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बाराबंकी: जुलूस ए गौसिया में मोहब्बत और भाईचारे का दिया संदेश

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Published : Dec 10, 2019, 3:16 PM IST

बाराबंकी जिले में हजरत अब्दुल कादिर जिलानी की याद में ग्यारहवीं शरीफ को ऐतिहासिक रूप से जुलूस निकाला गया. यह जुलूस शहर के कई स्थानों से निकाला गया.

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जुलूसे गौसिया में मोहब्बत और भाईचारे का दिया संदेश

बाराबंकी: हजरत अब्दुल कादिर जिलानी की याद में ग्यारहवीं शरीफ को निकलने वाला ऐतिहासिक जुलूस बाराबंकी में परम्परागत रूप से निकाला गया. नगर के फजलुर्रहमान पार्क से निकला ये जुलूस सट्टी बाजार, ईदगाह चौराहा, राजकमल, छाया, बेगमगंज, धनोखर और घण्टाघर होते हुए फिर वहीं पार्क में आकर खत्म हुआ. रास्ते मे जगह-जगह लोगों ने सलाम पढ़े और गौसुल आजम की सच्चाई और ईमानदारी को बयान किया.

भाईचारे के साथ रहने की अपील
मो. शेख अब्दुल कादिर जिलानी को गौस ए आजम और बड़े पीर के नाम से भी जाना जाता है. अरबी महीने की ग्यारहवीं उर्स सानी 470 हिजरी में पर्शिया के गिलान जिले में पैदा हुए. अब्दुल कादिर जिलानी को इस्लाम धर्म के पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब की वंशावली से जोड़ा जाता है. बगदाद में उनका मकबरा स्थित है. मुस्लिम धर्म के लोग उनको बड़ी अकीदत से याद करते हैं और उनकी याद में हर वर्ष ग्यारहवीं मनाते हैं. उनकी सच्चाई और ईमानदारी को याद कर उसी रास्ते पर चलने की शपथ लेते हैं.

बाराबंकी: हजरत अब्दुल कादिर जिलानी की याद में ग्यारहवीं शरीफ को निकलने वाला ऐतिहासिक जुलूस बाराबंकी में परम्परागत रूप से निकाला गया. नगर के फजलुर्रहमान पार्क से निकला ये जुलूस सट्टी बाजार, ईदगाह चौराहा, राजकमल, छाया, बेगमगंज, धनोखर और घण्टाघर होते हुए फिर वहीं पार्क में आकर खत्म हुआ. रास्ते मे जगह-जगह लोगों ने सलाम पढ़े और गौसुल आजम की सच्चाई और ईमानदारी को बयान किया.

भाईचारे के साथ रहने की अपील
मो. शेख अब्दुल कादिर जिलानी को गौस ए आजम और बड़े पीर के नाम से भी जाना जाता है. अरबी महीने की ग्यारहवीं उर्स सानी 470 हिजरी में पर्शिया के गिलान जिले में पैदा हुए. अब्दुल कादिर जिलानी को इस्लाम धर्म के पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब की वंशावली से जोड़ा जाता है. बगदाद में उनका मकबरा स्थित है. मुस्लिम धर्म के लोग उनको बड़ी अकीदत से याद करते हैं और उनकी याद में हर वर्ष ग्यारहवीं मनाते हैं. उनकी सच्चाई और ईमानदारी को याद कर उसी रास्ते पर चलने की शपथ लेते हैं.

Intro:बाराबंकी ,09 दिसम्बर । हजरत अब्दुल कादिर जीलानी की याद में ग्यारहवीं शरीफ को निकलने वाला ऐतिहासिक जुलूस बाराबंकी में परम्परागत रूप से निकाला गया । नगर के फजलुर्रहमान पार्क से निकला ये जुलूस सट्टी बाजार, ईदगाह चौराहा, राजकमल, छाया ,बेगमगंज,धनोखर और घण्टाघर होते हुए फिर वहीं पार्क में आकर खत्म हुआ । रास्ते मे जगह जगह लोगों ने सलाम पढ़े और ग़ौसुल आज़म की सच्चाई और ईमानदारी को बयान किया । इस दौरान जुलूस में शामिल उलेमाओं ने आम जनता से बुजुर्गों के बताए रास्ते सच्चाई और ईमानदारी पर जिंदगी गुजारने और एक दूसरे के साथ मोहब्बत और भाई चारे से रहने की अपील की ।


Body:वीओ - बताते चलें कि शेख अब्दुल कादिर जीलानी को गौसे आज़म और बड़े पीर के नाम से भी जाना जाता है । अरबी महीने की 11 रबी उस सानी 470 हिजरी में पर्शिया के गिलान जिले में पैदा हुए अब्दुल कादिर जीलानी को इस्लाम धर्म के पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब की वंशावली से जोड़ा जाता है । बगदाद में उनका मकबरा स्थित है । मुस्लिम धर्म के लोग उनको बड़ी ही अकीदत से याद करते हैं और उनकी याद में हर वर्ष ग्यारहवीं मनाते हैं । उनकी सच्चाई और ईमानदारी को याद कर उसी रास्ते पर चलने की शपथ लेते हैं । उन्ही की याद में हर वर्ष जुलूसे गौसिया निकाला जाता है ।
बाईट -मुफ़्ती कलीम नूरी, उलेमा
बाईट- मौलाना जाहिद अली निज़ामी, जुलूस के अगुआ


Conclusion:रिपोर्ट - अलीम शेख बाराबंकी
9454661740
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