बाराबंकी: पहले बेमौसम ओलावृष्टि और अब कोरोना संकट के चलते बाराबंकी का आम व्यवसाय बिल्कुल तबाह हो गया है. इस समय जहां बागों की नीलामी हो जाया करती थी, वहीं लॉकडाउन खत्म होने की कोई समय सीमा न होने के चलते आम के व्यापारी असमंजस में हैं और बाग लेने को तैयार नहीं हैं. आम के बागों की बिक्री न होने से किसानों को खासा नुकसान हो रहा है.
10 करोड़ का होता था आम का व्यापार
जिले में हर वर्ष तकरीबन 10 करोड़ के आम का व्यापार होता था. यहां के विभिन्न किस्मों के आमों की गोरखपुर, वाराणसी, अयोध्या, लखनऊ और सीतापुर समेत आसपास के कई जिलों में खासी मांग है. मलिहाबाद के बाद बाराबंकी में आम के बागों की भरमार है. यहां के मसौली, भयारा, बड़ागांव, फतेहपुर, दरियाबाद और टिकैतनगर समेत कई इलाकों में आम के कई बागान हैं.
...और किसानों के खिल उठे थे चेहरे
यहां के आम के किसान इन्हीं बागों की नीलामी कर हर वर्ष खासा मुनाफा कमाते हैं. इस बार बागों में अच्छा बौर आया था. बौर देखकर किसानों के चेहरे खिल उठे थे, लेकिन मार्च के शुरुआती दिनों में बेमौसम बारिश और जबरदस्त ओलावृष्टि ने पेड़ों में आये बौर को नष्ट कर दिया. रही सही कसर मार्च के आखिर से शुरू हुए लॉकडाउन ने पूरी कर दी. मजदूर न मिल पाने से बागों की देखरेख नहीं हो सकी.
आम के बागों को नहीं ले रहे व्यापारी
हर वर्ष 15 अप्रैल तक किसानों की इन बागों की नीलामी हो जाती थी. आम के बड़े व्यापारी बागों को फलों के आधार पर किसान से खरीद लेते थे और फिर बाग की रखवाली करते हुए आमों के पकने पर उनको मंडियों में बेच कर खासी कमाई करते थे. इस बार लॉकडाउन के चलते व्यापारी डरे हैं. वे बाग लेने को तैयार नहीं हैं.
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किसानों को हो रहा नुकसान
लॉकडाउन कब तक चलेगा, इसको लेकर व्यापारी असमंजस में हैं. लिहाजा वे बाग लेने को तैयार नहीं हैं. बागों की नीलामी न होने से किसानों का जबरदस्त नुकसान हो रहा है.