बाराबंकी: जिले में लेखपालों को आपदा से निपटने के गुर सिखाने के लिए 4 फरवरी 2021 से 6 फरवरी के बीच तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया. 'आपदा प्रबंधन क्षमता निर्माण' विषयक इस प्रशिक्षण में शनिवार को जिले की तहसीलों के 30 लेखपालों ने भाग लिया. इन तीन दिनों में विशेष प्रशिक्षकों ने लेखपालों को आपदा से बचाव और उसके बाद किये जाने वाले कार्यों की बारीकियां बताई गई. सचिव एवं राहत आयुक्त राजस्व विभाग द्वारा दिए गए निर्देश के क्रम में इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन जिला ग्राम्य विकास संस्थान कादिरपुर में किया गया.
आपदा प्रबंधन के बताए गए उपाय
तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण में पहले दिन लेखपालों को विभिन्न प्रकार की आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा, भूकंप, शीतलहर, अग्निकांड और लू की विस्तृत जानकारी दी गई. इस दौरान प्रशिक्षक मनोज कुमार ने आपदा के बाद किये जाने वाले कार्यों को बताया गया. अग्निशमन विभाग ने अग्निकांड से बचाव के तौर तरीके वहा मौजूद लोगों को बताए. उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के राष्ट्रीय प्रशिक्षक ने सूखा और बाढ़ सम्बन्धी संवेदनशील क्षेत्रों, बाढ़ से पूर्व और उसके बाद अपनाए जाने वाले कार्यों की जानकारी दी.
क्षेत्र भ्रमण कराकर दिया गया व्यवहारिक ज्ञान
प्रशिक्षण महानिदेशक दीन दयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान बख्शी का तालाब लखनऊ द्वारा प्रायोजित इस प्रशिक्षण के दूसरे दिन लेखपालों को क्षेत्र भ्रमण के लिए रामसनेही घाट ले जाया गया. जहां जिला प्रशिक्षण अधिकारी गरिमा सिंह ने आपदा के दौरान उन्हें जोखिम से बचाव के व्यवहारिक तरीके बताए. तीसरे दिन दीन दयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान लखनऊ के आपदा सेल से आये कुमार दीपक ने किसी भी आपदा के दौरान विभागों से समन्वय स्थापित करने पर जोर दिया. दरअसल लेखपाल पहली कड़ी होते हैं. किसी भी आपदा के प्रथम प्रत्युत्तरदाता लेखपाल ही माने जाते हैं, लिहाजा इनको आपदा सम्बन्धी सारी जानकारियां होनी चाहिए.