बाराबंकी: शादी से पहले कुंडली मिलाने की बजाय युवक और युवतियों की थैलेसीमिया (Thalassemia) की जांच जानी चाहिए. इसके लिए कानून बनाया जाए. यह बात उत्तरप्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल (Governor Anandi ben patel) ने सोमवार को बाराबंकी में एक कार्यक्रम के दौरान कही. उन्होंने कहा कि थैलेसीमिया जैसी घातक बीमारी हर वर्ष तमाम बच्चों की नुकसान पहुंचाती है. राज्यपाल ने कहा कि वो जल्द ही सीएम योगी से मिलकर इस पर कानून बनाने के लिए अनुरोध करेंगी.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार भारत देश में हर वर्ष 7 से 10 हजार बच्चों का जन्म होता है, जो थैलेसीमिया से ग्रसित होते हैं.
चिकित्सकों का मानना है कि अगर माता-पिता दोनों के जीन्स में आंशिक थैलेसीमिया होता है, तो उनके पैदा होने वाले बच्चे में मेजर थैलेसीमिया हो सकता है. अगर माता-पिता दोनों में से किसी एक के इस रोग से ग्रसित होने पर उनके बच्चे में इस रोग का खतरा कम होता है. इस रोग का कोई इलाज नहीं है. केवल बार-बार खून चढ़ाना ही इसका इलाज माना जाता है, जोकि कठिन काम है.
थैलेसीमिया के लक्षण: इस बीमारी में मरीज को थकान, कमजोरी, हड्डियों में दर्द, शरीर में पीलापन और विकास धीमा हो जाता है.
थैलेसीमिया की जांच: लक्षण पाए जाने पर इस रोग का पता लगाने के लिए इसकी जांच कराई जाती है. इसके लिए मरीज का HPLC ( High performance liquid chromatography) टेस्ट किया जाता है.
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