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बाराबंकी: घाघरा नदी का जलस्तर नीचे होने से बढ़ी कटान की समस्या

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में घाघरा नदी का जलस्तर नीचे होने के कारण कटान की समस्या बढ़ती जा रही है. प्रशासन बाढ़ रोकने के लिए बनाए गए कटर का प्रयोग करके कटान को रोकने का प्रयास कर रहा है.

डॉ.आदर्श सिंह, डीएम
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Published : Aug 20, 2019, 7:21 AM IST

बाराबंकीः नेपाल से पानी छोड़े जाने के कारण जिले के घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ गया था, लेकिन अब पानी खतरे के निशान से नीचे है. जलस्तर कम होने के कारण नदी के तटीय इलाकों में कटान की समस्या एक बार फिर से बढ़ती जा रही है. प्रशासन कटान को रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है.

जानकारी देते डीएम, डॉ.आदर्श सिंह.

इसे भी पढ़ें:- कानपुर देहात: बाढ़ की चपेट में आए कई गांव, उफान पर हैं यमुना

कटान को लेकर प्रशासन नहीं हो रहा सख्त-
बताते चलें कि लगातार पिछले कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए इस बार कटान की समस्या ने टेपरा गांव का अस्तित्व लगभग समाप्त कर दिया. घाघरा नदी जिस प्रकार से अपने बहाव का क्षेत्रफल और दिशा बदली है, उससे कई गांवों पर अभी संकट मंडरा रहा है. ऐसे में प्रशासन द्वारा कटर का उपयोग करना कहां तक सफल होता है ? यह देखने वाली बात होगी. हालांकि जिले के कई इलाकों में जैसे, रामनगर और फतेहपुर क्षेत्र में बांध बनाकर कटान की समस्या को काफी हद तक रोका गया है, लेकिन सिरौलीगौसपुर के उन क्षेत्रों में जहां बंधा नहीं बना है, वहां पर अभी भी कटान होती रहती है. यहां पर स्थाई समाधान निकालने की आवश्यकता है.

घाघरा नदी में जैसे-जैसे जलस्तर घट रहा है, कटान की समस्या में तेजी आ रही है. इसके लिए हम लगातार कोशिश कर रहे हैं कि कटान को रोका जाए. बाढ़ रोकने के लिए जो कटर बनाए गए हैं, अब उन्हें उपयोग में लाया जाएगा, जिससे कटान को रोका जा सके.
-डॉ.आदर्श सिंह, डीएम

बाराबंकीः नेपाल से पानी छोड़े जाने के कारण जिले के घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ गया था, लेकिन अब पानी खतरे के निशान से नीचे है. जलस्तर कम होने के कारण नदी के तटीय इलाकों में कटान की समस्या एक बार फिर से बढ़ती जा रही है. प्रशासन कटान को रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है.

जानकारी देते डीएम, डॉ.आदर्श सिंह.

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कटान को लेकर प्रशासन नहीं हो रहा सख्त-
बताते चलें कि लगातार पिछले कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए इस बार कटान की समस्या ने टेपरा गांव का अस्तित्व लगभग समाप्त कर दिया. घाघरा नदी जिस प्रकार से अपने बहाव का क्षेत्रफल और दिशा बदली है, उससे कई गांवों पर अभी संकट मंडरा रहा है. ऐसे में प्रशासन द्वारा कटर का उपयोग करना कहां तक सफल होता है ? यह देखने वाली बात होगी. हालांकि जिले के कई इलाकों में जैसे, रामनगर और फतेहपुर क्षेत्र में बांध बनाकर कटान की समस्या को काफी हद तक रोका गया है, लेकिन सिरौलीगौसपुर के उन क्षेत्रों में जहां बंधा नहीं बना है, वहां पर अभी भी कटान होती रहती है. यहां पर स्थाई समाधान निकालने की आवश्यकता है.

घाघरा नदी में जैसे-जैसे जलस्तर घट रहा है, कटान की समस्या में तेजी आ रही है. इसके लिए हम लगातार कोशिश कर रहे हैं कि कटान को रोका जाए. बाढ़ रोकने के लिए जो कटर बनाए गए हैं, अब उन्हें उपयोग में लाया जाएगा, जिससे कटान को रोका जा सके.
-डॉ.आदर्श सिंह, डीएम

Intro: बाराबंकी, 19 अगस्त। घाघरा का जलस्तर नेपाल से छोड़े गए पानी के कारण बढ़ा था, अब घाघरा खतरे के निशान से नीचे हैं. जलस्तर कम होने पर कटान की समस्या एक बार फिर से बढ़ती है. जो कटर इत्यादि बनाए गए थे , अब उन्हें उपयोग में लाया जाएगा. स्थिति से निपटने के लिए हम प्रयत्नशील हैं , और आने वाले समय में सफलतापूर्वक कटान को रोकने का कार्य किया जाएगा.


Body: बाराबंकी जिले में घाघरा नदी के तटीय इलाकों में लगातार कटान की समस्या पर, जिले के जिलाधिकारी डॉक्टर आदर्श सिंह ने बताया कि नेपाल से बांध के द्वारा पानी छोड़े जाने के कारण, नदी का जलस्तर बढ़ा था, जो अब खतरे के निशान से काफी नीचे है. लेकिन जैसे-जैसे जलस्तर घट रहा है, कटान की समस्या एक बार फिर से तेजी पकड़ती जा रही है. इसके लिए हम लगातार कोशिश कर रहे हैं कि इस कटान को रोका जाए, और लोगों को समस्या से बाहर निकाला जाए. जो कटर बनाए गए हैं बाढ़ रोकने के लिए, उन्हें अब उपयोग में लाया जाएगा जिससे कटान को रोका जा सके.
बताते चलें कि लगातार पिछले कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए, इस बार कटान की समस्या ने टेपरा गांव का अस्तित्व लगभग समाप्त कर दिया. घाघरा नदी ने जिस प्रकार से अपने बहाव का क्षेत्रफल और दिशा बदली है , उससे कई गांवों पर अभी संकट मंडरा रहा है. ऐसे में प्रशासन द्वारा कटर का उपयोग करना कहां तक सफल होता है ? यह देखने वाली बात होगी . हालांकि जिले के कई इलाकों में जैसे, रामनगर और फतेहपुर क्षेत्र में बंधा बनाकर कटान की समस्या को काफी हद तक रोका गया है. लेकिन सिरौलीगौसपुर के उन क्षेत्रों में जहां बंधा नहीं बना है, वहां पर अभी भी कटान होती रहती है , स्थाई समाधान निकालने की आवश्यकता है.


Conclusion: कुल मिलाकर आने वाले समय में यदि घाघरा नदी इसी प्रकार से कटान करती रही, और प्रशासनिक तंत्र ने कोई स्थाई समाधान निकालने की दिशा में कार्य नहीं किया तो, समस्याएं दिन-प्रतिदिन वर्ष प्रतिवर्ष गंभीर होती जाएंगी.


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डॉ. आदर्श सिंह, जिलाधिकारी बाराबंकी.




रिपोर्ट-  आलोक कुमार शुक्ला , रिपोर्टर बाराबंकी, 96284 76907
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