बाराबंकी: मुख्तार अंसारी को गैंगेस्टर के एक मामले में गाजीपुर की एमपीएमएलए कोर्ट ने शुक्रवार को 10 साल कैद की सजा सुनाई है. इसके साथ ही मुख्तार अंसारी के खिलाफ एक और गैंगेस्टर के मामले में बाराबंकी की सेशन अदालत में सुनवाई हुई. इस दौरान बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी की वीडियो कांफ्रेंसिंग से पेशी हुई. पेशी में मुख्तार अंसारी ने अपने अधिवक्ता के जरिए अदालत में एक प्रार्थना पत्र देकर अपना इलाज कराए जाने की मांग की.
विशेष सत्र न्यायाधीश एमपीएमएलए कोर्ट कमलकांत श्रीवास्तव के छुट्टी पर होने के चलते शुक्रवार को मामला अपर सत्र न्यायाधीश कृष्णचन्द्र सिंह की अदालत पर पेश हुआ. मामले में दो अलग-अलग जेलों में बंद दो आरोपियों की भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अपर सत्र न्यायाधीश कृष्णचन्द्र सिंह के समक्ष पेशी हुई. मामले में अभियोजन साक्ष्य के लिए कोर्ट ने छह नवम्बर की तारीख तय की है.
मुख्तार अंसारी के खिलाफ बाराबंकी में भी चल रहा मुकदमाः मुख्तार अंसारी के अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन ने बताया कि विशेष सत्र न्यायाधीश कमलकांत श्रीवास्तव कोर्ट नम्बर-04 (एमपीएमएलए कोर्ट) में मुख्तार अंसारी समेत 13 आरोपियों के विरुद्ध गैंगेस्टर का मुकदमा चल रहा है. इस मामले में मुख्तार अंसारी समेत 13 आरोपी हैं. शुक्रवार को विशेष सत्र न्यायाधीश कमलकांत श्रीवास्तव के छुट्टी पर होने के चलते मामला अपर सत्र न्यायाधीश कृष्णचन्द्र सिंह की अदालत में पेश हुआ.
मुख्तार अंसारी ने क्या कहाः मामले में बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी की वीडियो कांफ्रेंसिंग से पेशी हुई. पेशी के दौरान मुख्तार अंसारी ने अपना इलाज कराने की मांग वाली प्रार्थना पत्र अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन के जरिए दाखिल कराया. इसमें मुख्तार अंसारी ने कहा कि " प्रार्थी बहुत सारी गम्भीर बीमारियों से ग्रसित है, जिसका समुचित इलाज जिला कारागार बांदा में नहीं हो पा रहा है. ऐसी दशा में जेल मैनुअल के अनुरूप प्रार्थी का समुचित इलाज कराए जाने का आदेश पारित किया जाए."
वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई पेशीः कोर्ट ने प्रार्थना पत्र को आदेश के लिए रख लिया है. इसी मामले के दो अन्य आरोपियों जफर उर्फ चंदा की संतकबीरनगर और अफरोज चुन्नू की गाजीपुर जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग से पेशी हुई. बाकी के आरोपियों की ओर से हाजिरी माफी दी गई थी. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए छह नवम्बर की तारीख लगाई गई है.
क्या है एम्बुलेंस मामलाः 31 मार्च 2021 को बाराबंकी की एंबुलेंस उस वक्त चर्चा में आई थी जब पंजाब के रोपण जेल से मोहाली कोर्ट जाने में इसका प्रयोग मुख्तार अंसारी ने किया था. एंबुलेंस पर बाराबंकी का नंबर था. इस पर बाराबंकी परिवहन विभाग में हड़कंप मच गया था. छानबीन शुरू हुई तो पता चला कि फर्जी दस्तावेज से वर्ष 2013 में एंबुलेंस बाराबंकी एआरटीओ कार्यालय से पंजीकृत कराई गई थी.
फर्जी कागजात पर थी एंबुलेंसः बाराबंकी संभागीय परिवहन विभाग ने जब पड़ताल की तो पता चला कि एंबुलेंस रिन्युअल ही नहीं कराया गया था. पड़ताल में पता चला कि ये डॉ. अलका राय की फर्जी वोटर आईडी से पंजीकृत थी. इस मामले में मऊ जिले की डॉ. अलका राय, डॉ. शेषनाथ राय, राजनाथ यादव, मुजाहिद समेत कई के खिलाफ नगर कोतवाली में दो अप्रैल 2021 को एआरटीओ प्रशासन द्वारा मुकदमा लिखाया गया था.
एंबुलेंस मामले में ये हैं 13 आरोपीः बाद में मुख्तार की संलिप्तता पाए जाने पर मुकदमे में धाराएं बढ़ाते हुए माफिया का नाम भी बढ़ाया गया था. विवेचना के दौरान मामले में 13 आरोपी सामने आए जिनमें मुख्तार अंसारी, मोहम्मद जाफरी उर्फ शाहिद, आनंद यादव, मुहम्मद सुहैब मुजाहिद, अफरोज खां उर्फ चुन्नू, डॉ. अलका राय, डॉ. शेषनाथ राय, राजनाथ यादव, जफर उर्फ चंदा, सुरेंद्र शर्मा, सलीम, मोहम्मद शाहिद और फिरोज कुरैशी के नाम सामने आए और इन्हें गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया था.