बाराबंकीः चिट-फंड कंपनियों द्वारा ठगे जा रहे गरीबों के बहाने कांग्रेस पार्टी योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने जा रही है. निवेशकों की परेशानियों को महसूस करते हुए कांग्रेस पार्टी ने पर्ल और सहारा जैसी तमाम चिटफंड कंपनियों के खिलाफ आंदोलन छेड़ने की रणनीति बनाई है.
पार्टी नेताओं का आरोप है कि इस फर्जीवाड़े में सूबे के लाखों लोग प्रभावित हुए हैं. सबका साथ, सबका विकास करने का दावा करने वाली सरकार इस मामले में चुप बैठी है. यहां तक कि कितने लोगों के पैसे फंसे हैं इसकी सूची तक सरकार के पास नही है. कांग्रेस पार्टी ने इन ठगे हुए लोगों की आवाज बनने का फैसला करते हुए चार जनवरी को बड़ा आंदोलन करने का फैसला किया है.
निवेशकों की ओर से कई बार आंदोलन के बाद भी इस बाबत सरकारों ने कोई गंभीरता नही दिखाई है. बाजार नियामक सेबी के आंकड़े के मुताबिक 31 मार्च 2021 तक पर्ल कम्पनी द्वारा PACL (Pearls Agrotech Corporation Limited) के 12.7 लाख से अधिक निवेशकों के लूटे गए 10 हजार करोड़ रुपयों में से अब तक केवल 438 करोड़ ही वापस मिल पाए हैं.
यही नहीं SEBI ( Security and Exchange Board of India) ने निवेशकों का पैसा लौटाने में असमर्थ रहने पर दिसंबर 2015 में पीएसीएल और उसके नौ प्रवर्तकों तथा निवेशकों की सभी संपत्ति कुर्क करने के आदेश दिए थे. इससे पहले नियामक ने 22 अगस्त 2014 को पीएसीएल उसके नौ प्रवर्तकों तथा निवेशकों को योजनाएं बंद करने और निवेशकों का पैसा 3 महीने के भीतर लौटाने का आदेश दिया था. जिसका अनुपालन अभी तक नहीं हो पाया है.
इसी तरह सहारा ग्रुप ने अपनी दो कंपनियों SIRECL और SHICL के जरिए ढाई करोड़ निवेशकों के करीब 24000 करोड रुपए जुटाए. इसके बाद इन पैसों का कैसे और कहां इस्तेमाल किया गया इसका कोई रिकार्ड नहीं है.
कांग्रेस पार्टी का कहना है कि हाईकोर्ट, सुप्रीमकोर्ट और सेबी के दखल के बाद भी अभी तक लोगों को उनकी मेहनत की कमाई वापस नही मिल पाई है. सरकार भी इसको लेकर गंभीर नही है. ऐसे में पार्टी ने इन गरीबों की आवाज बनने का फैसला किया है.
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