बाराबंकी: जिले की एक अदालत ने करीब 22 वर्ष पूर्व हुए दोहरे हत्याकांड में बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने सात आरोपियों को सश्रम आजीवन कारावास के साथ ही प्रत्येक पर 65-65 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. ये फैसला अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के विशेष सत्र न्यायाधीश नित्यानंद श्रीनेत ने सुनाया है.
क्या था मामला
एसपीओ दिनेश चंद्र मिश्रा ने बताया कि वादी मुकदमा कमलेश रावत निवासी हेमपुर मजरे केशरई थाना मोहम्मदपुर खाला का है. पीड़ित ने 16 मई 1999 को थाने में तहरीर देकर कहा था कि रात करीब 9 बजे उसके पिता अवधराम और बाबा बिधाता खाना खाने के बाद सो गए थे. कमलेश भी सोने जा ही रहा था कि गांव के लाला और छोटन्ने अपने साथियों सलीम, कुद्दूस, परसू लोनिया, वली और सनीफ आदि के साथ हमला बोल दिया. सभी हाथों में हथियार लिए हुए आए और पुरानी रंजिश को लेकर मुझे, मेरे पिता और बाबा को मारने लगे.
पीड़ित ने बताया कि जब उसने शोर मचाया तो उसके पिता अवधराम और बाबा की गोली मारकर हत्या कर दी. इस दौरान वादी कमलेश रावत ने एक अभियुक्त सलीम को पकड़ लिया, लेकिन सलीम ने वादी पर बंदूक से फायर कर दिया जिससे वो भी घायल हो गया था.
27 के विरुद्ध दाखिल किया गया था आरोप पत्र
इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए वादी ने एफआईआर में सात लोगों को नामजद किया था. जिसमें धारा 147, 148, 149, 302, 307 आईपीसी और 3(2)(5) एससीएसटी एक्ट में मोहम्मदपुर खाला थाने में मुकदमा दर्ज कर विवेचना की गई. विवेचना के दौरान कई नाम और सामने आए. पुलिस ने कुल 27 लोगों के विरुद्ध आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया था. पूरे मामले में अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष ने अपने अपने गवाह पेश किए. दोनों पक्षों की गवाही और बहस के बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया, जिसमें सभी सातों अपराधियों को आजीवन कारावास और प्रत्येक पर 65-65 हजार रुपया अर्थदंड की सजा सुनाई गई.
बारह आरोपी साक्ष्य के अभाव में बरी
इस मामले में आरोपी बनाए गए शबूर, इमामुद्दीन, पीर मो0, मो0 अयूब साई, यूनुस अली, बंगाली, दौला, मोहब्बत, गब्बा, अब्बास अली, मुद्दी और सरदार साक्ष्य के अभाव में बरी हो गए हैं, जबकि आठ लोगों की मौत हो चुकी थी. जिसमें सफी, जामे, हसमत अली, गुफा, जुल्फी, कोइली और कुन्नू शामिल हैं.