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बाराबंकी: कोविड-19 के चलते ऐतिहासिक देवां मेले का नहीं होगा आयोजन

यूपी के बाराबंकी में "जो रब है वही राम" का संदेश देने वाले महान सूफी संत हाजी वारिस अली शाह के पिता सैयद कुर्बान अली शाह की याद में आयोजित किया जाने वाला देवां मेला इस साल कोरोना महामारी के चलते नहीं लग सकेगा.

प्रतिकात्मत चित्र.
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Published : Sep 20, 2020, 8:54 AM IST

बाराबंकी: "जो रब है वही राम" का संदेश देने वाले महान सूफी संत हाजी वारिस अली शाह के पिता सैयद कुर्बान अली शाह की याद में आयोजित किया जाने वाला देवां मेला इस बार कोरोना के चलते नहीं लग सकेगा. शनिवार को मेले के आयोजन को लेकर हुई बैठक में ये फैसला लिया गया. बैठक में देवां मेला एवं प्रदर्शनी समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी और सचिव अपर जिलाधिकारी के साथ कमेटी के सदस्य शामिल हुए. जिसमें प्रशासन ने ये फैसला किया कि कोविड-19 को लेकर शासन द्वारा जारी गाइडलाइंस के अनुसार मेला कराया जाना सम्भव नहीं है.


पिता की याद में शुरू किया मेले का आयोजन

बाराबंकी मुख्यालय से तकरीबन 7 किमी दूर स्थित देवां कस्बे में मशहूर सूफी संत सैयद हाजी वारिस अली शाह की मजार है. “जो रब है वही राम” का संदेश देने वाले महान सूफी संत के पिता कुर्बान अली शाह थे. पिता कुर्बान अली शाह के विसाल के बाद वारिस अली शाह ने उनकी याद में मेले का आयोजन शुरू किया था. तब से हर वर्ष कार्तिक महीने में अक्टूबर के आखिर या नवम्बर में इस मेले का आयोजन होता आ रहा है. इस मेले में देश के तमाम प्रदेशों के जायरीन आते हैं. कोलकाता, मुम्बई, भोपाल, मेरठ और कानपुर के जायरीनों की यहां खास भीड़ जुटती है. शुरुआत में कमेटी पूरे मेले की देखरेख करती थी. लेकिन धीरे-धीरे मेले का जिम्मा प्रशासन ने ले लिया.

सरकारी योजनाओं के प्रति किया जाता है जागरूक

दस दिनों से ज्यादा चलने वाले इस मेले को बदलकर मेला और प्रदर्शनी कर दिया गया. मेले में तमाम विभागों के सरकारी स्टाल लगाए जाते हैं, ताकि जनमानस को सरकारी योजनाओं के प्रति जागरूक किया जाय. मेले का एक खास आकर्षण यहां का पशु मेला भी है. हर रोज यहां तमाम खेलों की प्रतियोगिताएं और शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है. यहां का म्यूजिकल प्रोग्राम, कवि सम्मेलन और मानस सम्मेलन काफी मशहूर है. यहां के मुशायरे की धूम तो पूरी दुनिया में है.

अतिशबाजी देखने दूर-दराज से आते हैं लोग

कार्यक्रम के अंतिम दिन यहां की अतिशबाजी देखने के लिए खासकर दूर-दराज से लोग जुटते हैं. मेले के दौरान हर दिन किसी न किसी वीवीआइपी का यहां आना लगा रहता है. मेले में कोई अव्यवस्था न हो इसके लिए चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात रहती है. सीसीटीवी और ड्रोन से पूरे मेले की निगरानी की जाती है. लेकिन इस बार कोरोना संकट के चलते मेले का आयोजन नहीं होगा. प्रशासन ने फैसला किया कि कोविड-19 के संदर्भ में शासन की गाइडलाइंस के अनुसार मेले का आयोजन कराया जाना सम्भव नहीं है.

बाराबंकी: "जो रब है वही राम" का संदेश देने वाले महान सूफी संत हाजी वारिस अली शाह के पिता सैयद कुर्बान अली शाह की याद में आयोजित किया जाने वाला देवां मेला इस बार कोरोना के चलते नहीं लग सकेगा. शनिवार को मेले के आयोजन को लेकर हुई बैठक में ये फैसला लिया गया. बैठक में देवां मेला एवं प्रदर्शनी समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी और सचिव अपर जिलाधिकारी के साथ कमेटी के सदस्य शामिल हुए. जिसमें प्रशासन ने ये फैसला किया कि कोविड-19 को लेकर शासन द्वारा जारी गाइडलाइंस के अनुसार मेला कराया जाना सम्भव नहीं है.


पिता की याद में शुरू किया मेले का आयोजन

बाराबंकी मुख्यालय से तकरीबन 7 किमी दूर स्थित देवां कस्बे में मशहूर सूफी संत सैयद हाजी वारिस अली शाह की मजार है. “जो रब है वही राम” का संदेश देने वाले महान सूफी संत के पिता कुर्बान अली शाह थे. पिता कुर्बान अली शाह के विसाल के बाद वारिस अली शाह ने उनकी याद में मेले का आयोजन शुरू किया था. तब से हर वर्ष कार्तिक महीने में अक्टूबर के आखिर या नवम्बर में इस मेले का आयोजन होता आ रहा है. इस मेले में देश के तमाम प्रदेशों के जायरीन आते हैं. कोलकाता, मुम्बई, भोपाल, मेरठ और कानपुर के जायरीनों की यहां खास भीड़ जुटती है. शुरुआत में कमेटी पूरे मेले की देखरेख करती थी. लेकिन धीरे-धीरे मेले का जिम्मा प्रशासन ने ले लिया.

सरकारी योजनाओं के प्रति किया जाता है जागरूक

दस दिनों से ज्यादा चलने वाले इस मेले को बदलकर मेला और प्रदर्शनी कर दिया गया. मेले में तमाम विभागों के सरकारी स्टाल लगाए जाते हैं, ताकि जनमानस को सरकारी योजनाओं के प्रति जागरूक किया जाय. मेले का एक खास आकर्षण यहां का पशु मेला भी है. हर रोज यहां तमाम खेलों की प्रतियोगिताएं और शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है. यहां का म्यूजिकल प्रोग्राम, कवि सम्मेलन और मानस सम्मेलन काफी मशहूर है. यहां के मुशायरे की धूम तो पूरी दुनिया में है.

अतिशबाजी देखने दूर-दराज से आते हैं लोग

कार्यक्रम के अंतिम दिन यहां की अतिशबाजी देखने के लिए खासकर दूर-दराज से लोग जुटते हैं. मेले के दौरान हर दिन किसी न किसी वीवीआइपी का यहां आना लगा रहता है. मेले में कोई अव्यवस्था न हो इसके लिए चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात रहती है. सीसीटीवी और ड्रोन से पूरे मेले की निगरानी की जाती है. लेकिन इस बार कोरोना संकट के चलते मेले का आयोजन नहीं होगा. प्रशासन ने फैसला किया कि कोविड-19 के संदर्भ में शासन की गाइडलाइंस के अनुसार मेले का आयोजन कराया जाना सम्भव नहीं है.

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