बाराबंकीः पिछले कई सालों से शिल्पकार परंपरागत ढंग से मिट्टी के उत्पाद का निर्माण करते आ रहे है. जिले में कारीगरों के उत्थान के लिए माटी कला बोर्ड ने ऐसे शिल्पियों को अपग्रेड करने का फैसला किया है, जिससे यह शिल्पी बेहतरीन उत्पाद बनाकर आर्थिक रूप से मजबूत हो सकें. इसके साथ ही ट्रेनिंग के बाद शिल्पकारियों को अपने उत्पाद को बेचने के लिए बाजार भी मुहैया कराया जाएगा.
शिल्पियों को नई-नई तकनीकों से कराया जाएगा रूबरू
शासन द्वारा शिल्पकार कारीगरों के उत्थान के लिए गठित माटीकला बोर्ड ऐसे शिल्पियों के लिए नई योजना लाई है. इसके तहत जिले के शिल्पियों को नई-नई तकनीकों की जानकारी से रूबरू कराया जाएगा. साथ ही इन्हें नए-नए उत्पाद बनाने की विशेष ट्रेनिंग भी दी जाएगी. वहीं इन्हें उत्पाद को बेचने के लिए बाजार भी मुहैया कराया जाएगा, जिससे यह आर्थिक रूप से मजबूत हो सकें. माटी कला बोर्ड शिल्पकारियों को पावर से चलने वाले चाक भी देगी.
ग्रामोद्योग विभाग जिले के ऐसे कारीगरों का चयन कर रहा है, जिन्हें इसी माह के अंत तक आजमगढ़ ट्रेनिंग सेंटर भेजा जाएगा. इससे वह माटी कला की हर विधा से दक्ष हो सकेंगे.
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माटी कला से जुड़े शिल्पियों में खासा उत्साह
शासन की इस योजना को लेकर माटी कला से जुड़े शिल्पियों में खासा उत्साह है. कुल्हड़, दिया और घड़े बनाने वाले कारीगर ट्रेनिंग के बाद फ्लावर पॉट, मूर्तियां और डिजाइन दार गमले बनाएंगे. शासन की इस योजना से न केवल हस्तकला को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि इससे जुड़े कारीगरों को रोजगार के लिए भटकना भी नहीं होगा.