बाराबंकी: करीब 20 वर्ष पूर्व हत्या मामले में अदालत फैसला सुनाते हुए दोषी को उम्रकैद और 25 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है. यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नम्बर-1 आनंद कुमार प्रथम ने सुनाया है. इस मामले के एक आरोपी को वर्ष 2014 में ही आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है. लेकिन यह आरोपी नेपाल भाग गया था और वहां किसी मामले में जेल में निरुद्ध था लिहाजा इसका प्रकरण अलग कर दिया गया था जिसे मंगलवार को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
सहायक अभियोजन अधिकारी अमित अवस्थी ने बताया कि बड़डूपुर थाना क्षेत्र के समर्दा गांव के रहने वाले सियाराम रावत ने 30 सितम्बर 2002 को थाने में सूचना दी कि गांव के पश्चिम शारदा नहर की पूर्वी पटरी पर एक अज्ञात युवक का शव पड़ा है, जिसके सिर पर गोली मारी गई है. गांव के लोगों ने पहचान करने की कोशिश की लेकिन पहचान नहीं हो सकी. सियाराम की तहरीर पर पुलिस ने अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर शिनाख्त के प्रयास शुरू किये तो 2 अक्टूबर को कपड़ों से युवक की शिनाख्त हो गई. मृतक मसौली थाना क्षेत्र के बांसभारी का महेंद्र कुमार वर्मा पुत्र सियाराम वर्मा था, जो नगर कोतवाली के लखपेड़ाबाग मोहल्ले में रहता था. महेंद्र कुमार वर्मा नगर के जवाहरलाल डिग्री कालेज में बीए द्वितीय वर्ष का छात्र था.
शिनाख्त हो जाने के बाद पुलिस ने मामले की विवेचना शुरू की तो इस मामले में चार नाम जावेद, फैसल, सलमान और मेराज के नाम प्रकाश में आये. विवेचना के दौरान घटनाक्रम का खुलासा हुआ. दरअसल 30 सितम्बर 2002 की शाम जावेद और फैसल एक मोटरसाइकिल पर और सलमान व मेराज दूसरी मोटरसाइकिल पर महेंद्र कुमार के घर पहुंचे. इन लोगों ने महेंद्र से कहा कि सीडी वीडियो बनवाना है, घर चलो. चूंकि यह सभी आपस मे दोस्त थे और घर आना-जाना था, लिहाजा महेंद्र इनके साथ चला गया. फिर ये लोग महेंद्र से बहाना करके उससे महमूदाबाद चलने को कहा. बड्डपुर थाना क्षेत्र के ग्राम समर्दा के पास शारदा नहर की पटरी पर पेशाब करने का बहाना करके रुककर पेशाब करते समय जावेद ने अपने पास पहले से ही रखे हुए 315 बोर के तमंचे और फैसल ने 12 बोर के तमंचे से महेंद्र वर्मा को गोली मार कर हत्या कर दी और शव को छोड़कर भाग निकले.
इस प्रकरण में अभियुक्त जावेद के विरुद्ध साक्ष्य अभिलिखित करने के बाद धारा 313 सीआरपीसी बयान मुलजिम के समय जावेद गैरहाजिर था. बाद में पता चला कि वह किसी मामले में नेपाल के काठमांडू जेल में बंद है. लिहाजा कोर्ट ने उसका प्रकरण अलग कर दिया और शेष तीन अभियुक्तों फैसल, सलमान और मेराज का ट्रायल किया गया. जिसमे अभियुक्त फैसल को कोर्ट ने दोषी पाते हुए 5 अप्रैल 2014 को दोषसिद्ध ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. बाकी के दोनों मुल्जिमों सलमान और मेराज को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया था.
अभियोजन और बचाव पक्ष के गवाहों और दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने अभियुक्त जावेद को दोषी पाते हुए उसे धारा 302 के तहत आजीवन कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. दूसरे आर्म्स एक्ट के मामले में 3 वर्ष के कारावास और 5 हजार रुपये की सजा सुनाई. इस तरह अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नम्बर 01 आनंद कुमार प्रथम ने अभियुक्त जावेद को आजीवन कारावास और 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.