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...और जब जेल जाते-जाते बचे नगर कोतवाल और नायब तहसीलदार

न्यायिक अवमानना के एक मामले में बाराबंकी दीवानी न्यायालय ने सोमवार को नगर कोतवाल और नायब तहसीलदार नवाबगंज को दोषी पाते हुए कस्टडी में लेकर कई घण्टे कटघरे में रखा. इतना ही नहीं इसके बाद इनको सिविल करावास की सजा सुनाई.

न्यायिक अवमानना
न्यायिक अवमानना
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Published : Sep 13, 2021, 11:02 PM IST

बाराबंकी: अदालत के आदेश की अवहेलना करना शहर कोतवाल और नायब तहसीलदार को भारी पड़ गया. कोर्ट ने पहले तो इन्हें घंटों न्यायिक अभिरक्षा में खड़ा रखा. इसके बाद दोनों को सजा के बिंदु पर सुनवाई करने के बाद नगर कोतवाल को तीन दिन तथा नायब तहसीलदार को एक माह का सिविल कारावास की सजा सुनाई. इसके अलावा कोतवाल से 66 रुपये और नायब तहसीलदार से 120 रुपये खर्चा निर्धारित किया.

अपने आप में इस प्रकार के पहले मामले को लेकर दिन भर कचहरी में गहमा-गहमी रही. कोतवाल और नायब तहसीलदार को न्यायिक अभिरक्षा में लेकर लॉकअप भेज दिया गया, हालांकि बाद में इस मामले में कोतवाल और नायब तहसीलदार द्वारा की गई अपील पर सुनवाई करते हुए प्रभारी जिला जज नित्यानंद श्रीनेत ने सिविल जज द्वारा पारित आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी. जिसके चलते कोतवाल और नायब तहसीलदार जेल जाने से बच गए.

जानकारी देते अधिवक्ता.
दिनभर रही गहमा-गहमी
बाराबंकी कचहरी में सोमवार को दिनभर गहमा गहमी रही.दरअसल, नगर कोतवाली के आलापुर निवासी मो. आलम और शकील पुत्र मुर्तुजा ने एक न्यायिक अवमानना का मामला सिविल जज जूनियर डिवीजन खान जीशान मसूद की कोर्ट में दाखिल किया था. जिसमें नगर कोतवाल अमर सिंह और नायब तहसीलदार केशव प्रसाद सहित एक दर्जन को आरोपी दर्शाया गया है. इस अवमानना वाद में कहा गया कि एक भूमि संख्या 1533 रकबा 0.1180 हेक्टेयर स्थित बाराबंकी देहात के मालिक काबिज वादी आलम व शकील ही हैं. उन्होंने ये भूमि जरिये बैनामा खरीदी थी. विपक्षी मुबीन और मोहसिना वगैरह ने जब वादी जन की भूमि पर कब्जे का प्रयास 24 जून 2021 को किया. जिसके बाद वादीजन ने अदालत सिविल जज जूनियर डिवीजन कोर्ट नम्बर 13 की कोर्ट पर वाद दायर कर दिया. इस मामले में कोर्ट ने एक जुलाई 2021 को स्थगन आदेश पारित किया. कोर्ट ने आदेश दिया कि अग्रिम तिथि तक इस भूमि पर वादी के कब्जा दखल में हस्तक्षेप न किया जाय. जब विपक्षीजन इस भूमि पर हस्तक्षेप करने लगे तो वादी ने 7 जुलाई को स्टे ऑर्डर के अनुपालन हेतु प्रार्थना पत्र दिया जिस पर कोर्ट ने थाना प्रभारी नगर को आदेशित किया. इसके बावजूद 5 अगस्त को विपक्षीजन ने वादीजन के द्वारा कराए जा रहे निर्माण को रोकते हुए वादी जन को जेल में डालने की धमकी दी. 6 अगस्त को नायब तहसीलदार केशव प्रसाद,लेखपाल प्रह्लाद तिवारी,कोतवाल ने जाकर जबरन नाप जोख कर खूंटा गड़ाने की कार्यवाही की. वादी द्वारा स्टे ऑर्डर दिखाने पर इन लोगों ने कोई गम्भीरता नहीं दिखाई और कहा कि इस तरह के ऑर्डर रोज देखते हैं. उसके बाद 9 अगस्त की रात विपक्षी मुबीन वगैरह ने वादीजन की दीवाल भी गिरा दी. इस तरह विपक्षियों द्वारा न्यायिक आदेश की अवमानना की गई.न्यायालय सिविल जज ने इसी मामले में दोषी करार देकर कोतवाल और नायब तहसीलदार को कस्टडी में ले लिया और सजा सुनाई.


इसे भी पढ़ें- तेलंगाना एक्सप्रेस में लावारिस बैग में मिलीं पांच बंदूकें और कारतूस

बाराबंकी: अदालत के आदेश की अवहेलना करना शहर कोतवाल और नायब तहसीलदार को भारी पड़ गया. कोर्ट ने पहले तो इन्हें घंटों न्यायिक अभिरक्षा में खड़ा रखा. इसके बाद दोनों को सजा के बिंदु पर सुनवाई करने के बाद नगर कोतवाल को तीन दिन तथा नायब तहसीलदार को एक माह का सिविल कारावास की सजा सुनाई. इसके अलावा कोतवाल से 66 रुपये और नायब तहसीलदार से 120 रुपये खर्चा निर्धारित किया.

अपने आप में इस प्रकार के पहले मामले को लेकर दिन भर कचहरी में गहमा-गहमी रही. कोतवाल और नायब तहसीलदार को न्यायिक अभिरक्षा में लेकर लॉकअप भेज दिया गया, हालांकि बाद में इस मामले में कोतवाल और नायब तहसीलदार द्वारा की गई अपील पर सुनवाई करते हुए प्रभारी जिला जज नित्यानंद श्रीनेत ने सिविल जज द्वारा पारित आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी. जिसके चलते कोतवाल और नायब तहसीलदार जेल जाने से बच गए.

जानकारी देते अधिवक्ता.
दिनभर रही गहमा-गहमी
बाराबंकी कचहरी में सोमवार को दिनभर गहमा गहमी रही.दरअसल, नगर कोतवाली के आलापुर निवासी मो. आलम और शकील पुत्र मुर्तुजा ने एक न्यायिक अवमानना का मामला सिविल जज जूनियर डिवीजन खान जीशान मसूद की कोर्ट में दाखिल किया था. जिसमें नगर कोतवाल अमर सिंह और नायब तहसीलदार केशव प्रसाद सहित एक दर्जन को आरोपी दर्शाया गया है. इस अवमानना वाद में कहा गया कि एक भूमि संख्या 1533 रकबा 0.1180 हेक्टेयर स्थित बाराबंकी देहात के मालिक काबिज वादी आलम व शकील ही हैं. उन्होंने ये भूमि जरिये बैनामा खरीदी थी. विपक्षी मुबीन और मोहसिना वगैरह ने जब वादी जन की भूमि पर कब्जे का प्रयास 24 जून 2021 को किया. जिसके बाद वादीजन ने अदालत सिविल जज जूनियर डिवीजन कोर्ट नम्बर 13 की कोर्ट पर वाद दायर कर दिया. इस मामले में कोर्ट ने एक जुलाई 2021 को स्थगन आदेश पारित किया. कोर्ट ने आदेश दिया कि अग्रिम तिथि तक इस भूमि पर वादी के कब्जा दखल में हस्तक्षेप न किया जाय. जब विपक्षीजन इस भूमि पर हस्तक्षेप करने लगे तो वादी ने 7 जुलाई को स्टे ऑर्डर के अनुपालन हेतु प्रार्थना पत्र दिया जिस पर कोर्ट ने थाना प्रभारी नगर को आदेशित किया. इसके बावजूद 5 अगस्त को विपक्षीजन ने वादीजन के द्वारा कराए जा रहे निर्माण को रोकते हुए वादी जन को जेल में डालने की धमकी दी. 6 अगस्त को नायब तहसीलदार केशव प्रसाद,लेखपाल प्रह्लाद तिवारी,कोतवाल ने जाकर जबरन नाप जोख कर खूंटा गड़ाने की कार्यवाही की. वादी द्वारा स्टे ऑर्डर दिखाने पर इन लोगों ने कोई गम्भीरता नहीं दिखाई और कहा कि इस तरह के ऑर्डर रोज देखते हैं. उसके बाद 9 अगस्त की रात विपक्षी मुबीन वगैरह ने वादीजन की दीवाल भी गिरा दी. इस तरह विपक्षियों द्वारा न्यायिक आदेश की अवमानना की गई.न्यायालय सिविल जज ने इसी मामले में दोषी करार देकर कोतवाल और नायब तहसीलदार को कस्टडी में ले लिया और सजा सुनाई.


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