बाराबंकी : तीन वर्ष पूर्व एक किशोरी का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म करने के मामले में अदालत ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उसे 10 वर्ष के कठोर कारावास और 23 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. ये फैसला बुधवार को अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पॉक्सो ऐक्ट राजीव महेश्वरम ने सुनाया है. कोर्ट ने ये भी आदेश दिया कि दोषी की ओर से अदा किए जाने वाले अर्थदण्ड के 23 हजार रुपये पीड़िता पाने की हकदार होगी.
पुलिस ने नहीं सुनी तो ली कोर्ट की शरण : सहायक अभियोजन अधिकारी योगेंद्र सिंह ने अभियोजन कथानक का ब्यौरा देते हुए बताया कि जैदपुर थाना क्षेत्र के वादी ने न्यायालय में 156(3) के तहत एक प्रार्थना पत्र दिया था. वादी के मुताबिक उसकी नाबालिग पुत्री 12 सितम्बर 2020 को शाम घर से निकली थी. लेकिन जब वह नहीं लौटी तब वादी ने सूचना थाने पर दी. वादी के मुताबिक, जैदपुर पुलिस ने 30 सितम्बर को उसे थाने पर बुलाया, जहां उसकी पुत्री और आरोपी शैलेन्द्र पहले से ही थे. वादी के प्रार्थना पत्र दिए जाने के बावजूद पुलिस ने न तो कोई कार्यवाही की और न ही उसकी पुत्री को उसे सुपुर्द किया. वादी ने 05 अक्टूबर 2020 को पुलिस अधीक्षक से गुहार लगाई. जब कोई कार्यवाही नहीं हुई तो 06 अक्टूबर को उसने कोर्ट की शरण ली.
कोर्ट ने दोषी पाते हुए सुनाई सजा : कोर्ट के आदेश के बाद 27 जनवरी 2021 को जैदपुर थाने पर आरोपी शैलेन्द्र कुमार के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने तफ्तीश शुरू की. तत्कालीन विवेचक ने मामले में वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करते हुए साक्ष्य संकलन किया और आरोपी शैलेन्द्र कुमार के विरुद्ध चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की. अभियोजन ने इस मामले में ठोस गवाह पेश किए. दोनों पक्षों के गवाहों के बयान और अधिवक्ताओं की बहस सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट राजीव महेश्वरम ने आरोपी शैलेन्द्र को दोषी करार देते हुए उसे 10 वर्ष के कठोर कारावास और 23 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.
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