बाराबंकी: जिले में यूपी सरकार के दो मंत्रियों ने शनिवार को बाढ़ पीड़ितों के बीच राहत सामग्री वितरित की. बाढ़ प्रभावित तहसील राम सनेही घाट, सिरौली-गौसपुर और रामनगर के 18 पीड़ितों को बुलाकर राहत सामग्री दी गई. वहीं दूरदराज से राहत सामग्री लेने मुख्यालय पहुंचे पीड़ितों के चेहरे पर बाढ़ का दर्द छलक आया. हर साल घाघरा नदी में आने वाली बाढ़ इनको तबाह कर देती है. पानी भर जाने से हर साल इनको कुछ महीने कहीं और जाकर जीवन गुजारना पड़ता हैं. सरकारी मदद भी इनके लिए नाकाफी होती है. ये लोग चाहकर भी दूसरी जगह नहीं बस सकते हैं.
हर साल बाढ़ से होती है तबाही
घाघरा-सरयू नदी में आने वाली बाढ़ से जिले की तीन तहसील रामसनेहीघाट, सिरौली-गौसपुर और रामनगर के सैकड़ों गांव तबाह हो जाते हैं. नेपाल द्वारा पानी छोड़े जाने के बाद घाघरा उफान मारने लगती है, जिसके चलते घाघरा नदी के सैकड़ों तटवर्ती गांव इसकी चपेट में आ जाते हैं. यहां रहने वाले ग्रामीणों की फसलें डूब जाती हैं और घर बर्बाद हो जाते हैं. तटवर्ती गांवों के लोगों को पलायन कर सुरक्षित स्थान पर जाना पड़ता है. कई महीने इनको बंधे पर गुजारने होते हैं और जमीन से लगाव के चलते ये उसे छोड़ कर भी नहीं जा पाते हैं.
जनप्रतिनिधियों समेत तमाम संगठनों ने तराई में बसने वाले लोगों को विस्थापित कर उनके लिए स्थायी हल की मांग की है, लेकिन हार बार की तरह कुछ नहीं होता है और बार-बार सिर्फ इनकी समस्या के स्थायी निदान का आश्वासन ही दिया जाता है.