बाराबंकी: बेटियों की तरह अपने बेटों पर भी मां-बाप को लगाम लगानी होगी. केवल सरकारी योजनाओं से बाल अपराध नहीं रुक सकते. इसके लिए समाज के सभी लोगों को आगे आना होगा. ये बातें राज्य बाल कल्याण संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. सुचिता चतुर्वेदी ने कहीं. डॉ. चतुर्वेदी सोमवार को बाराबंकी के सतरिख थाना क्षेत्र में एक दलित किशोरी की गैंगरेप के बाद हुई हत्या मामले में पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचींं. उन्होंने कहा कि इस तरीके की घटनाएं समाज को झकझोर देती हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में आरोपी लड़कों के परिवार को जिला बदर कर देना चाहिए.
डॉ. सुचिता चतुर्वेदी ने पीड़िता के गांव जाकर वहां का जायजा लिया. वे यह जानने आईं थी कि मामले में क्या कार्रवाई हुई. पीड़िता के घर शौचालय है या नहीं. डॉ. चतुर्वेदी ने बताया कि वे अब तक की कार्रवाई से संतुष्ट हैं. उन्होंने बताया कि पीड़ित परिवार को अनुमन्य सरकारी सहायता दी गई है. डॉ. चतुर्वेदी ने बताया कि आयोग एक एसओपी यानी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसेस तैयार कर रहा है. इसके तहत बाल कल्याण पुलिस, श्रम विभाग और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के सदस्यों को ट्रेनिंग देकर उन्हें बाल उत्पीड़न रोकने के लिए तैयार किया जाएगा.
आयोग की सदस्य डॉ. सुचिता चतुर्वेदी ने कहा कि जिस तरह मां-बाप और परिवार के लोग बेटियों पर नजर रखते हैं. उसी तरह बेटों पर भी लगाम लगानी चाहिए. उन्होंने कहा कि केवल सरकार की योजनाओं के भरोसे बाल अपराधों में सुधार नहीं होने वाला. इसके लिए हम सबकी और पूरे समाज की जिम्मेदारी है. डॉ. सुचिता चतुर्वेदी ने कहा कि ऐसे परिवारों को जिला बदर कर देना चाहिए, जिनके बेटे ऐसी घृणित घटनाएं करते हैं. फास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिए जल्द से जल्द ऐसे मामलों में कार्रवाई होनी चाहिए.