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...जैसे ही ऑन हुआ मोबाइल, युवक के ड्रामे का हुआ राजफाश

यूपी के बाराबंकी में बड़े भाई की डांट से बचने के लिए एक युवक ने ऐसा ड्रामा किया जिससे न केवल परिजन परेशान रहे बल्कि एक हफ्ते तक पुलिस भी हलकान रही, लेकिन बंद चल रहा युवक का मोबाइल जैसे ही कुछ क्षणों के लिए ऑन हुआ इस ड्रामे का राजफाश हो गया.

युवक को खोजने में पुलिस भी रही हलकान.
युवक को खोजने में पुलिस भी रही हलकान.
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Published : Oct 28, 2020, 9:48 AM IST

बाराबंकी : जिले में बड़े भाई की डांट से बचने के लिए एक युवक ने ऐसा ड्रामा किया जिससे न केवल परिजन परेशान रहे बल्कि एक हफ्ते तक पुलिस भी हलकान रही, लेकिन बंद चल रहा युवक का मोबाइल जैसे ही कुछ क्षणों के लिए ऑन हुआ इस ड्रामे का राजफाश हो गया.

कहानी कुछ यूं है...

बीते 20 अक्टूबर की सुबह थाना रामसनेहीघाट के भगवानपुर गांव की तरफ जाने वाले रास्ते पर तालाब के किनारे एक लावारिस मोटरसाइकल बरामद हुई, साथ ही पास के तालाब में हेलमेट मिला. गाड़ी नम्बर के आधार पर जब पड़ताल शुरू हुई तो ये गाड़ी उन्नाव जिले के राजकुमार की निकली. पुलिस द्वारा राजकुमार से बात करने पर पता चला कि वो नेचुरल फ्रूट प्राइवेट लिमिटेड लखनऊ में काम करता है. उसी के साथ राजस्थान के भरतपुर जिले के बयाना थाने के फरसो का रहने वाला चन्द्रशेखर भी काम करता है. राजकुमार ने बताया कि 19 अक्टूबर को चंद्रशेखर कम्पनी के बकाया वसूली के लिए राजकुमार की मोटरसाइकिल लेकर निकला था लेकिन जब वो नहीं लौटा तो चंद्रशेखर के भाई ने कम्पनी मालिक को बताया और लखनऊ के सरोजिनीनगर थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी.

केस को पुलिस ने बनाया चैलेंज

पुलिस अधीक्षक ने इस गुमशुदा चन्द्रशेखर की तलाश को चैलेंज स्वरूप लिया. पुलिस ने तहकीकात शुरू की तो पता चला कि चंद्रशेखर के भगवानपुर गांव के रहने वाले संतोष से व्यापारिक सम्बन्ध थे. पुलिस ने संतोष समेत कई लोगों से पूछताछ की लेकिन कोई सार्थक नतीजा नहीं निकला.

उलझ गई पुलिस

चन्द्रशेखर का अंतिम लोकेशन ट्रांसपोर्टनगर लखनऊ दिखा रहा था, जबकि उसकी बाइक और हेलमेट बाराबंकी के रामसनेही घाट थाना क्षेत्र में मिला. उसके बाद से उसका मोबाइल बंद चल रहा था. पुलिस को ये मामला पेचीदगी भरा लगा और वो इस गुत्थी को सुलझाने में लग गई. इसके लिए मोबाइल सर्विलांस पर लगा कर पुलिस उसकी लोकेशन पर नजर रखने लगी. लेकिन मोबाइल ऑफ होने से कोई सुराग नही मिल रहा था.

फोन ऑन होते ही चौंकी पुलिस

22 अक्टूबर को अचानक पुलिस उस वक्त चौंक गई जब चन्द्रशेखर के मोबाइल की लोकेशन प्रयागराज रेलवे स्टेशन के पास कुछ समय के लिए मिली उसमें आधार सम्बन्धी दो मैसेज भी आये. अब पुलिस को पता चल गया कि चन्द्रशेखर के मोबाइल का सिम बदला गया है. सर्विलांस के जरिए इस नए सिम का पीछा किया गया तो लोकेशन बनारस मिला. पुलिस ने लोकेशन टावर का पीछा करते-करते हनुमानघाट बनारस से चन्द्रशेखर को बरामद कर लिया.

पूछताछ में चन्द्रशेखर ने पुलिस को उलझाया

चन्द्रशेखर ने पुलिस को बताया कि उसने 5 लाख 60 हजार 500 रुपए वसूले और एक लाख रुपये राजकुमार को दे दिए, बाकी रुपए उसके पास थे. जैसे ही वो कम्पनी गेट पर आया किसी ने उसे पीछे से धक्का दिया जिससे वो गिर गया, फिर उसे कुछ याद नहीं कि वो कैसे प्रयागराज और फिर बनारस पहुंचा.

बैग की तलाशी लेने पर खुला राज

पुलिस ने जब उसका बैग खंगाला तो उसमें भिटरिया से अयोध्या और फिर प्रयागराज जाने के बस टिकट मिले. कड़ाई से पूछताछ में उसने बताया कि उस दिन कुल वसूली एक लाख 20 हजार रुपए की हुई थी और एक लाख रुपया उसने राजकुमार को दे दिया था. राजकुमार ने बताया कि उसे एक लाख रुपए दिए थे.

क्यों रचा ड्रामा ?

चन्द्रशेखर ने बताया कि उसके बड़े भाई ने पैसों की वसूली के लिए एक दिन पहले डांटा था. उसे कई जगह पेमेंट करना था लिहाजा वो डर गया था. उसने झूठ बोला था कि 5 लाख 60 हजार 500 रुपयों की वसूली हो गई है जबकि वसूली नहीं हुई थी. लिहाजा डरकर वो कम्पनी से वापस आ गया और भगवान पुर पहुंचकर मोटरसाइकिल रख दी और बस से अयोध्या फिर प्रयागराज और उसके बाद बनारस भाग गया था. फिलहाल बाराबंकी पुलिस ने चन्द्रशेखर को सरोजनी नगर पुलिस को सौंप दिया है.

बाराबंकी : जिले में बड़े भाई की डांट से बचने के लिए एक युवक ने ऐसा ड्रामा किया जिससे न केवल परिजन परेशान रहे बल्कि एक हफ्ते तक पुलिस भी हलकान रही, लेकिन बंद चल रहा युवक का मोबाइल जैसे ही कुछ क्षणों के लिए ऑन हुआ इस ड्रामे का राजफाश हो गया.

कहानी कुछ यूं है...

बीते 20 अक्टूबर की सुबह थाना रामसनेहीघाट के भगवानपुर गांव की तरफ जाने वाले रास्ते पर तालाब के किनारे एक लावारिस मोटरसाइकल बरामद हुई, साथ ही पास के तालाब में हेलमेट मिला. गाड़ी नम्बर के आधार पर जब पड़ताल शुरू हुई तो ये गाड़ी उन्नाव जिले के राजकुमार की निकली. पुलिस द्वारा राजकुमार से बात करने पर पता चला कि वो नेचुरल फ्रूट प्राइवेट लिमिटेड लखनऊ में काम करता है. उसी के साथ राजस्थान के भरतपुर जिले के बयाना थाने के फरसो का रहने वाला चन्द्रशेखर भी काम करता है. राजकुमार ने बताया कि 19 अक्टूबर को चंद्रशेखर कम्पनी के बकाया वसूली के लिए राजकुमार की मोटरसाइकिल लेकर निकला था लेकिन जब वो नहीं लौटा तो चंद्रशेखर के भाई ने कम्पनी मालिक को बताया और लखनऊ के सरोजिनीनगर थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी.

केस को पुलिस ने बनाया चैलेंज

पुलिस अधीक्षक ने इस गुमशुदा चन्द्रशेखर की तलाश को चैलेंज स्वरूप लिया. पुलिस ने तहकीकात शुरू की तो पता चला कि चंद्रशेखर के भगवानपुर गांव के रहने वाले संतोष से व्यापारिक सम्बन्ध थे. पुलिस ने संतोष समेत कई लोगों से पूछताछ की लेकिन कोई सार्थक नतीजा नहीं निकला.

उलझ गई पुलिस

चन्द्रशेखर का अंतिम लोकेशन ट्रांसपोर्टनगर लखनऊ दिखा रहा था, जबकि उसकी बाइक और हेलमेट बाराबंकी के रामसनेही घाट थाना क्षेत्र में मिला. उसके बाद से उसका मोबाइल बंद चल रहा था. पुलिस को ये मामला पेचीदगी भरा लगा और वो इस गुत्थी को सुलझाने में लग गई. इसके लिए मोबाइल सर्विलांस पर लगा कर पुलिस उसकी लोकेशन पर नजर रखने लगी. लेकिन मोबाइल ऑफ होने से कोई सुराग नही मिल रहा था.

फोन ऑन होते ही चौंकी पुलिस

22 अक्टूबर को अचानक पुलिस उस वक्त चौंक गई जब चन्द्रशेखर के मोबाइल की लोकेशन प्रयागराज रेलवे स्टेशन के पास कुछ समय के लिए मिली उसमें आधार सम्बन्धी दो मैसेज भी आये. अब पुलिस को पता चल गया कि चन्द्रशेखर के मोबाइल का सिम बदला गया है. सर्विलांस के जरिए इस नए सिम का पीछा किया गया तो लोकेशन बनारस मिला. पुलिस ने लोकेशन टावर का पीछा करते-करते हनुमानघाट बनारस से चन्द्रशेखर को बरामद कर लिया.

पूछताछ में चन्द्रशेखर ने पुलिस को उलझाया

चन्द्रशेखर ने पुलिस को बताया कि उसने 5 लाख 60 हजार 500 रुपए वसूले और एक लाख रुपये राजकुमार को दे दिए, बाकी रुपए उसके पास थे. जैसे ही वो कम्पनी गेट पर आया किसी ने उसे पीछे से धक्का दिया जिससे वो गिर गया, फिर उसे कुछ याद नहीं कि वो कैसे प्रयागराज और फिर बनारस पहुंचा.

बैग की तलाशी लेने पर खुला राज

पुलिस ने जब उसका बैग खंगाला तो उसमें भिटरिया से अयोध्या और फिर प्रयागराज जाने के बस टिकट मिले. कड़ाई से पूछताछ में उसने बताया कि उस दिन कुल वसूली एक लाख 20 हजार रुपए की हुई थी और एक लाख रुपया उसने राजकुमार को दे दिया था. राजकुमार ने बताया कि उसे एक लाख रुपए दिए थे.

क्यों रचा ड्रामा ?

चन्द्रशेखर ने बताया कि उसके बड़े भाई ने पैसों की वसूली के लिए एक दिन पहले डांटा था. उसे कई जगह पेमेंट करना था लिहाजा वो डर गया था. उसने झूठ बोला था कि 5 लाख 60 हजार 500 रुपयों की वसूली हो गई है जबकि वसूली नहीं हुई थी. लिहाजा डरकर वो कम्पनी से वापस आ गया और भगवान पुर पहुंचकर मोटरसाइकिल रख दी और बस से अयोध्या फिर प्रयागराज और उसके बाद बनारस भाग गया था. फिलहाल बाराबंकी पुलिस ने चन्द्रशेखर को सरोजनी नगर पुलिस को सौंप दिया है.

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