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किसानों के गले से नीचे नहीं उतर रहा कांग्रेस का " किसान जनजागरण अभियान"

किसान समस्याओं को लेकर भले ही कांग्रेस पार्टी "किसान जन जागरण अभियान" चला रही है, लेकिन तमाम किसानों के गले से नीचे यह अभियान नहीं उतर रहा है. किसानों का कहना है कि ये राजनीतिक लोग हैं जब सरकार से बाहर रहते हैं, तो इनको किसानों की बहुत चिंता सताती है.

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कांग्रेस और किसान यूनियन आमने-सामने
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Published : Feb 15, 2020, 2:30 PM IST

बाराबंकीः कांग्रेस सरकार बीजेपी के घेरने के लिए लगातार किसान जन जागरण अभियान चला रही है, लेकिन यूनियन के लोग इनके इस क्रियाकलाप के खिलाफ हो गए हैं. यूनियन के प्रदेश महासचिव ने कहा जब ये सत्ता में होते हैं तो केवल किसानों का शोषण करके सरकार चलाते हैं. जिस कांग्रेस पार्टी ने स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू कराने में दिलचस्पी नहीं दिखाई, आज वह सत्ता से बाहर है तो किसानों के हित की बात कर रही है.

किसान जनजागरण अभियान को लेकर कांग्रेस और किसान यूनियन आमने-सामने.

किसानों को मूल्य तय करने का अधिकार नहीं
किसानों का आरोप है कि किसानों की दुर्दशा की जिम्मेदार सभी सरकारें हैं. किसानों की नाराजगी सभी सरकारों से है. इनका आरोप है कि देश मे 65 करोड़ किसान हैं, लेकिन अभी आधे किसानों को भी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ नहीं मिल पाया. किसानों की आय दोगुनी करने की बात की जा रही है, लेकिन किसानों को अपनी फसलों का समर्थन मूल्य तय करने का कोई अधिकार नहीं है.

पूंजी पतियों को दिया जा रहा अनुदान
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश महासचिव रामकिशोर पटेल ने कहा कि हर उत्पादक अपनी वस्तु का बाजार मूल्य तय करता है, लेकिन किसान अपने फसल का मूल्य नहीं तय कर सकते. किसानों का आरोप है कि उनका कर्ज नहीं माफ कर सकते जबकि बड़े पूंजी पतियों को अनुदान दे दिया गया. हर वर्ष जीडीपी में 15 फीसदी किसानों की हिस्सेदारी कम हो रही है.

यह भी पढ़ेंः-बाराबंकीः हाथीपांव के खिलाफ 17 फरवरी से शुरू होगा विशेष अभियान

किसानों के घर खाना खाकर मजाक उड़ाते हैं नेता
आक्रोशित किसानों का कहना कि ये राजनीतिक दल जब सत्ता में नहीं रहते तब इन्हें किसानों की याद आती है. सत्ता से बाहर होने के बाद किसानों के घरों में जाकर खाना खाकर मजाक उड़ाते हैं. किसानों का कहना है कि कोई भी सरकार उनकी हितैषी नहीं है खुद जबतक किसान लड़ने के लिए तैयार नहीं होगा कोई सरकार नहीं सुनने वाली है.

बाराबंकीः कांग्रेस सरकार बीजेपी के घेरने के लिए लगातार किसान जन जागरण अभियान चला रही है, लेकिन यूनियन के लोग इनके इस क्रियाकलाप के खिलाफ हो गए हैं. यूनियन के प्रदेश महासचिव ने कहा जब ये सत्ता में होते हैं तो केवल किसानों का शोषण करके सरकार चलाते हैं. जिस कांग्रेस पार्टी ने स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू कराने में दिलचस्पी नहीं दिखाई, आज वह सत्ता से बाहर है तो किसानों के हित की बात कर रही है.

किसान जनजागरण अभियान को लेकर कांग्रेस और किसान यूनियन आमने-सामने.

किसानों को मूल्य तय करने का अधिकार नहीं
किसानों का आरोप है कि किसानों की दुर्दशा की जिम्मेदार सभी सरकारें हैं. किसानों की नाराजगी सभी सरकारों से है. इनका आरोप है कि देश मे 65 करोड़ किसान हैं, लेकिन अभी आधे किसानों को भी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का लाभ नहीं मिल पाया. किसानों की आय दोगुनी करने की बात की जा रही है, लेकिन किसानों को अपनी फसलों का समर्थन मूल्य तय करने का कोई अधिकार नहीं है.

पूंजी पतियों को दिया जा रहा अनुदान
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश महासचिव रामकिशोर पटेल ने कहा कि हर उत्पादक अपनी वस्तु का बाजार मूल्य तय करता है, लेकिन किसान अपने फसल का मूल्य नहीं तय कर सकते. किसानों का आरोप है कि उनका कर्ज नहीं माफ कर सकते जबकि बड़े पूंजी पतियों को अनुदान दे दिया गया. हर वर्ष जीडीपी में 15 फीसदी किसानों की हिस्सेदारी कम हो रही है.

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किसानों के घर खाना खाकर मजाक उड़ाते हैं नेता
आक्रोशित किसानों का कहना कि ये राजनीतिक दल जब सत्ता में नहीं रहते तब इन्हें किसानों की याद आती है. सत्ता से बाहर होने के बाद किसानों के घरों में जाकर खाना खाकर मजाक उड़ाते हैं. किसानों का कहना है कि कोई भी सरकार उनकी हितैषी नहीं है खुद जबतक किसान लड़ने के लिए तैयार नहीं होगा कोई सरकार नहीं सुनने वाली है.

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