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बाराबंकी: डिमेंशिया बीमारी को लेकर स्वास्थ्य विभाग परेशान, कैंप लगाकर कर रहे जागरूक

यूपी के बाराबंकी में डिमेंशिया बीमारी को लेकर स्वास्थ्य विभाग खासा परेशान है. इस बीमारी से बचाव और जागरूकता के लिए जिला अस्पताल में स्थापित मनोरोग विभाग की विशेष टीम कैम्प लगाकर लोगों की काउंसिलिंग कर उनको इस बीमारी के प्रति जागरूक कर रही है.

डिमेंशिया
डिमेंशिया
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Published : Sep 22, 2020, 7:04 PM IST

बाराबंकी: अगर आप छोटी-छोटी चीजें जैसे ताला बंद करने के बाद चाभी भूल जाना या रसोई गैस बुझाना भूल जाते हैं, तो सतर्क हो जाइए क्योंकि यह डिमेंशिया जैसी खतरनाक बीमारी के लक्षण हैं. दिनोंदिन बढ़ रही इस बीमारी को लेकर स्वास्थ्य विभाग खासा चिंतित है. इस बीमारी के लक्षण और बचाव को जानने के लिए ईटीवी भारत के संवाददाता ने बाराबंकी जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. सौरभ मिश्रा से बात की. उन्होंने बताया कि इस बीमारी के मरीज बहुत तेजी के साथ बढ़ रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक पूरे विश्व में 50 मिलियन लोग और भारत में करीब 40 लाख लोग इससे पीड़ित हैं.

कैम्प लगाकर की जा रही लोगों की काउंसिलिंग.
कैम्प लगाकर की जा रही लोगों की काउंसिलिंग

भूलने की बीमारी के मरीजों की बढ़ती तादाद ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है. बाराबंकी जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. सौरभ मिश्रा ने बताया कि जिला अस्पताल में स्थापित मनोरोग विभाग की विशेष टीम इस खतरनाक बीमारी से बचाव के लिए न केवल लोगों का इलाज कर रही है, बल्कि कैम्प लगाकर लोगों की काउंसिलिंग कर उनको इस बीमारी के प्रति जागरूक भी कर रही है. डॉक्टरों के मुताबिक इस बीमारी में लोग छोटी-छोटी चीजें भूल जाते हैं, चिड़चिड़े हो जाते हैं, हर बात को शक की नजर से देखने लगते हैं.

भारत में करीब 40 लाख लोग पीड़ित
आंकड़ों के मुताबिक पूरे विश्व में 50 मिलियन लोग और भारत में करीब 40 लाख लोग इससे पीड़ित हैं. डॉक्टरों के मुताबिक हर 50 सेकंड में एक मरीज डायग्नोज हो रहा है.यही नहीं हर 3 लोगों में से दो को ये पता भी नहीं है कि ऐसी कोई बीमारी भी है.

डॉक्टरों की मानें तो लोगों में भूलने की इस बीमारी को उम्र बढ़ने की वजह मान लिया जाता है. कुछ लोग इसे जादू-टोने से भी जोड़ देते हैं, लेकिन इसे गम्भीरता से लेना चाहिए. जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. सौरभ मिश्रा ने बताया कि लाइफ स्टाइल बदलने के साथ-साथ खान-पान में सुधार और नियमित रूम से योगा कर इस बीमारी से बचा जा सकता है.

क्या है डिमेंशिया
डिमेंशिया किसी एक बीमारी का नाम नहीं है, बल्कि एक लक्षणों के समूह का नाम है जो मस्तिष्क की हानि से संबंधित है. डिमेंशिया के अनेक गंभीर और चिंताजनक लक्षण होते हैं, जिसका असर डिमेंशिया से पीड़ित लोगों के जीवन के हर पहलू पर होता है. इन लोगों को रोजाना के कामों में भी तमाम दिक्कतें होती हैं और यह दिक्कतें उम्र बढ़ने के साथ बढ़ती जाती हैं. पचास साल से कम उम्र के लोग भी इस बीमारी से ग्रस्त हैं, जिसे अल्जाइमर की शुरुआत के रूप में जाना जाता है.

बीमारी के लक्षण

  • याददाश्त कम होना.
  • रास्ता भटक जाना.
  • जरूरी चीजें भूल जाना.
  • सोचने में कठिनाई होना.
  • व्यक्तित्व में बदलाव हो जाना.
  • गिनती करने में दिक्कत होना.
  • नंबर जोड़ने और घटाने में दिक्कत होना, छोटी-छोटी समस्याओं को भी न सुलझा पाना.
  • किसी काम की पहल करने में झिझक महसूस करना.
  • किसी वस्तु का चित्र देखकर यह न समझ पाना कि यह क्या है.
  • समस्या हल करने या भाषा और ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत होना.

बीमारी का कारण
जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. सौरभ मिश्रा ने बताया कि जब मस्तिष्क की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं तो डिमेंशिया हो सकता है. डिमेंशिया सिर की चोट, स्ट्रोक, मस्तिष्क ट्यूमर और एचआईवी संक्रमण के कारण भी हो सकता है.

डिमेंशिया के प्रकार और इलाज
डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार अल्जाइमर रोग है. अल्जाइमर रोग होने का कारण दिमाग में परिवर्तन करना है. जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. सौरभ मिश्रा ने बताया कि इसके लक्षण प्रतीत होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें. अपनी जीवनशैली में सुधार करें और नियमित योग करें. इसके अलावा मेंटल एक्सरसाइज के रूप में दैनिक समाचार पत्रों को पढ़ना एवं पहेलियों को हल करना, दैनिक दिनचर्या के कार्यों की प्रैक्टिस करना, समय और स्थान के बारे में बार-बार बोध कराते रहना, दिन और तारीख को नियमित रूप से जांच कराते रहना, जिंदगी से जुड़े पुराने अनुभव के बारे में बताना, मोबाइल गेम खेलना चाहिए.

बाराबंकी: अगर आप छोटी-छोटी चीजें जैसे ताला बंद करने के बाद चाभी भूल जाना या रसोई गैस बुझाना भूल जाते हैं, तो सतर्क हो जाइए क्योंकि यह डिमेंशिया जैसी खतरनाक बीमारी के लक्षण हैं. दिनोंदिन बढ़ रही इस बीमारी को लेकर स्वास्थ्य विभाग खासा चिंतित है. इस बीमारी के लक्षण और बचाव को जानने के लिए ईटीवी भारत के संवाददाता ने बाराबंकी जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. सौरभ मिश्रा से बात की. उन्होंने बताया कि इस बीमारी के मरीज बहुत तेजी के साथ बढ़ रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक पूरे विश्व में 50 मिलियन लोग और भारत में करीब 40 लाख लोग इससे पीड़ित हैं.

कैम्प लगाकर की जा रही लोगों की काउंसिलिंग.
कैम्प लगाकर की जा रही लोगों की काउंसिलिंग

भूलने की बीमारी के मरीजों की बढ़ती तादाद ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है. बाराबंकी जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. सौरभ मिश्रा ने बताया कि जिला अस्पताल में स्थापित मनोरोग विभाग की विशेष टीम इस खतरनाक बीमारी से बचाव के लिए न केवल लोगों का इलाज कर रही है, बल्कि कैम्प लगाकर लोगों की काउंसिलिंग कर उनको इस बीमारी के प्रति जागरूक भी कर रही है. डॉक्टरों के मुताबिक इस बीमारी में लोग छोटी-छोटी चीजें भूल जाते हैं, चिड़चिड़े हो जाते हैं, हर बात को शक की नजर से देखने लगते हैं.

भारत में करीब 40 लाख लोग पीड़ित
आंकड़ों के मुताबिक पूरे विश्व में 50 मिलियन लोग और भारत में करीब 40 लाख लोग इससे पीड़ित हैं. डॉक्टरों के मुताबिक हर 50 सेकंड में एक मरीज डायग्नोज हो रहा है.यही नहीं हर 3 लोगों में से दो को ये पता भी नहीं है कि ऐसी कोई बीमारी भी है.

डॉक्टरों की मानें तो लोगों में भूलने की इस बीमारी को उम्र बढ़ने की वजह मान लिया जाता है. कुछ लोग इसे जादू-टोने से भी जोड़ देते हैं, लेकिन इसे गम्भीरता से लेना चाहिए. जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. सौरभ मिश्रा ने बताया कि लाइफ स्टाइल बदलने के साथ-साथ खान-पान में सुधार और नियमित रूम से योगा कर इस बीमारी से बचा जा सकता है.

क्या है डिमेंशिया
डिमेंशिया किसी एक बीमारी का नाम नहीं है, बल्कि एक लक्षणों के समूह का नाम है जो मस्तिष्क की हानि से संबंधित है. डिमेंशिया के अनेक गंभीर और चिंताजनक लक्षण होते हैं, जिसका असर डिमेंशिया से पीड़ित लोगों के जीवन के हर पहलू पर होता है. इन लोगों को रोजाना के कामों में भी तमाम दिक्कतें होती हैं और यह दिक्कतें उम्र बढ़ने के साथ बढ़ती जाती हैं. पचास साल से कम उम्र के लोग भी इस बीमारी से ग्रस्त हैं, जिसे अल्जाइमर की शुरुआत के रूप में जाना जाता है.

बीमारी के लक्षण

  • याददाश्त कम होना.
  • रास्ता भटक जाना.
  • जरूरी चीजें भूल जाना.
  • सोचने में कठिनाई होना.
  • व्यक्तित्व में बदलाव हो जाना.
  • गिनती करने में दिक्कत होना.
  • नंबर जोड़ने और घटाने में दिक्कत होना, छोटी-छोटी समस्याओं को भी न सुलझा पाना.
  • किसी काम की पहल करने में झिझक महसूस करना.
  • किसी वस्तु का चित्र देखकर यह न समझ पाना कि यह क्या है.
  • समस्या हल करने या भाषा और ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत होना.

बीमारी का कारण
जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. सौरभ मिश्रा ने बताया कि जब मस्तिष्क की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं तो डिमेंशिया हो सकता है. डिमेंशिया सिर की चोट, स्ट्रोक, मस्तिष्क ट्यूमर और एचआईवी संक्रमण के कारण भी हो सकता है.

डिमेंशिया के प्रकार और इलाज
डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार अल्जाइमर रोग है. अल्जाइमर रोग होने का कारण दिमाग में परिवर्तन करना है. जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. सौरभ मिश्रा ने बताया कि इसके लक्षण प्रतीत होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें. अपनी जीवनशैली में सुधार करें और नियमित योग करें. इसके अलावा मेंटल एक्सरसाइज के रूप में दैनिक समाचार पत्रों को पढ़ना एवं पहेलियों को हल करना, दैनिक दिनचर्या के कार्यों की प्रैक्टिस करना, समय और स्थान के बारे में बार-बार बोध कराते रहना, दिन और तारीख को नियमित रूप से जांच कराते रहना, जिंदगी से जुड़े पुराने अनुभव के बारे में बताना, मोबाइल गेम खेलना चाहिए.

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