बाराबंकी: केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने पोस्ता की खेती करने वाले किसानों को लाइसेंस जारी करने का आधार बदल दिया है. अब लाइसेंस का आधार अफीम का औसत नहीं बल्कि मार्फीन की स्ट्रेंथ होगी. इसके तहत प्रति हेक्टेयर साढ़े चार किलो मार्फीन का औसत देने वाले किसान ही लाइसेंस के पात्र होंगे. इस बार चार कैटेगरी के किसानों को लाइसेंस मिलेगा.
उत्तर प्रदेश के 9 जिलों बदायूं , बरेली, शाहजहांपुर, लखनऊ, बाराबंकी, फैजाबाद, रायबरेली, मऊ और गाजीपुर में ही पोस्ता की खेती की जाती है. इसमें बदायूं, बरेली और शाहजहांपुर जिलों के किसानों को लाइसेंस जारी करने और उनसे अफीम लेने के लिए बरेली को मुख्यालय बनाया गया है. बाकी के 6 जिलों के किसानों को लाइसेंस देने का काम बाराबंकी कार्यालय करता है.
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जिला अफीम अधिकारी ने बताया कि इस बार केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने लाइसेंस नीति में बदलाव किये हैं. इस बार लाइसेंस उन्हीं किसानों को दिए जाएंगे, जिन्होंने पिछले वर्ष प्रति हेक्टेयर 52 किलो अफीम दी हो या उस अफीम में साढ़े चार किलो मार्फीन रही हो. इससे कम औसत देने वाले किसान लाइसेंस के पात्र नहीं होंगे.
किनको मिलेगा लाइसेंस
इस बार चार कटेगिरी के किसानों को लाइसेंस जारी किए जाएंगे. जिला अफीम अधिकारी सीएस प्रसाद ने बताया कि प्रति हेक्टेयर 4.5 किलो मार्फीन स्ट्रेन्थ वाले किसानों को 5 ऐरी, 4.5 से 5.4 किलो वालों को 6 ऐरी, 5.4 से 5.9 किलों वालों को 10 ऐरी और 5.9 किलो से ज्यादा औसत देने वाले किसानों को 12 ऐरी क्षेत्रफल के लाइसेंस जारी किए जाएंगे. इसके साथ ही उन किसानों को भी लाइसेंस दिए जाएंगे, जिनकी फसल खराब हो गई थी और उन्होंने विभाग की देख-रेख में अपनी फसल जोत डाली थी.
कितने किसान हैं लाइसेंस के लिए पात्र
जिला अफीम अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि बाराबंकी डिवीजन में आने वाले 6 जिलों के 3100 किसान इस वर्ष लाइसेंस के लिए पात्र हैं. पिछले वर्ष 3657 किसानों ने पोस्ता बोया था, लेकिन उसमें महज 1443 किसानों ने ही अफीम जमा की थी. फसल खराब होने के चलते 2178 किसानों ने अपनी फसल को जोतवा दिया था, जबकि 36 किसानों ने लाइसेंस तो लिया, लेकिन बोआई नहीं की.