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बाराबंकी: बाढ़ बहा ले जाती हैं जिंदगियां, बेसुध प्रशासन - उत्तर प्रदेश खबर,

बाराबंकी जिला बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के अंतर्गत आता है. यहां के कोठी गोरिया, सेमरी, बसंतपुर, पुरवा, उमराहरा, तिलवारी परसावल, रायपुर, सनवा जैसे गांव आज भी बाढ़ की जद में हैं मगर प्रशासन की तरफ से बाढ़ को लेकर सुरक्षा के कोई भी कार्य नहीं हो रहे.

बाढ़ प्रभावित क्षेत्र
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Published : Jun 2, 2019, 11:27 PM IST

बाराबंकी: बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए सरकार कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही. लेकिन बाराबंकी जिले का हाल अलग ही कहानी बयां कर रहा है. कुछ ही दिनों में मानसून दस्तक देने वाला है और बाराबंकी शहर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की गिनती में आता है. बाराबंकी के कोठी गोरिया, सेमरी, बसंतपुर, पुरवा, उमराहरा, तिलवारी परसावल, रायपुर, सनवा जैसे गांव आज भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की जद में हैं मगर प्रशासन की तरफ से बाढ़ को लेकर सुरक्षा के कोई भी कार्य नहीं हो रहे हैं.

बाढ़ प्रभावित क्षेत्र


बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हाल जानने जब ईटीवी भारत की टीम बसंतपुर पहुंची तो वहां पर नजारा देख दंग रह गई. वहां पुल तो बनाया गया है लेकिन रोड नहीं पटी है. पुल के दोनों तरफ बड़े-बड़े गड्ढे हैं. लोग जाएं तो किधर से जाएं. अभी कुछ ही दिनों में मानसून के आने के आसार हैं और बाराबंकी जिला बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में गिना जाता है. ऐसे में यदि बाढ़ से बचाव के पुख्ता इंतजाम न किए गए तो गांव में पानी भर जाएगा.

यहां के लोगों के आने जाने के लिए एक ही जर्जर पुल है और वो भी अभी तक नहीं पाटा गया है. अब ऐसे में ग्राम सभा के लोगो के लिए एक ही चारा बचता है कि वो नाव से सफर करें मगर कभी-कभी तेज बहाव के कारण नाव भी पलट जाती है, जिससे कई ग्रामीणों की घाघरा नदी में डूबने से मौत भी हो चुकी है. मगर इतनी मौतों के बाद भी प्रशासन कुछ नहीं कर पा रहा है.

गांव के ही योगेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि पुल मानक के अनुसार बनाया गया होता तो इतनी जल्दी न बहता. लेकिन मानक विहीन कार्य होने से पुल एक भी बाढ़ नहीं झेल पाया और बह गया. अब लोगों को जान जोखिम में डालकर उस पार जाना पड़ता है. योगेंद्र ने बताया कि बाढ़ आने पर हम लोग बंधे पर शरण लेते हैं. इन बाढ़ प्रभावित लोगों की समस्या जस की तस बनी हुई है कोई भी सरकार इस समस्या से छुटकारा नहीं दिला सका.

बाराबंकी: बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए सरकार कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही. लेकिन बाराबंकी जिले का हाल अलग ही कहानी बयां कर रहा है. कुछ ही दिनों में मानसून दस्तक देने वाला है और बाराबंकी शहर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की गिनती में आता है. बाराबंकी के कोठी गोरिया, सेमरी, बसंतपुर, पुरवा, उमराहरा, तिलवारी परसावल, रायपुर, सनवा जैसे गांव आज भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की जद में हैं मगर प्रशासन की तरफ से बाढ़ को लेकर सुरक्षा के कोई भी कार्य नहीं हो रहे हैं.

बाढ़ प्रभावित क्षेत्र


बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हाल जानने जब ईटीवी भारत की टीम बसंतपुर पहुंची तो वहां पर नजारा देख दंग रह गई. वहां पुल तो बनाया गया है लेकिन रोड नहीं पटी है. पुल के दोनों तरफ बड़े-बड़े गड्ढे हैं. लोग जाएं तो किधर से जाएं. अभी कुछ ही दिनों में मानसून के आने के आसार हैं और बाराबंकी जिला बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में गिना जाता है. ऐसे में यदि बाढ़ से बचाव के पुख्ता इंतजाम न किए गए तो गांव में पानी भर जाएगा.

यहां के लोगों के आने जाने के लिए एक ही जर्जर पुल है और वो भी अभी तक नहीं पाटा गया है. अब ऐसे में ग्राम सभा के लोगो के लिए एक ही चारा बचता है कि वो नाव से सफर करें मगर कभी-कभी तेज बहाव के कारण नाव भी पलट जाती है, जिससे कई ग्रामीणों की घाघरा नदी में डूबने से मौत भी हो चुकी है. मगर इतनी मौतों के बाद भी प्रशासन कुछ नहीं कर पा रहा है.

गांव के ही योगेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि पुल मानक के अनुसार बनाया गया होता तो इतनी जल्दी न बहता. लेकिन मानक विहीन कार्य होने से पुल एक भी बाढ़ नहीं झेल पाया और बह गया. अब लोगों को जान जोखिम में डालकर उस पार जाना पड़ता है. योगेंद्र ने बताया कि बाढ़ आने पर हम लोग बंधे पर शरण लेते हैं. इन बाढ़ प्रभावित लोगों की समस्या जस की तस बनी हुई है कोई भी सरकार इस समस्या से छुटकारा नहीं दिला सका.

Intro:बाराबंकी. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रो में नहीं हो रहा है कोई विकास कार्य आने वाली है कुछ ही दिनों में बाढ़. बाराबंकी के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र कोठी गोरिया सेमरी बसंतपुर कलेक्शन पुरवा उमराहरा तिलवारी परसावल रायपुर सनवा आदि गांव में प्रशासन की तरफ से गांव वालों को बाढ़ से बचाने के लिए कोई भी कार्य नहीं हो रहा है जबकि गांव में आने जाने का रास्ता भी बाढ़ आने पर कट गया था उन रास्तों को प्रशासन पटवाने की भी जहमत नहीं उठा रहा है.


Body:आज जब ईटीवी की टीम बसंतपुर पहुंची तो वहां पर नजारा देखकर दंग रह गई .पुल तो बनाया गया है लेकिन रोड नहीं पटी है पुल के दोनों तरफ बड़े-बड़े गड्ढे हैं .लोग जाएं तो किधर से जाएं अभी कुछ ही दिनों में बाढ अजाएगी पानी गांव में भर जाएगा तो लोगों का जाने का रास्ता एक ही रहेगा कि पुल के ऊपर से जाएं लेकिन प्रशासन ने रास्ता भी नहीं पटा पाया है एक ही चारा ग्राम सभा के लोगो के पास बचता है की नाव से इस पार से उस पार जाएं और जिस जगह पर कटा है वहां भी इतना तेज बहाव होता है कि कभी कभी नाव उसी में पलट जाती है जिससे कई ग्रामीणों की घाघरा नदी में डूबने से मौत भी हो जाती है लेकिन प्रशासन कुछ नहीं कर पा रहा है.


Conclusion:गांव के योगेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि अगर पुल मानक के अनुसार बनाया जाता तो इतनी जल्दी ना बहता और मजबूत रहता है लेकिन मानक विहीन कार्य होने से पुल एक भी बाढ नहीं झेल पाया और पुल बह गया जिससे हम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है .और जान जोखिम में डालकर इस पार से उस पार जाना पड़ता है. बाढ़ आने पर हम लोग बंधे पर शरण लेते हैं क्योंकि घरों में पानी भर जाता है. कई सरकारें कई सरकारें गई लेकिन इन बाढ़ प्रभावित लोगों की समस्या की जस की तस बनी हुई है कोई भी सरकार इस बार की समस्या से इन बाढ़ पीड़ितों को छुटकारा नहीं दिला सका जिससे इन बाढ़ पीड़ितों की समस्या जस की तस आज भी बनी है अभी कुछ दिनों बाद बाढ़ आने वाली है फिर प्रशासन के लोग युद्ध स्तर पर काम करेंगे और सरकारी धन का बंदरबांट करेंगे. बाइट .ग्रामीण योगेंद्र सिंह. ईटीवी भारत के लिए लक्ष्मण तिवारी दरियाबाद विधानसभा बाराबंकी उत्तर प्रदेश 9794 2175 43
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