कराना चाहिए ,जिससे बच्चे सुरक्षित रहे ,और किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके.
क्योंकि यह बात सत्य है कि दुर्घटना से पहले बचाव कर लेना ज्यादा उचित होता है.



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1 - पिन्टू ,चालक, निजी वाहन ,बाराबंकी

2- पंकज सिंह , एआरटीओ , बाराबंकी.



रिपोर्ट- आलोक कुमार शुक्ला , रिपोर्टर बाराबंकी 9628 4769 07
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